दुष्कर्म के आरोपी की जमानत वाली याचिका पर SC का नोटिस, हाई कोर्ट के आदेश को पीड़िता ने दी थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को जमानत दिये जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और आरोपी को नोटिस जारी किया है। बता दें कि हाई कोर्ट ने क्षमता से ज्यादा जेलों के भरे होने और ट्रायल के पूरा होने की अनिश्चितता को देखते हुए आरोपी को जमानत दी थी।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sun, 22 Oct 2023 08:35 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को जमानत दिये जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और आरोपी को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस दुष्कर्म पीड़िता की याचिका पर जारी किया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्षमता से ज्यादा जेलों के भरे होने और ट्रायल पूरा होने की अनिश्चितता को देखते हुए आरोपित को सशर्त जमानत दे दी थी। हाई कोर्ट द्वारा जमानत के आदेश में जेलों के क्षमता से ज्यादा भरी होने और जमानत के बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सतेन्द्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआइ एवं अन्य के केस में 11 जुलाई 2022 को दिये फैसले को दर्ज करना इस मामले को थोड़ा अलग बनाता है।
हाई कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
दुृष्कर्म पीडि़ता ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए अन्य पहलुओं के साथ इस बात पर जोर दिया है कि दुष्कर्म के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का सतेन्द्र कुमार अंतिल के मामले में दिया गया आदेश लागू नहीं होगा।सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और बेला एम त्रिवेदी ने 19 अक्टूबर को पीड़िता के वकील अजय बंसल और गौरव यादव की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किया। कोर्ट ने याचिका में प्रतिपक्षी बनाई गई उत्तर प्रदेश सरकार और आरोपी को दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया है कि हाई कोर्ट ने पीड़िता का पक्ष सुने बगैर अभियुक्त को जमानत दे दी।
'दुष्कर्म एक गंभीर अपराध'
दुष्कर्म एक गंभीर अपराध है जिसका सिर्फ समाज पर ही नहीं बल्कि पीड़िता के मन पर भी असर पड़ता है। याचिका में अभियुक्त के सबूतों से छेड़छाड़ और फरार होने की आशंकाओं के साथ यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का सतेन्द्र कुमार अंतिल का फैसला इस केस में लागू नहीं होगा। हाई कोर्ट में जमानत देने की मांग करते हुए अभियुक्त के वकील ने दुष्कर्म पीड़िता के सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किये गए बयान का हवाला दिया था और दुष्कर्म होने पर सवाल उठाया था।अभियुक्त को शीघ्र ट्रायल का अधिकार
हाई कोर्ट ने आदेश में उन दलीलों को दर्ज किया है। साथ ही यह भी दर्ज किया कि अभियुक्त 12 मई से जेल में है। हाई कोर्ट ने आदेश में कहा है कि ट्रायल पूरा होने की अनिश्चितता है और पुलिस की एकतरफा जांच, पुलिस ने अभियुक्त की तरफ के पहलू को नजरअंदाज किया। साथ ही कहा कि विचाराधीन कैदी होने के चलते अभियुक्त को शीघ्र ट्रायल का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के सतेन्द्र कुमार अंतिल के केस में दी गई व्यवस्था को देखते हुए और जेलों में क्षमता से पांच - छह गुना ज्यादा विचाराधीन कैदियों के होने पर विचार करते हुए अभियुक्त को जमानत दी जाती है।
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