लॉरेंस बिश्नोई का जेल से इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने अगले निर्देश तक कार्रवाई पर लगाई रोक
Lawrence Bishnoi जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू मामले में देश की शीर्ष अदालत ने एक टीवी एंकर को राहत दी है। अदालत ने अगले आदेश तक एंकर के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश पर पंजाब पुलिस की तीन सदस्यीय एसआईटी मामले की जांच करने में जुटी है।
पीटीआई, नई दिल्ली। जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू मामले में देश की शीर्ष अदालत ने एक टीवी एंकर को राहत दी है। अदालत ने अगले आदेश तक एंकर के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश पर पंजाब पुलिस की तीन सदस्यीय एसआईटी मामले की जांच करने में जुटी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार और एसआईटी के प्रमुख प्रबोध कुमार को भी नोटिस जारी किया है।
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जेल नियमों का गंभीर उल्लंघन
जानकारी के मुताबिक लॉरेंस बिश्नोई ने न्यूज चैनल के एंकर को मोबाइल फोन पर वीडियो इंटरव्यू दिया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला व न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि अपराधियों को बेनकाब करने के पत्रकार के इरादे के बावजूद कैदियों का साक्षात्कार करना जेल के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, "एक निश्चित स्तर पर शायद साक्षात्कार चाहने वाले आपके मुवक्किल ने जेल के कुछ नियमों का उल्लंघन किया हो।"अगले निर्देश तक कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा
टीवी एंकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और आरएस चीमा की दलीलों पर गौर किया कि स्टिंग ऑपरेशन के लिए जान का खतरा झेल रहे पत्रकार को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। सीजेआई ने आदेश में कहा, " याचिकाकर्ता एसआईटी जांच में सहयोग करेगा। हम निर्देश देते हैं कि अदालत के अगले आदेश तक उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।"
हाईकोर्ट ने दिया था FIR दर्ज करने का आदेश
समाचार चैनल और पत्रकार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में एसआईटी को जेल में बंद गैंगस्टर के साक्षात्कार मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।सड़ांध को कौन उजागर करेगा
अधिवक्ता रोहतगी ने कहा कि साक्षात्कार ने सड़ांध को उजागर करने में मदद की। पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना संदेशवाहक को गोली मारने के समान है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि यह जेल के भीतर हो सकता है। यह एक बहुत गंभीर मामला है। अगर संदेशवाहक को मार दिया गया तो फिर इस सड़ांध को कौन उजागर करेगा।"