Menstrual Paid Leave: सुप्रीम कोर्ट ने की कामकाजी महिलाओं को पीरियड्स लीव देने की याचिका खारिज
Menstrual Pain Leave महिला कर्मचारियों को हर महीने मासिक धर्म से जुड़ी तकलीफों के लिए छुट्टी देने का नियम बनाने पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है। SC ने कहा कि आप महिला और बाल विकास मंत्रालय को ज्ञापन दें।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Fri, 24 Feb 2023 01:38 PM (IST)
नई दिल्ली। Menstrual Pain Leave: कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को मासिक धर्म के दौरान पेड लीव देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया।
बता दें कि इस याचिका में सभी राज्यों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए उनके संबंधित कार्य स्थलों पर मासिक धर्म के दर्द की छुट्टी के लिए नियम बनाएं।वहीं, CJI ने कहा कि ऐसी संभावना भी हो सकती है कि छुट्टी की बाध्यता होने पर लोग महिलाओं को नौकरी देने से परहेज करें।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में दें ज्ञापन
यह देखते हुए कि यह मुद्दा सरकार के नीतिगत दायरे में आता है, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि निर्णय लेने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को एक प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।दिल्ली निवासी शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 के अनुपालन के लिए केंद्र और सभी राज्यों को निर्देश देने की मांग की गई है।
अधिनियम की धारा 14 निरीक्षकों की नियुक्ति से संबंधित है और कहती है कि उपयुक्त सरकार ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति कर सकती है और क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमाओं को परिभाषित कर सकती है, जिसके भीतर वे इस कानून के तहत अपने कार्यों का प्रयोग करेंगे।