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सुप्रीम कोर्ट ने Same Sex Marriage को मान्यता देने से किया इनकार, याचिकाकर्ता ने कहा -आगे भी लड़ते रहेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। दरअसल कोर्ट में पांच जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने इस मामले में 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पर याचिकाकर्ताओं ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है।

By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Tue, 17 Oct 2023 01:31 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समलैंगिक विवाह के समर्थन में याचिकाकर्ताओं ने दी प्रतिक्रिया

एजेंसी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। दरअसल, कोर्ट में पांच जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही थी, जिसके बाद 3-2 पर जाकर फैसला अटक गया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने इस मामले में 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पर याचिकाकर्ताओं ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है।

'आगे भी लड़ते रहेंगे'

याचिकाकर्ताओं में से एक कार्यकर्ता अंजलि गोपालन का कहना है, "हम लंबे समय से लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे। गोद लेने के संबंध में भी कुछ नहीं किया गया, गोद लेने के संबंध में सीजेआई ने जो कहा वह बहुत अच्छा था लेकिन यह निराशाजनक है कि अन्य न्यायाधीश सहमत नहीं हुए। यह लोकतंत्र है, लेकिन हम अपने ही नागरिकों को बुनियादी अधिकारों से वंचित कर रहे हैं।"

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'कई टिप्पणियां हमारे पक्ष में'

LGBTQIA+ अधिकार कार्यकर्ता हरीश अय्यर ने कहा, "हालांकि अंत में, फैसला हमारे पक्ष में नहीं था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई कई टिप्पणियां हमारे पक्ष में थीं। उन्होंने इसकी जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार पर डाल दी है और केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल ने हमारे खिलाफ बहुत सारी बातें कही हैं।"

— ANI (@ANI) October 17, 2023

उन्होंने कहा, "इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी चुनी हुई सरकार, सांसदों और विधायकों के पास जाएं और उन्हें बताएं कि हम दो लोगों की तरह अलग हैं। लड़ाई चल रही है, इसमें कुछ समय लग सकता है, लेकिन हमें सामाजिक समानता मिलेगी"

विवाह समानता मामले में कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा ने कहा, "भले ही विवाह का अधिकार नहीं दिया गया है। सीजेआई ने कहा है कि अधिकारों दूसरे विवाह में जोड़े को जो भी अधिकार मिलते हैं, वहीं अधिकार समलैंगिक जोड़ों को भी मिलन चाहिए।"

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदीश अग्रवाला ने कहा, "मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं, जहां उन्होंने समलैंगिक विवाह की इजाजत नहीं दी है।"

वकील करुणा नंदी ने कहा, "आज कुछ ऐसे मौके थे, जहां कोर्ट ने कई फैसले केंद्र पर छोड़ दिए हैं और समलैंगिक विवाह को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। मैं यह भी कहूंगी कि कांग्रेस और राज्यों में सत्ता में मौजूद अन्य सरकारों के पास चिकित्सा निर्णय लेने के लिए साझेदार के अधिकारों की मान्यता को कानून में लाने के कई अवसर हैं, क्योंकि वे स्वास्थ्य पर कानून बना सकते हैं, वे रोजगार को बिना भेदभाव के देख सकते हैं। बहुत कुछ किया जा सकता है।"

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