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'अनुच्छेद 370 पर सुनवाई खत्म होने के बाद इसका करें जिक्र', SIMI पर बैन के खिलाफ याचिका पर SC

SIMI Ban स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ संविधान के अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर सुनवाई पूरी होने के बाद सिमी मामले का रुख करेगी। बता दें यह मुद्दा 18 जनवरी के बाद से सूचीबद्ध नहीं किया गया है।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Tue, 25 Jul 2023 01:17 PM (IST)
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'अनुच्छेद 370 पर सुनवाई खत्म होने के बाद इसका करें जिक्र', SIMI पर बैन के खिलाफ याचिका पर SC
नई दिल्ली, एजेंसी। SIMI Ban: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है।

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ संविधान के अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर सुनवाई पूरी होने के बाद इस मुद्दे को देखेगी। बता दें, सिमी मामले को सूचीबद्ध करने की मांग करने वाले वकील ने पीठ को बताया कि मामला 18 जनवरी को सुनवाई के लिए आया था और तब से सूचीबद्ध नहीं किया गया है।

'अनुच्छेद 370 मुद्दे पर सुनवाई पूरी होने के बाद आए'

इसी पर पीठ ने कहा, 'अगले हफ्ते संविधान पीठ में (अनुच्छेद 370 पर) सुनवाई शुरू हो रही है। इसके खत्म होने के बाद इस मुद्दे का जिक्र कोर्ट में आकर करें।' केंद्र ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के सिमी के उद्देश्य को पूरा नहीं होने दिया जा सकता है। प्रतिबंधित संगठन के कार्यकर्ता अभी भी विघटनकारी गतिविधियों में लिप्त हैं जो देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डाल सकते हैं।

शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित कर सकते हैं

सिमी पर लगाए गए प्रतिबंध पर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत में दायर एक जवाबी हलफनामे में, केंद्र ने कहा था कि संगठन के कार्यकर्ता अन्य देशों में स्थित अपने सहयोगियों के साथ 'नियमित संपर्क' में हैं और उनके कार्य भारत में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित कर सकते हैं। इसमें यह भी कहा गया था कि सिमी का उद्देश्य छात्रों और युवाओं को इस्लाम के प्रचार-प्रसार और जिहाद (धार्मिक युद्ध) के लिए समर्थन प्राप्त करना है।

सिमी कार्यकर्ता एकजुट हो रहे हैं- केंद्र

हलफनामे में कहा गया है कि रिकॉर्ड में लाए गए सबूत स्पष्ट रूप से स्थापित करते हैं कि 27 सितंबर, 2001 से प्रतिबंधित होने के बावजूद, सिमी कार्यकर्ता एकजुट हो रहे हैं, बैठक कर रहे हैं, साजिश रच रहे हैं, हथियार और गोला-बारूद हासिल कर रहे हैं और गतिविधियों में शामिल हैं। 

सिमी के अपने सदस्यों के माध्यम से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, बांग्लादेश और नेपाल में संपर्क हैं और छात्रों और युवाओं का संगठन होने के नाते, यह जम्मू-कश्मीर से संचालित होने वाले विभिन्न कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादी संगठनों से प्रभावित और उपयोग किया जाता है।

कब अस्तित्व में आया SIMI संगठन

सिमी 25 अप्रैल, 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जमात-ए-इस्लामी-हिंद (जेईआईएच) में विश्वास रखने वाले युवाओं और छात्रों के एक संगठन के रूप में अस्तित्व में आया और 1993 में इसने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 31 जनवरी, 2019 की एक अधिसूचना में संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया था। सिमी पर पहली बार 2001 में प्रतिबंध लगाया गया था। तब से, प्रतिबंध को नियमित रूप से बढ़ाया जाता रहा है। यह आठवीं बार था जब प्रतिबंध बढ़ाया गया था।