Forced Religious Conversion पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर, कहा- राष्ट्र सुरक्षा व धर्म की स्वतंत्रता पर होता है असर
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जबरन धर्म परिवर्तन मामले को गंभीर मामला करार दिया। कोर्ट ने कहा कि जबर्दस्ती किसी का धर्म बदला जाना चिंता का मसला है जो देश की सुरक्षा के साथ धार्मिक स्वतंत्रता को भी प्रभावित करता है।
By AgencyEdited By: Monika MinalUpdated: Mon, 14 Nov 2022 05:03 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को जबरन धर्म परिवर्तन (Religious Conversion) मामले को गंभीर मामला करार दिया। कोर्ट ने कहा कि जबर्दस्ती किसी का धर्म बदला जाना चिंता का मसला है, जो देश की सुरक्षा के साथ धार्मिक स्वतंत्रता को भी प्रभावित करता है।
प्रलोभन, धोखे या जबरन धर्म परिवर्तन चिंता का विषय
सुप्रीमकोर्ट ने आज प्रलोभन, धोखे या जबरदस्ती धर्म परिवर्तन पर चिंता जताई और इसे गंभीर मसला करार दिया है। कोर्ट ने इस मामले को देश की सुरक्षा और नागरिकों को मिली धार्मिक स्वतंत्रता के लिए जोखिम करार दिया। केंद्र सरकार से कोर्ट ने जवाब की मांग की। कोर्ट ने कहा की केंद्र मामले में हलफनामा दाखिल करे और बताए कि जबरन धर्मांतरण की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।
जबरन धर्म परिवर्तन है गंभीर मसला
जबरन धर्म परिवर्तन को गंभीर मसला करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह मामले में दखल दे और इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रयास करें। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चेताया कि यदि जबरन धर्म परिवर्तन को नहीं रोका गया तो कठिन हालात बन सकते हैं। जस्टिस एमआर शाह और हिमा कोहली की बेंच ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस तरह के प्रलोभनों के जरिए की जा रही प्रैक्टिस के खात्मे के लिए कदम उठाए जाएं। कोर्ट ने कहा, 'यह काफी गंभीर मसला है।
अधिनियम के कुछ प्रावधानों को दी गई है चुनौती
उल्लेखनीय है कि आज शीर्ष अदालत में पूजा स्थल अधिनियम 1991 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र को जवाब के लिए समय दिया है। अब मामले की सुनवाई जनवरी में की जाएगी। Conversion in Jharkhand: पलामू में चल रहा मतांतरण का खेल, एससी-एसटी निशाने पर
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