अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका परखेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने के लिए गुरुवार को सहमत हो गया। पीठ ने कहा कि उसने याचिका स्वीकार कर ली है।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 04 Nov 2022 06:43 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने के लिए गुरुवार को सहमत हो गया। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि उसने याचिका स्वीकार कर ली है और इस मामले को इसी तरह के एक अन्य मामले से जोड़ दिया है।
एनजीओ विनियोग परिवार ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई
शीर्ष अदालत एनजीओ विनियोग परिवार ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया था कि राज्य अल्पसंख्यक समुदायों की किसी भी भाषा, लिपि या संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए किसी भी दायित्व के अधीन नहीं है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम (1992) को लागू करने की मांग
याचिका में कहा गया है कि राज्य की सक्रिय कार्रवाई और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम (1992) को लागू करना, अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से मुसलमानों को बड़ी रकम देने पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना करना, कोई संवैधानिक जनादेश नहीं है और इसे असंवैधानिक कहा जा सकता है।केंद्र सरकार ने बताया था संवेदनशील मामला
इससे पहले, अल्पसंख्यकों की पहचान के सिलसिले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि यह एक संवेदनशील मामला है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। मामले में 14 राज्यों ने अपना मत दे दिया है। 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अंतिम राय अभी नहीं आई है। ऐसे में कोर्ट राज्यों को अंतिम राय प्रकट करने के लिए कुछ और समय दे।
ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केन्या में बेटे की कस्टडी लेने में महिला की मदद करे केंद्र सरकार