लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ महुआ मोइत्रा को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, मई में होगी अगली सुनवाई
महुआ मोइत्रा की लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ वाली याचिका न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 11 मार्च को सुनवाई की। हालांकि मोइत्रा को इस बार राहत नहीं मिली है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई मई में की जाएगी।
पीटीआई, नई दिल्ली। तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा की कैश फॉर क्वेरी मामले में 8 दिसंबर को सांसदी चली गई थी, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 11 मार्च को सुनवाई की। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई मई में की जाएगी।
लोकसभा महासचिव से मांगा था जवाब
मोइत्रा की याचिका न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। पीठ ने कहा, "6 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में एक गैर-विविध दिन की सूची बनाएं। मोइत्रा के वकील का कहना है कि उनका प्रत्युत्तर दाखिल करने का इरादा नहीं है।" दरअसल, शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को मोइत्रा की उनके निष्कासन को चुनौती देने वाली याचिका पर लोकसभा महासचिव से जवाब मांगा था।
कोर्ट ने लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने पर लगाई थी रोक
पीठ ने उनकी अंतरिम प्रार्थना पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था कि उन्हें लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी जाए। कोर्ट का कहना था कि उन्हें अनुमति देना राहत देने के समान होगा। शीर्ष अदालत ने लोकसभा अध्यक्ष और सदन की आचार समिति को नोटिस जारी करने से भी इनकार कर दिया था। दरअसल, मोइत्रा ने अपनी याचिका में दोनों को प्रतिवादी बनाया था।ध्वनि मत से पारित हुआ था बाहर निकालने का प्रस्ताव
पिछले साल 8 दिसंबर को, एथिक्स पैनल की रिपोर्ट पर लोकसभा में तीखी बहस के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने 'अनैतिक आचरण' के लिए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को सदन से बाहर निकालने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किया गया।आचार समिति ने मोइत्रा को 'अनैतिक आचरण' और सदन की अवमानना का दोषी पाया, क्योंकि उन्होंने अपने लोकसभा सदस्यों के पोर्टल क्रेडेंशियल - उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड- अनधिकृत लोगों के साथ साझा किए थे, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक अपरिवर्तनीय प्रभाव पड़ा था। जोशी ने कहा था कहा।
मोइत्रा के खिलाफ जांच की हुई थी मांग
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि मोइत्रा के अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण को देखते हुए, सरकार द्वारा एक निर्धारित समय सीमा के साथ एक गहन कानूनी और संस्थागत जांच शुरू की जाए।जोशी द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अपने हित को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यवसायी से उपहार और अवैध संतुष्टि स्वीकार करने के लिए अशोभनीय पाया गया है।