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Shiv Sena : तय करने के लिए कठिन संवैधानिक मुद्दा है क्योंकि दोनों ही स्थितियों में परिणाम गंभीर होते हैं - SC

महाराष्ट्र में उद्धव और शिंदे गुट के बीच सत्ता की लड़ाई का मामला। स्पीकर के अधिकार तय करने वाले नबम राबिया फैसले को पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ को भेजने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट कर रहा है सुनवाई।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Wed, 15 Feb 2023 09:09 PM (IST)
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महाराष्ट्र में उद्धव और शिंदे गुट के बीच सत्ता की लड़ाई का मामला

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच चल रही सत्ता की लड़ाई में नबम रेबिया फैसले पर पुनर्विचार की मांग को सुप्रीम कोर्ट कठिन संवैधानिक मुद्दा मानता है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी में कहा कि तय करने के लिए यह एक कठिन मुद्दा है क्योंकि नबम रेबिया फैसले को स्वीकार करते हैं या उसे समाप्त करते हैं, दोनों ही स्थितियों में गंभीर परिणाम होते हैं। दोनों ही स्थितियों में राजनीति पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ता है।

कोर्ट ने कहा कि अगर नबम रेबिया के फैसले को स्वीकार किया जाता है, जिसमें कहा गया है कि स्पीकर के खिलाफ रिमूवल का नोटिस लंबित होने पर स्पीकर सदस्यों की अयोग्यता तय नहीं कर सकता तो उसका परिणाम आपने महाराष्ट्र में देखा, जिसमें एक राजनैतिक दल से दूसरे राजनैतिक दल में ह्यूमन कैपिटल के फ्री फ्लो की अनुमति देना है।

जबकि दूसरी स्थिति में अगर कपिल सिब्बल की मांग स्वीकार कर ली जाती है और स्पीकर को हटाने के नोटिस के बावजूद उसे कार्यवाही की इजाजत दी जाती है तो जहां पार्टी का नेता बहुमत खो चुका है, स्पीकर को प्रतिद्वंदी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए कह कर यथास्थिति सुनिश्चित कर सकता है।

दोनों ही स्थितियों में गंभीर परिणाम होते हैं। ये टिप्पणियां प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच चल रही सत्ता की लड़ाई के मामले में सुनवाई के दौरान बुधवार को कीं।

इस मामले में फिलहाल कोर्ट महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के गुट की ओर से नबम रेबिया फैसले को पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ को भेजे जाने की मांग पर सुनवाई कर रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट ने ठाकरे गुट की मांग का विरोध किया है।

दोनों की दलीलों को सुनकर कोर्ट ने दोनों ही स्थितियों के गंभीर राजनैतिक परिणाम होने की बात कही। अरुणाचल के नबम रेबिया मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला दिया था जिसमें कहा था कि स्पीकर के खिलाफ रिमूवल का नोटिस लंबित रहने पर स्पीकर सदस्यों की अयोग्यता नहीं तय कर सकता।

मंगलवार को उद्धव ठाकरे गुट की ओर से बहस करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा था कि नबम रेबिया फैसले के गंभीर परिणाम हो रहे हैं। संविधान की दसवीं अनुसूची में स्पीकर को अयोग्यता तय करने के अधिकार दिये गए हैं जिसे यह फैसला रोकता है। इस फैसले के मुताबिक अगर कोई सदस्य स्पीकर को हटाने की मंशा का नोटिस देता है उसी समय से स्पीकर के सदस्यों की अयोग्यता तय करने पर रोक लग जाती है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई व्यवस्था बिल्कुल सही

महाराष्ट्र के मामले में ऐसा करके बाद में राजनैतिक स्थिति बदल दी गई। बुधवार को एकनाथ शिंदे गुट की ओर से पेश हरीश साल्वे और नीरज किशन कौल ने सिब्बल की मांग का विरोध करते हुए कहा कि नबम रेबिया फैसला बिल्कुल सही है उसमें किसी तरह की छेड़छाड़ की जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा कि अगर रिमूवर नोटिस के दौरान भी स्पीकर को अयोग्यता तय करने की छूट दी गई तो वह अपने खिलाफ होने वाले मतदान को प्रभावित कर सकता है। नीरज किशन कौल ने कहा कि महाराष्ट्र का मामला हयूमन कैपिटल के फ्री फ्लो का नहीं था। वह मामला पार्टी के अंदर नेता को लेकर असहमति का था। उसमें पार्टी बदलने की बात नहीं है। सिर्फ नेता उद्धव ठाकरे के प्रति सदस्यों ने असहमति जताई थी।

लोकतंत्र में पार्टी के अंदर असहमति होती है। महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। मेहता ने कहा कि वह इस मामले में किसी भी पार्टी की तरफदारी या विरोध नहीं कर रहे सिर्फ कानूनी स्थिति रख रहे हैं। नबम रेबिया मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई व्यवस्था बिल्कुल सही है।

मेहता ने जब भारत में बहुदलीय राजनीति और चुनाव से पहले और चुनाव के बाद राजनैतिक दलों के बीच होने वाले गठबंधनों का हवाला दिया और महाराष्ट्र में चुनाव पूर्व भाजपा और शिवसेना गठबंधन का जिक्र किया तो कोर्ट ने सवाल किया कि राज्यपाल की ओर से ये दलीलें कैसे रखी जा सकती हैं। सिब्बल ने भी दलीलों का विरोध किया। मेहता ने कहा कि वह किसी के पक्ष में नहीं हैं सिर्फ कानूनी स्थिति कोर्ट के सामने रख रहे हैं। मामले में गुरुवार को भी सुनवाई होगी।

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