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Abdul Karim Telgi: Scam 2003 के ट्रेलर ने फिर से खोला स्टांप पेपर के मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी का चैप्टर

कर्नाटक के एक छोटे से गांव से निकलकर मुंबई में अपनी घाक जमाने वाला स्टाम्प पेपर स्कैम का मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी की कहानी आज भी देश को हिला कर रख देती है। ट्रेनों में खाने-पीने का सामान बेचने से लेकर जाली स्टांप पेपर का घोटाला करने तक का अब्दुल का सफर काफी रोमांचक रहा है। अब्दुल ने स्टाम्प पेपर से लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया था।

By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 07 Aug 2023 03:29 PM (IST)
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स्टाम्प पेपर स्कैम का मास्टरमाइड अब्दुल करीम तेलगी (Image: Jagran Graphic)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Scam 2003 Abdul karim Telgi: 'पैसा कमाया नहीं, बनाया जाता है', 'स्कैम 2003-द तेलगी स्टोरी' का ट्रेलर तो आप सभी ने देख लिया होगा, लेकिन आपको ये पता है कि देश का इतना बड़ा फाइनेंशियल स्कैम करने वाला ये शख्स था कौन?

हम 1992 में हुए 5 हजार करोड़ रुपये का स्कैम करने वाले गुजराती भाई हर्षद मेहता की नहीं बल्कि अब्दुल करीम तेलगी की बात कर रहे है। 2003 का स्कैम इतना बड़ा था कि मैथमेटिशियन के देश में जीरो कम पड़ गए थे। ये स्कैम 30 हजार करोड़ रुपये का था। खेल अगर इतना बड़ा था तो सोचिए इसका खिलाड़ी कितना बड़ा होगा।

लाइफ में आगे बढ़ने की चाह में अब्दुल करीम ने कुछ डेयरिंग किया और वो था स्टाम्प पेपर स्कैम। आइये आपको ले चलते है 2003 के उस दौर में जहां स्टाम्प पेपर स्कैम का पर्दफाश हुआ था। साथ ही जानते है इस स्कैम के मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी के बारे में।

2003 स्कैम क्या है?

पत्रकार और समाचार रिपोर्टर संजय सिंह की किताब ‘रिपोर्टर की डायरी’ पर आधारिक स्कैम 2003 में उस घोटाले का जिक्र किया गया है, जिसने देश का पूरा सिस्टम हिला कर रख दिया था। अब्दुल करीम तेलगी ने मुंबई में कदम रखा और फिर ट्रैवल एजेंट के रूप में काम किया। करीम का काम उस समय केवल फर्जी डाक्यूमेंट और स्टाम्प पेपर बनाकर सऊदी अरब भेजने तक सीमित था।

1993 में पुलिस की नजर में आए और उन्हें जेल हो गई। जेल में अब्दुल की मुलाकात स्टाम्प विक्रेता राम रतन सोनी से हुई। राम रतन फर्जी शेयर कागजात के लिए सजा काट रहा था। सोनी ने अब्दुल की दिलचस्पी शेयर मार्केट में कराई। जेल से बाहर आने के बाद तेलगी ने कुछ डेयरिंग करने का ठाना और वो था फर्जी स्टाम्प पेपर की दुनिया में कदम रखना। उसके कांड का खुलासा साल 2000 में हुआ था।

बेंगलुरू से पुलिस ने 2 लोगों को फर्जी स्टाम्प पेपर के साथ गिरफ्तार किया। स्टाम्प पेपर की शक की सुई पुलिस को तेलगी तक ले गई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के हाथ में ये केस था। 2001 में जाली स्टाम्प पेपर बनाने के आरोप में अब्दुल को गिरफ्तार किया गया और 2007 में उन्हें 30 साल की कैद की सजा सुनाई गई।

कौन था 2003 स्कैम का मास्टरमाइंड अब्दुल?

29 जुलाई 1961 को कर्नाटक के एक छोटे से पंचायत शहर खानापुर में तेलगी का जन्म हुआ। पिता रेलवे में काम करते थे। निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में तेलगी के पिता की मौत होने के बाद वह ट्रेनों में खाने-पीने का सामान बेचने लगे। पैसों की मांग ने तेलगी को सऊदी अरब पहुंचाया, लेकिन वह वापस भारत लौट आए। यहां तेलगी ने कथित तौर पर नकली पासपोर्ट बनाने में अपना हाथ आजमाया और फिर नकली स्टाम्प पेपर बनाना शुरू कर दिया।

क्या है स्टाम्प पेपर?

भारत में कानूनी दस्तावेजों को प्रमाणित करने के लिए स्टाम्प पेपर का उपयोग किया जाता है। सरकार उन्हें पंजीकृत विक्रेताओं के माध्यम से बेचती है। इनकी लागत 10 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये आदि होती है। यह राशि कुछ समझौतों को पूरा करते समय सरकार को भुगतान की जाती है। भुगतान की गई राशि राज्य सरकारों को जाती है।

कैसे हुआ स्टाम्प पेपर घोटाला?

कई कानूनी कागजी कार्रवाई को पूरा करने के लिए स्टाम्प और स्टाम्प पेपर का इस्तेमाल उस समय काफी किया जाता था। इसी का फायदा तेलगी ने उठाया। माना जाता है कि तेलगी के साथ भारतीय सुरक्षा प्रेस के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत थी, जिसने पूरे देश में उसके अवैध कारोबार को फैलाने में मदद की। जिसे भी कागजात की जरूरत होती तेलगी उन्हें अपने नकली कागजात बेच डालता। उनके खरीदारों में आम लोग, बैंक, ब्रोकरेज और बीमा कंपनियां शामिल थी। यह घोटाला पूरे 1990 के दशक तक जारी रहा।

कैसे पकड़ा गया तेलगी? देखें टाइमलाइन

  • नकली स्टाम्प पेपर का एक मामला 1991 में और दूसरा 1995 में दर्ज किया गया था। लेकिन मुंबई पुलिस की ढीली जांच के कारण थी तेलगी बचता रहा।
  • 2002 में, पुणे सिटी पुलिस के उप-निरीक्षक रमाकांत काले को उनके बेटे, कांस्टेबल अजीत काले से एक गुप्त सूचना मिली।
  • इस गु्प्त सूचना के आधार पर पुलिस ने पुणे में नकली स्टाम्प पेपर बेचने के आरोप में कुछ लोगों को गिरफ्तार।
  • इन लोगों से पूछताछ से मिली जानकारी से पुणे पुलिस अब्दुल करीम तेलगी तक पहुंची।
  • 2001 में जालसाजी के आरोप में पहले भी तेलगी को गिरफ्तार किया गया था और बेंगलुरु जेल में बंद रहे।
  • जनता के बढ़ते दबाव के बीच, महाराष्ट्र सरकार ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया।
  • यहां से तेलगी की उल्टी गिनती शुरू हो गई।
  • जांच के दौरान कई शीर्ष पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं के नाम सामने आए थे।
  • एसआईटी ने 2003 में महाराष्ट्र के धुले से समाजवादी जनता पार्टी के विधायक अनिल गोटे को गिरफ्तार किया।
  • 1 दिसंबर, 2003 को मुंबई के कमिश्नर आर एस शर्मा को तेलगी को बचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
  • अगस्त 2004 में, CBI ने तेलगी के खिलाफ एक लंबा आरोप पत्र दायर किया।

तेलगी के खिलाफ आरोप और जुर्माना

2005 में, कर विभाग ने पहली बार तेलगी के खिलाफ 120 करोड़ रुपये की मांग की। बता दें, यह किसी व्यक्ति के खिलाफ सबसे अधिक कर मांगों में से एक थी। 2007 में, तेलगी को घोटाले का दोषी ठहराया गया और 30 साल की कैद सुनाई गई।

कोर्ट ने इस मामले में 43 अन्य आरोपियों को सजा सुनाई थी, जो तेलगी द्वारा नियुक्त किए गए लोग थे। पुलिस हिरासत में रहते हुए, तेलगी कथित तौर पर एड्स से पीड़ित हो गए थे। 2017 में, मुंबई के एक अस्पताल में मल्टी-ऑर्गन फेल्योर से उनकी मौत हो गई थी।