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वायु प्रदूषण के कणों पर कोरोना वायरस का चला पता, ज्यादा प्रदूषित इलाके में देखा गया उच्च संक्रमण

इटली के वैज्ञानिकों ने बर्गामो प्रांत के एक शहरी और एक औद्योगिक स्थल पर बाहरी वायु प्रदूषण के नमूने एकत्र करने के लिए मानक तकनीकों का इस्तेमाल किया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Updated: Sun, 26 Apr 2020 10:49 PM (IST)
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वायु प्रदूषण के कणों पर कोरोना वायरस का चला पता, ज्यादा प्रदूषित इलाके में देखा गया उच्च संक्रमण
नई दिल्ली, जेएनएन। वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण के कणों पर कोरोना वायरस का पता लगाया है। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह वायु प्रदूषण के जरिये अधिक दूरी तक जाने में सक्षम हो सकता है और संक्रमित लोगों की संख्या को बढ़ा सकता है। शोध अभी प्रारंभिक चरण में है। यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि क्या वायरस प्रदूषण के कणों पर इतनी मात्रा में रह सकता है कि बीमारी का कारण बन सके।

इटली के वैज्ञानिकों ने बर्गामो प्रांत के एक शहरी और एक औद्योगिक स्थल पर बाहरी वायु प्रदूषण के नमूने एकत्र करने के लिए मानक तकनीकों का इस्तेमाल किया। कई नमूनों में कोविड-19 के विशिष्ट जीन की पहचान की। एक स्वतंत्र प्रयोगशाला में परीक्षण द्वारा इस पहचान की पुष्टि की गई।

वायु प्रदूषण के कण वायरस को आगे बढ़ने में कर सकते हैं मदद

इटली के बोलोग्ना विश्वविद्यालय के लियोनार्डो सेट्टी, जिन्होंने शोध का नेतृत्व किया, ने कहा कि यह जांच करना महत्वपूर्ण है कि क्या वायु प्रदूषण द्वारा वायरस को अधिक व्यापक रूप से ले जाया जा सकता है। उन्होंने कहा, मैं एक वैज्ञानिक हूं। जब मैं नहीं जानता, तो मैं चिंतित होता हूं। अगर मैं जानता हूं, तो समाधान पा सकता हूं। लेकिन अगर नहीं जानता, तो केवल परिणाम भुगतना पड़ता है। दो अन्य अनुसंधान समूहों ने सुझाव दिया है कि वायु प्रदूषण के कण कोरोना वायरस को हवा में आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं।

शोध में और जांच की है आवश्यकता

सेट्टी की टीम द्वारा एक सांख्यिकीय विश्लेषण से पता चलता है कि लॉकडाउन लागू होने से पहले उत्तरी इटली के कुछ हिस्सों में ज्यादा प्रदूषण से संक्रमण की उच्च दरों की व्याख्या की जा सकती है। यह क्षेत्र यूरोप के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक है। सेट्टी की टीम द्वारा किए गए अध्ययनों में से किसी की भी समीक्षा नहीं की गई है। इसलिए स्वतंत्र वैज्ञानिकों द्वारा इसका समर्थन नहीं किया गया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि उनका शोध प्रशंसनीय है और जांच की आवश्यकता है।

पिछले अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण के कण रोगाणुओं को पनाह देते हैं और इसके जरिये बर्ड फ्लू, खसरा और अन्य बीमारियों के संक्रमण की संभावना रहती है। वायु प्रदूषण के कणों की संभावित भूमिका व्यापक प्रश्न से जुड़ी है कि कोरोना वायरस कैसे फैलता है? संक्रमित लोगों की खांसी और छींक से वायरस से भरी बड़ी बूंदें एक या दो मीटर के भीतर जमीन पर गिर जाती हैं। लेकिन, बहुत छोटी बूंदें हवा में मिनटों से घंटों तक रह सकती हैं और आगे की यात्रा कर सकती हैं।