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SCO Summit में भी इशारों-इशारों में पाकिस्तान को लताड़, पीएम मोदी का संदेश- आतंकियों को पनाह देने वालों को अलग-थलग करना होगा

SCO Summit विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कजाकिस्तान की अध्यक्षता में अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में पीएम मोदी की ओर से ये संदेश पढ़ा। एससीओ को एक सिद्धांत-आधारित संगठन बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस समय यह जरूरत है कि हम अपनी विदेश नीतियों के आधार के रूप में संप्रभुता स्वतंत्रता क्षेत्रीय अखंडता में हस्तक्षेप न करें।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Thu, 04 Jul 2024 04:04 PM (IST)
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SCO Summit पीएम मोदी ने दिया एससीओ समिट को संदेश।
एजेंसी, अस्ताना। आतंकवाद को सुरक्षित पनाह देने वाले देशों को अब अलग-थलग करना होगा। किसी भी रूप की अभिव्यक्ति में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब इसे बेनकाब करना ही होगा। ये बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ समिट (SCO Summit) के अपने संदेश में कही।

SCO समिट में मोदी का संदेश

दरअसल, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कजाकिस्तान की अध्यक्षता में अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन में पीएम मोदी की ओर से ये संदेश पढ़ा। एससीओ को एक सिद्धांत-आधारित संगठन बताते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि इस समय यह जरूरत है कि हम अपनी विदेश नीतियों के आधार के रूप में संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता में हस्तक्षेप न करें।

पाकिस्तान को इशारों-इशारों में कड़ा संदेश देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमें दूसरे देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों के विपरीत कोई भी कदम न उठाने पर भी सहमति व्यक्त करनी होगी। इसी के साथ पीएम ने आतंकवाद से निपटने को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।

आतंकवाद दुनिया के लिए खतरा

पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि अगर आतंकवाद को अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सीमा पार आतंकवाद का निर्णायक जवाब देने की आवश्यकता है और आतंकवाद के वित्तपोषण और भर्ती का दृढ़ता से मुकाबला किया जाना चाहिए।

आतंकवाद से निपटने के लिए वैश्विक समुदाय से कार्रवाई का आह्वान करते हुए, पीएम मोदी ने कहा, "ऐसा करते समय, स्वाभाविक रूप से आतंकवाद से निपटने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो एससीओ के मूल लक्ष्यों में से एक है। हममें से कई लोगों के पास ऐसे अनुभव हैं, जो अक्सर हमारी सीमाओं से परे उत्पन्न होते हैं। हमें यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। किसी भी रूप या अभिव्यक्ति में आतंकवाद को क्षमा नहीं किया जा सकता है।"