Move to Jagran APP

पन्ना में 57 साल बाद मिला दूसरा सबसे बड़ा बेशकीमती हीरा

मध्य प्रदेश की रत्नगर्भा पन्ना की धरती में रंक से राजा बनने में समय नहीं लगता है। एक गरीब मजदूर को मंगलवार सुबह उथली खदान से 42 कैरेट का बेशकीमती हीरा मिला।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Tue, 09 Oct 2018 08:18 PM (IST)
Hero Image
पन्ना में 57 साल बाद मिला दूसरा सबसे बड़ा बेशकीमती हीरा
पन्ना, जेएनएन। मध्य प्रदेश की रत्नगर्भा पन्ना की धरती में रंक से राजा बनने में समय नहीं लगता है। एक बार फिर यहां यह देखने को मिला। एक गरीब मजदूर को मंगलवार सुबह उथली खदान से 42 कैरेट 59 सेंट का बेशकीमती जैम क्वालिटी का हीरा मिला। इस हीरे की कीमत करोड़ों रुपए बताई जा रही है।

देखते ही चमक गईं आंखें

जिला मुख्यालय से लगभग 9 किलोमीटर दूर ग्राम कृष्णा कल्याणपुर (पटी) में हीरा विभाग से पट्टा लेकर हीरे की उथली खदान खोद रहे मोतीलाल प्रजापति निवासी बेनीसागर मोहल्ला (पन्ना) ने जब मंगलवार सुबह खदान से निकली कंकड़युक्त चाल (ग्रेवल) को टोकनी में पानी से धोकर जमीन पर सुखाने के लिए पलटा तो उसकी आंखें खुली रह गईं।

उसके सामने एक तेज चमकदार पत्थर था। मोतीलाल और उसके भाई रघुवीर प्रजापति ने जब उस चमकते पत्थर की जांच की तो पता चला कि वह बेशकीमती हीरा है। इस बहुमूल्य हीरे को लेकर दोनों भाई पन्ना स्‍थित जिला हीरा अधिकारी के कार्यालय पहुंचे तो मालूम हुआ कि 57 साल बाद यह दूसरा सबसे बड़ा जैम क्वालिटी का हीरा उन्हें मिला है।

पहले भी मिले हैं बेशकीमती हीरे 

हीरा कार्यालय पन्ना के रिकॉर्ड के अनुसार इससे पहले 15 अक्टूबर, 1961 में रसूल मोहम्मद को महुआटोला की उथली खदान में 44 कैरेट 55 सेंट का सबसे बड़ा हीरा मिला था।  

कैसे होती है बिक्री

हीरा बिक्री के बाद साढ़े 11 प्रतिशत रॉयल्टी व एक प्रतिशत इनकम टैक्स काटा जाता है। पैन कार्ड न होने की स्थिति में 20 प्रतिशत टैक्स काटा जाता है। पैन कार्डधारी बाद में क्लेम करके एक प्रतिशत वापस ले सकते हैं।

नीलामी में बनेगा रिकॉर्ड
हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि मोतीलाल से हीरा प्राप्त कर उसे सरकारी खजाने में जमा करा लिया है। प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद आगामी माह में आयोजित होने वाली हीरों की शासकीय नीलामी में इस हीरे को बिक्री के लिए रखा जाएगा। उन्होंने इस हीरे की अनुमानित कीमत तो नहीं बताई, सिर्फ इतना ही कहा कि इसकी नीलामी का रिकॉर्ड बनेगा।

डेढ़ माह की खुदाई में मिला हीरा
मोतीलाल ने 22 सितंबर को उथली खदान का पट्टा लिया था। उसे महज 18 दिन में ही मेहनत का फल मिल गया। मोतीलाल का कहना है कि अब हमारी जिंदगी बदल जाएगी। हीरा की बिक्री से जो रुपए मिलेंगे, उससे हमारा पूरा परिवार सुख-चैन से रहेगा। बच्चों के विवाह करने के बाद जो राशि बचेगी उससे कोई व्यवसाय करूंगा।

एक माह के अंतराल में मिला दूसरा जैम क्वालिटी का हीरा
पिछले माह 14 सितंबर को जनकपुर के एक किसान को खेत में लगी उथली खदान में जैम क्वालिटी का हीरा मिला था, जिसकी कीमत करीब 35 लाख थी।

क्‍या होती है उथली खदान
हीरे की खुदाई के लिए सरकार की ओर से खदानें पट्टे पर दी जाती है। खदानें जो बड़ी होती हैं, उन्हें बड़ी कंपनियां संचालित करती हैं। इसके अलावा खेतों में भी जमीन के कुछ हिस्से को पट्टे पर दिया जाता है। यह पट्टे अकसर खेत मालिक या मजदूर वर्ग के लोग ले लेते हैं। वे अपने स्तर पर यहां खुदाई करते हैं। इसी छोटी जमीन पर हीरे की खुदाई की व्यवस्था को उथली खदान कहा जाता है।