तो आज भी जिंदा हैं द्वितीय विश्वयुद्ध में गिराए गए बम, कहीं-कभी हो न जाए बड़ा हादसा
द्वितीय विश्व युद्ध में लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं शामिल थीं। यह पहला मौका नहीं है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराए गए बम को जिंदा बरामद किया गया है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 30 Dec 2018 11:51 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस बंदरगाह के पास हुगली नदी में की जा रही ड्रेजिंग (गाद हटाने का काम) के दौरान शुक्रवार को दूसरे विश्वयुद्ध के समय का एक विशालकाय बम मिलने से हड़कंप मच गया। अमेरिकी सेना द्वारा निर्मित यह बम करीब 450 किलोग्राम का है। 1942 से 1945 के बीच चीन-बर्मा (वर्तमान में म्यांमार)-भारत के युद्धक्षेत्र में अमेरिकी सेना ने इसी तरह के बमों का प्रयोग किया था।विशेषज्ञों का कहना है कि इसके फटने से करीब आधा किलोमीटर के दायरे में मौजूद लोगों की जान जा सकती थी। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के कर्मचारियों को पहले लगा कि यह टोरपीडो है। उन्होंने कोलकाता स्थित भारतीय नौसेना के बेस से संपर्क किया। बाद में बम को निष्क्रिय करने के लिए सेना से सहयोग मांगा।
अमेरिका का है मिला बम
पूर्वी कमान के नौसेना ऑफिसर-इन-चार्ज कमांडर सुप्रभो के डे ने बताया कि जांच के दौरान हमने पाया कि इस बम का निर्माण अमेरिकी सेना द्वारा किया गया है। दूसरे विश्वयुद्ध के समाप्त होने के बाद यह यहीं रह गया था। बाद में किसी तरह बम पानी में गिर गया जो अब जाकर मिला। यह पूरी तरह सुरक्षित है। हम इसे निष्क्रिय करने के लिए विशेषज्ञों के संपर्क में हैं। जरूरत पड़ने पर विशाखापत्तनम स्थित नौसेना छावनी से भी सहयोग लिया जाएगा। वहीं, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारी गौतम चक्रवर्ती ने बताया कि बंदरगाह की सफाई के दौरान जब हमें यह विशालकाय बम मिला, हमें तभी संदेह हुआ कि यह दूसरे विश्वयुद्ध के समय का हो सकता है। हमने तुरंत नौसेना और कोलकाता पुलिस को इस बारे में सूचना दी। इसे निष्क्रिय करने के बाद हम इस बम को बंदरगाह में सुरक्षित रखेंगे। गौरतलब है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस बंदरगाह पहले ‘किंग जॉर्ज बंदरगाह’ के नाम से जाना जाता था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया था। करोड़ों लोग मारे गए
आपको बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध करोड़ों लोग मारे गए थे। इस युद्ध में लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं शामिल थीं। यह भी कहा जाता रहा है कि इस युद्ध में करीब 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया था और करीब 5 से 7 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध कहा जाता है। मानव इतिहास के इस भयंकर युद्ध के दौरान कितने बम कहां-कहां गिराए गए यह शायद कहीं भी लिखित में स्पष्ट तौर पर नहीं है। लेकिन अब भी जहां तहां इस दौरान गिराए गए बमों की बरामदगी लोगों को दहशत में ला देती है। कोलकाता में मिला बम इसका ही एक प्रमाण है।
पूर्वी कमान के नौसेना ऑफिसर-इन-चार्ज कमांडर सुप्रभो के डे ने बताया कि जांच के दौरान हमने पाया कि इस बम का निर्माण अमेरिकी सेना द्वारा किया गया है। दूसरे विश्वयुद्ध के समाप्त होने के बाद यह यहीं रह गया था। बाद में किसी तरह बम पानी में गिर गया जो अब जाकर मिला। यह पूरी तरह सुरक्षित है। हम इसे निष्क्रिय करने के लिए विशेषज्ञों के संपर्क में हैं। जरूरत पड़ने पर विशाखापत्तनम स्थित नौसेना छावनी से भी सहयोग लिया जाएगा। वहीं, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारी गौतम चक्रवर्ती ने बताया कि बंदरगाह की सफाई के दौरान जब हमें यह विशालकाय बम मिला, हमें तभी संदेह हुआ कि यह दूसरे विश्वयुद्ध के समय का हो सकता है। हमने तुरंत नौसेना और कोलकाता पुलिस को इस बारे में सूचना दी। इसे निष्क्रिय करने के बाद हम इस बम को बंदरगाह में सुरक्षित रखेंगे। गौरतलब है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस बंदरगाह पहले ‘किंग जॉर्ज बंदरगाह’ के नाम से जाना जाता था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया था। करोड़ों लोग मारे गए
आपको बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध करोड़ों लोग मारे गए थे। इस युद्ध में लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं शामिल थीं। यह भी कहा जाता रहा है कि इस युद्ध में करीब 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया था और करीब 5 से 7 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध कहा जाता है। मानव इतिहास के इस भयंकर युद्ध के दौरान कितने बम कहां-कहां गिराए गए यह शायद कहीं भी लिखित में स्पष्ट तौर पर नहीं है। लेकिन अब भी जहां तहां इस दौरान गिराए गए बमों की बरामदगी लोगों को दहशत में ला देती है। कोलकाता में मिला बम इसका ही एक प्रमाण है।
लंदन
हालांकि यह पहला मौका नहीं है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराए गए बम को जिंदा बरामद किया गया है। इसी वर्ष यूरोप के कई देशों में इस तरह के बम बरामद किए गए थे। इसी वर्ष फरवरी में ऐसा ही एक बम लंदन की टेम्स नदी में मिला, जिसके बाद वहां अफरातफरी मच गई।इस शक्तिशाली जिंदा बम के मिलने की सूचना के बाद यहां से रवाना होने वाली सभी उड़ानों को रद कर दिया गया। बरामद हुए इस बम का वजन करीब 500 किलोग्राम बताया गया है। यह जॉर्ज वी डॉक के नजदीक बरामद हुआ। यह बम लंदन सिटी एयरपोर्ट के नजदीक मिला था। ब्रिटिश नौसेना और पुलिस ने इस बम को दो दिन बाद निकाल लिया। यह बम करीब डेढ़ मीटर लंबा है। इसे जर्मनी ने लंदन पर गिराया था। माना जा रहा है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लंदन पर हुई जर्मनी के विमानों की बमबारी के समय यह बम बिना फटे टेम्स नदी में गिर गया था।
हालांकि यह पहला मौका नहीं है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराए गए बम को जिंदा बरामद किया गया है। इसी वर्ष यूरोप के कई देशों में इस तरह के बम बरामद किए गए थे। इसी वर्ष फरवरी में ऐसा ही एक बम लंदन की टेम्स नदी में मिला, जिसके बाद वहां अफरातफरी मच गई।इस शक्तिशाली जिंदा बम के मिलने की सूचना के बाद यहां से रवाना होने वाली सभी उड़ानों को रद कर दिया गया। बरामद हुए इस बम का वजन करीब 500 किलोग्राम बताया गया है। यह जॉर्ज वी डॉक के नजदीक बरामद हुआ। यह बम लंदन सिटी एयरपोर्ट के नजदीक मिला था। ब्रिटिश नौसेना और पुलिस ने इस बम को दो दिन बाद निकाल लिया। यह बम करीब डेढ़ मीटर लंबा है। इसे जर्मनी ने लंदन पर गिराया था। माना जा रहा है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लंदन पर हुई जर्मनी के विमानों की बमबारी के समय यह बम बिना फटे टेम्स नदी में गिर गया था।
मार्च 2017 में भी लंदन के एक स्कूल के पास दूसरे विश्व युद्ध का बम मिला था। करीब ढाई सौ किग्रा वजनी यह बम स्कूल के नजदीक ब्रॉड्सबरी पार्क में जमीन में गड़ा मिला था। रॉयल इंजीनियर्स ने बाद में इसको सफलतापूर्वक डिफ्यूज कर दिया था।
फ्रांस
मार्च 2012 में फ्रांस के मरसिली में एक निर्माणाधीन इमारत में काम के दौरान मजदूरों को यहां पर दूसरे विश्व युद्ध का बम मिला था। एक टन वजनी यह बम जर्मनी ने फ्रांस पर गिराया था। इसको निष्क्रय करने से पहले यहां पर इलाके को खाली करवाया गया था। इसको जमीन से सुरक्षित निकालकर सावधानी से मिलिट्री बेस तक ले जाया गया था जहां इसको निष्क्रय किया गया। इस बम का पता तब चला था जब जमीन के अंदर इसका एक हिस्सा धमाके के साथ उड़ गया था। सुरक्षकर्मियों के मुताबिक यह बम शक्तिशाली तो था ही लेकिन इतने वर्षों तक जमीन में होने के बाद भी यह काम कर रहा था।ग्रीस
अप्रेल 2017 में ग्रीस के दूसरे सबसे बड़ा शहर थेस्सालोनिकी में एक गैस स्टेशन के नीचे 226 किलो का बम दबा हुआ मिला था। यह शहर के बीचों-बीच बने गैस स्टेशन से तब मिला, जब वहां फ्यूल टैंक की मरम्मत का काम किया जा रहा था। इसके मिलने के बाद शहर से 1.2 मील के दायरे में रहने वाले करीब 70 हजार लोगों को दूर भेज दिया गया। ग्रीक मिलिट्री ने इसके बाद इस बम को सफलतापूर्वक डिफ्यूज किया था। जर्मनी
अगस्त 2017 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर से एक जिंदा बम मिला था। इसको सुरक्षित खत्म करने की लिए इस इलाके के 80 हजार लोगों को जगह खाली करने का फरमान सुनाया गया था। यह बम 1400 किलो का था और यह ब्रिटेन का था। इसके धमाके से आसपास की कई इमारतें ध्वस्त हो सकती थीं। यह बम एक इमारत के निर्माण कार्य के दौरान मिला था जिसमें 1.4 टन विस्फोटक पदार्थ था। इसको वहां की आर्मी ने सफलतापूर्वक निष्क्रय कर दिया था। इससे पहले वर्ष 2016 में भी जर्मनी के आउग्सबुर्ग शहर में दूसरे विश्व युद्ध में गिराया गया एक जिंदा बम मिला था। इसकी वजह से पूरे शहर को खाली करना पड़ा था। यह बम करीब दो टन वजनी था। आउग्सबुर्ग में मिला यह अब तक का सबसे बड़ा बम था जिसे ब्रिटेन की सेना ने गिराया था। हांगकांग
इसी वर्ष जनवरी में हांगकांग में पुलिस को द्वितीय विश्व युद्ध के समय का एक बम मिला था जिसे एक घंटे चले अभियान के बाद सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया गया था। यह बम वांचाई नगर की घनी बस्ती में एक निर्माणाधीन इमारत के पास मजदूरों को दिखाई दिया था। इसका वजन करीब 1000 पाउंड था। इससे पहले भी यहांं इस तरह के बम मिल चुके हैं। इसको सफलतापूर्वक निष्क्रय करने के लिए पुलिस ने यहां के करीब 2000 लोगों को इलाके से दूर हटने का निर्देश दिया था। यह एक सामान्य बम था जिसकी विखंडन क्षमता 1000 मीटर से 2000 मीटर तक थी। पुलिस का कहना था कि यह एएन-एम65 बम अमेरिका ने 1941 से 1945 के बीच गिराया होगा।
मार्च 2012 में फ्रांस के मरसिली में एक निर्माणाधीन इमारत में काम के दौरान मजदूरों को यहां पर दूसरे विश्व युद्ध का बम मिला था। एक टन वजनी यह बम जर्मनी ने फ्रांस पर गिराया था। इसको निष्क्रय करने से पहले यहां पर इलाके को खाली करवाया गया था। इसको जमीन से सुरक्षित निकालकर सावधानी से मिलिट्री बेस तक ले जाया गया था जहां इसको निष्क्रय किया गया। इस बम का पता तब चला था जब जमीन के अंदर इसका एक हिस्सा धमाके के साथ उड़ गया था। सुरक्षकर्मियों के मुताबिक यह बम शक्तिशाली तो था ही लेकिन इतने वर्षों तक जमीन में होने के बाद भी यह काम कर रहा था।ग्रीस
अप्रेल 2017 में ग्रीस के दूसरे सबसे बड़ा शहर थेस्सालोनिकी में एक गैस स्टेशन के नीचे 226 किलो का बम दबा हुआ मिला था। यह शहर के बीचों-बीच बने गैस स्टेशन से तब मिला, जब वहां फ्यूल टैंक की मरम्मत का काम किया जा रहा था। इसके मिलने के बाद शहर से 1.2 मील के दायरे में रहने वाले करीब 70 हजार लोगों को दूर भेज दिया गया। ग्रीक मिलिट्री ने इसके बाद इस बम को सफलतापूर्वक डिफ्यूज किया था। जर्मनी
अगस्त 2017 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर से एक जिंदा बम मिला था। इसको सुरक्षित खत्म करने की लिए इस इलाके के 80 हजार लोगों को जगह खाली करने का फरमान सुनाया गया था। यह बम 1400 किलो का था और यह ब्रिटेन का था। इसके धमाके से आसपास की कई इमारतें ध्वस्त हो सकती थीं। यह बम एक इमारत के निर्माण कार्य के दौरान मिला था जिसमें 1.4 टन विस्फोटक पदार्थ था। इसको वहां की आर्मी ने सफलतापूर्वक निष्क्रय कर दिया था। इससे पहले वर्ष 2016 में भी जर्मनी के आउग्सबुर्ग शहर में दूसरे विश्व युद्ध में गिराया गया एक जिंदा बम मिला था। इसकी वजह से पूरे शहर को खाली करना पड़ा था। यह बम करीब दो टन वजनी था। आउग्सबुर्ग में मिला यह अब तक का सबसे बड़ा बम था जिसे ब्रिटेन की सेना ने गिराया था। हांगकांग
इसी वर्ष जनवरी में हांगकांग में पुलिस को द्वितीय विश्व युद्ध के समय का एक बम मिला था जिसे एक घंटे चले अभियान के बाद सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया गया था। यह बम वांचाई नगर की घनी बस्ती में एक निर्माणाधीन इमारत के पास मजदूरों को दिखाई दिया था। इसका वजन करीब 1000 पाउंड था। इससे पहले भी यहांं इस तरह के बम मिल चुके हैं। इसको सफलतापूर्वक निष्क्रय करने के लिए पुलिस ने यहां के करीब 2000 लोगों को इलाके से दूर हटने का निर्देश दिया था। यह एक सामान्य बम था जिसकी विखंडन क्षमता 1000 मीटर से 2000 मीटर तक थी। पुलिस का कहना था कि यह एएन-एम65 बम अमेरिका ने 1941 से 1945 के बीच गिराया होगा।