नीरव के प्रत्यर्पण मामले में काटजू के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के लिए अटॉर्नी जनरल से मंजूरी देने की मांग
अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव (Alakh Alok Srivastava) ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (Attorney General KK Venugopal) को एक पत्र सौंपा है इसमें सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी गई है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Wed, 03 Mar 2021 07:12 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसियां। अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव (Alakh Alok Srivastava) ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (Attorney General KK Venugopal) को एक पत्र सौंपा है इसमें सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी गई है। आपराधिक अवमानना की कार्यवाही को लेकर यह सहमति नीरव मोदी के प्रत्यर्पण (Nirav Modi) मामले में काटजू की कथित अपमानजनक टिप्पणियों के लिए मांगी गई है।
मालूम हो कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू (Markandey Katju) ने कथित तौर पर टिप्पणी की थी कि भारत में नीरव की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी क्योंकि न्यायपालिका में ज्यादातर लोग भ्रष्ट हैं। इसके बाद भारत सरकार की ओर से बहस करते हुए यूके की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस ने काटजू के लिखित और मौखिक दावों का प्रतिरोध किया था।
बैरिस्टर हेलन मैल्कम ने कहा था कि आप एक आत्म प्रचारक हैं जो मीडिया को सुर्खियां देने के लिए कोई भी अपमानजनक बयान देंगे। उल्लेखनीय है कि हाल ही में ब्रिटेन की अदालत ने नीरव मोदी की याचिका खारिज करते हुए उसके भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। ब्रिटिश अदालत में जज सैमुअल गूजी ने काटजू के दलिलों की धज्जियां उड़ा कर रख दी थी और कहा था कि काटजू की दलीलें भरोसे के लायक नहीं हैं।
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक न्यायाधीश सैमुअल गूजी ने कहा था कि काटजू की ओर से पेश गए सबूत गैर विश्वसनीय हैं। अदालत में सोशल मीडिया के लिंक के अलावा मीडिया में छपी खबरें पेश की गईं जिनमें बताने की कोशिश की गई कि नेता इस केस में दखल देने की कोशिश कर रहे हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने काटजू की दलील को खारिज कर दिया कि भारत के जजों ने राजनीतिक रूप से अनुकूल आदेश जारी किए हैं...