किताब में सनसनीखेज दावा- भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों ने ही पठानकोट एयरबेस में जैश आतंकियों को घुसने में की मदद
पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले को लेकर एक किताब में दावा किया गया है कि भ्रष्ट स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने ही एयरबेस में जैश आतंकियों को घुसने में मदद की थी जहां से वो आवासिय परिसर में दाखिल हुए।
By Manish PandeyEdited By: Updated: Sat, 14 Aug 2021 11:32 AM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। साल 2016 में वायुसेना के पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले को लेकर एक किताब में सनसनीखेज दावा किया गया है। इसमें कहा गया है कि 'भ्रष्ट स्थानीय पुलिस अधिकारियों' ने ही एयरबेस में जैश आतंकियों को घुसने में मदद की थी और आतंकियों को उस जगह के बारे में बताया जहां से बिना सुरक्षाबलों की नजर में आए कैंपस में घुसा जा सकता है। इसी रास्ते का इस्तेमाल आतंकियों ने गोला-बारूद, ग्रेनेड, मोर्टार और एके47 रायफल को छुपाकर रखने में किया था। यह दावा पत्रकार एड्रियन लेवी और कैथी स्कॉट-क्लार्क ने अपनी पुस्तक 'स्पाई स्टोरीज: इनसाइड द सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ द रॉ एंड आईएसआई में किया है।
2 जनवरी 2016 को भारतीय सेना की वर्दी पहने आतंकियों के एक दल ने भारत-पाकिस्तान पंजाब सीमा पर रावी नदी से होकर भारत में दाखिल हुए। यहां से उन्होंने कुछ गाड़ियों को कब्जे में लेकर पठानकोट वायु सेना के अड्डे की ओर बढ़ गए। पठानकोट पहुंचकर उन्होंने एक दीवर को पार किया और उसके बाद आवासिय परिसर की और भागे, जहां पर पहली गोलाबारी शुरू हुई थी। इस दौरान चार हमलावर मारे गए और भारतीय सुरक्षा बलों के तीन जवान शहीद हो गए। इस हमले के अगले दिन एक आइइडी विस्फोट में चार और भारतीय सैनिक शहीद हो गए। सुरक्षा बलों को यह सुनिश्चित करने में तीन दिन लग गए कि अब स्थिति उनके नियंत्रण में आ गई है।
किताब के लेखकों ने दावा किया है कि इस हमले को लेकर भारत ने पाकिस्तान पर दबाव बनाकर युद्ध की धमकी दी। वे लिखते हैं, 'लेकिन संयुक्त खुफिया जानकारी द्वारा बनाई गए आंतरिक रिपोर्टिंग पूरी ईमानदारी से बनाइ गई थी। इसमें स्वीकार किया गया कि 'लगातार चेतावनी के बावजूद' सुरक्षा के कई महत्वपूर्ण चूक हुई थी। पंजाब की सीमा के 91 किलोमीटर से अधिक इलाके की घेराबंदी नहीं की गई थी। इसमें आगे कहा गया है, 'कम से कम चार रिपोर्टों ने सुझाव दिया था कि नदियां और सूखे नाले संवेदनशील स्थान थे, लेकिन उन पर कोई जाल नहीं लगाया गया था। छह लिखित अनुरोधों के बावजूद कोई अतिरिक्त गश्त नहीं बढ़ाई गई थी। निगरानी तकनीक और गतिविधियों पर नजर रखने वाले उपकरणों को तैनात नहीं किया गया था।
उन्होंने बीएसएफ के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि सीमा सुरक्षा बल की संख्या जमीन पर कम है क्योंकि उसने कश्मीर में अपनी गतिविधियों को बढ़ाया है और अधिक कर्मियों के लिए उसके अनुरोधों को बार-बार अनदेखा किया गया था। पठानकोट हमले पर लेवी और स्कॉट-क्लार्क का कहना है कि आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने 350 किलो विस्फोटक के लिए भुगतान किया था, लेकिन इसे भारत में खरीदा गया।किताब में कहा गया है, 'भ्रष्ट स्थानीय पुलिस अधिकारियों सहित अन्य भारतीय सहयोगियों पर आतंकियों के लिए एयरबेस की तलाशी लेने का संदेह था। इनमें से एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी को एक ऐसा क्षेत्र मिला था जहां ज्यादा सुरक्षा नहीं थी। यहां फ्लडलाइट्स नीचे थीं, और न ही कोई निगरानी उपकरण था। परिसर की दीवार के बगल में एक बड़ा पेड़ था, जिसे एक लिखित रिपोर्ट में सुरक्षा खतरे के रूप में पहचाना गया था।
एक आइबी मामले की जांच करने वाले अधिकारी ने लेखकों को बताया कि 'स्थानिय पुलिस अधिकारी या उसका एक सहयोगी ने ऊपर चढ़कर दिवर पर एक रस्सी बांध दी थी। हमलावरों ने इसका इस्तेमाल '50 किलो से अधिक गोला-बारूद, और 30 किलो ग्रेनेड, मोर्टार और एके'47 को पहुंचाने में किया था। भारी हथियारों से लैस जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकवादी हवाई अड्डे में घुस गए, जिसमें छह सैनिक और एक अधिकारी की मौत हो गई। भारतीय सुरक्षा बलों ने चार आतंकियों को मार गिराया।