J&K में माहौल बिगाड़ने को वायरल किए जा रहे ये Fake Photos, तस्वीरें देख जानें सच
Article 370 खत्म होने के बाद वहां की फर्जी फोटो वायरल कर देश-विदेश में भारत की छवि व माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। आप भी देखें- ये तस्वीरें और रहें सतर्क।
By Amit SinghEdited By: Updated: Sat, 10 Aug 2019 09:06 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म करने के साथ ही घाटी में शांति कायम रखने के लिए इंटरनेट और फोन सेवाएं बंद हैं। बावजूद देश के अन्य हिस्सों में इंटरनेट पर तमाम फर्जी तस्वीरों को वायरल किया जा रहा है। इनमें से ज्यादातर फोटो वर्षों पुरानी हैं। बावजूद, वायरल पोस्ट में इन फोटो को घाटी की वास्तविक और ताजा फोटो बताकर माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। यहां हम आपको ऐसी ही कुछ फर्जी वायरल फोटो दिखा रहे हैं, ताकि आप भी उसकी सच्चाई जान सकें और सतर्क रहें।
माहौल बिगाड़ने वाले में देश के अलगाववादी विचारधारा के लोगों के साथ ही कुछ आम लोग भी शामिल हैं, जो अनजाने में इन वायरल फोटो को सोशल मीडिया पर फारवर्ड करने में जुटे हैं। इतना ही नहीं, पाकिस्तान भी इस साजिश में शामिल है। पाकिस्तान की तरफ से भी घाटी का माहौल बिगाड़ने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने के लिए तमाम फर्जी फोटो को वायरल किया जा रहा है। इसमें एक फर्जी फोटो ऐसी है, जिसका पाकिस्तान ने दूसरी बार भारत को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया है। दोनों बार इस फर्जी फोटो के लिए पाकिस्तान को ही फजीहत का सामना करना पड़ा।
ये तस्वीर पाकिस्तानी पत्रकार आमीर अब्बास द्वारा चार अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर की दयनीय स्थिति और भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा स्थानीय लोगों पर की जा रही ज्यादती की झूठी कहानी को दिखाने के लिए ट्वीट की गई है। वास्तविकता में ये फोटो भारत की है ही नहीं। ये फोटो गाजा की है।
इससे पहले भी सितंबर 2017 में पाकिस्तान ने इसी फोटो को यूनाइटेड नेशन्स में दिखाया था। यूएन में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने इस फोटो को दिखाकर भारत में कश्मिरियों पर हो रही बर्बता का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। उन्होंने इसे भारत में मुस्लिमों व कश्मीरियों पर हो रहे अत्याचार के सबूत के तौर पर पेश किया था। वास्तविकता में ये फोटो 17 साल की एक फिलिस्तीनी युवती (Palestinian girl) की है। ये फोटो वर्ष 2014 में गाजा इलाके में खींची गई थी। युवती इजरायत द्वारा किए गए एक हमले में छर्रे लगने से घायल हुई थी। इस फोटो के लिए फोटोग्राफर हेदी लेविन (Heidi Levine) को पुरस्कृत भी किया गया था।
ये फोटो भी पाकिस्तानी पत्रकार आमीर अब्बास द्वारा चार अगस्त 2019 को पहली फोटो के साथ ही ट्वीट की गई थी। इसे भी कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा किये जा रहे अत्याचार के तौर पर पेश किया गया है। वास्तविकता में ये फोटो वास्तविकता में ये फोटो न्यूज एजेंसी रायटर्स की है, जिसे फरवरी 2004 में खींचा गया था। इस फोटो में दोनों कश्मीरी लड़कियां अपने एक रिश्तेदार को गिरफ्तार किए जाने पर रोती दिख रही हैं। उसे श्रीनगर में एक बम धमाके के आरोप में स्थानीय पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
इन दोनों फर्जी फोटो के साथ आमीर अब्बास ने भारतीय सेना के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। साथ ही उन्होंने भारत की छवि खराब करने का प्रयास किया था। ट्वीट की पहली फोटो ऐसी है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान दो बार भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बदनाम करने के लिए कर चुका है।जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद इस फोटो को शरारती तत्वों द्वारा कुछ व्हाट्स एप ग्रुप पर ये कहकर शेयर किया जा रहा है कि फोटो में दिख रहीं बंदूकें जम्मू-कश्मीर की एक मस्जिद से बरामद हुई हैं। इसे घाटी या भारत में अशांति फैलाने के लिए रखा गया था। पोस्ट में ये भी दावा किया जा रहा है कि सुरक्षा बलों ने इन बंदूकों को बरामद किया है। वास्तविकता ये है कि ये सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये फोटो ये फोटो 10 दिसंबर 2018 को फुरकान बट नाम के एक फेसबुक यूजर द्वारा उसकी प्रोफाइल फोटो के तौर पर यूज की गई थी।ये फोटो भी शरारती तत्वों द्वारा कुछ व्हाट्स एप पर ये कहकर शेयर की जा रही है कि फोटो में दिख रहीं तलवारें जम्मू-कश्मीर की एक मस्जिद से बरामद हुई हैं।तलवारों वाली इन दोनों फोटो को भी अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद व्हाट्स एप पर इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि हथियारों का ये जखीरा कश्मीर की एक मस्जिद से बराम किया गया है। तलवारों वाली इन दोनों फोटो की वास्तविकता ये है कि ये फोटो पांच मार्च 2016 को गुजरात पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए हथियारों के तस्कर से बरामदगी की है। पुलिस ने हथियारों की तस्करी में पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया था।व्हाट्स एप व सोशल मीडिया पर ये फोटो काफी तेजी से वायरल हो रही है। इस वायरल फोटो के साथ दावा किया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म करने के बाद केंद्र सरकार ने वहां की सभी मस्जिदों को अपने कब्जे में ले लिया है। वास्तविकता ये है कि फोटो में खड़े दिख रहे मुस्लिमों को उत्तर प्रदेश की शामली पुलिस द्वारा 29 जुलाई 2016 को गिरफ्तार किया गया था। इसमें चार म्यांमार के नागरिक हैं और तीन लोग स्थानीय मदरसों सं संबंधित हैं। पुलिस ने इन लोगों को अवैध दस्तावेज, विदेश मुद्रा और कई मोबाइल फोन के साथ संदिग्ध गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया था।इस सैनिक की फोटो कुछ दिनों से फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर काफी तेजी से वायरल हो रही है। कहीं इसे जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा रोके जाने के बाद वहां शुरू हुई आक्रामक सैन्य कार्रवाई के तौर पर दिखाया गया है, तो कहीं इसे अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद लोगों के गुस्से और सैन्य कार्रवाई के तौर पर वायरल किया जा रहा है। वास्तविकता में ये फोटो कुछ दिन पहले उस वक्त खींची गई थी, जब शोपिया जिले में सेना और चरमपंथियों के बीच मुठभेड़ चल रही थी। ये फोटो स्थानीय फोटोग्राफर फैसल बशीर ने खींची थी। बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया था कि सेना ने एनकाउंटर स्थल की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर नाकेबंदी लगा रखी थी। ये सैनिक एनकाउंटर स्थल से काफी दूर, नाकेबंदी में तैनात था। इस एनकाउंटर में दो चरमपंथियों, एक आम नागरिक और एक भारतीय सैनिक की मौत हुई थी।तुर्की के अली केस्किन ने ये फोटो ट्वीट कर लिखा है कि भारतीय सेना कश्मीरियों और उन लोगों का कत्ले-आम कर रही है जो भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म करने का विरोध कर रहे हैं। फोटो में फुटपात पर पड़े एक युवक के शव के पास तीन वर्दीधारी भी दिख रहे हैं। बताया जाता है कि वर्ष 2000 के शुरूआती दिनों में ये युवक एक मुठभेड़ में मारा गया था। इसके बाद से ये फोटो कई बार सोशल मीडिया पर थोड़े-थोड़े अंतराल पर वायरल हो चुकी है। 2010-11 में और दिसंबर 2017 में भी ये फोटो काफी तेजी से वायरल हुई थी। मतलब साफ है कि ये फोटो कश्मीर के ताजा हालात की बिल्कुल नहीं है और इसे बिना सोचे-समझे या गलत नीयत से ट्वीट किया गया है।सोशल मीडिया पर इस फोटो को भी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के खिलाफ स्थानीय लोगों के विरोध के तौर पर प्रदर्शित किया जा रहा है। बीबीसी की एक खबर के अनुसार जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छिनने के बाद से ही ये तस्वीर भारत और पाकिस्तान दोनों जगह वायरल हो रही है। इसके साथ दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर अनुच्छेद-370 खत्म करने के बाद कश्मीर के ताजा हालात की है। सच्चाई ये है कि ये फोटो करीब एक साल पुरानी है, जब घाटी में ये अफवाह फैल गई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से 35ए हटा ली है। इसके बाद घाटी में कई जगह हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इस फोटो को सोपोर में फोटोग्राफर पीरजादा वसीम ने 27 अगस्त 2018 को खींचा था।अब आइये आपको कश्मीर के ताजा हालात की कुछ झलक दिखाते हैं, जिसमें घाटी में न केवल शांति, बल्कि एक सुकून का भी अनुभव किया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद घाटी में सुरक्षा मुस्तैद कर दी गई है। घाटी में हजारों की संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं, ताकि स्थानीय लोग खुद को सुरक्षिम महसूस कर सकें और अलगाववादियों को घाटी को भड़काने का कोई मौका न मिले। इसी सुरक्षा और सुकून के पल में ये बच्चा घाटी में तैनात सीआरपीएफ की महिला सुरक्षा कर्मी संग हाथ मिलाता है और दोनों एक-दूसरे को सैल्यूट करते हैं। फोटो में दोनों के चेहरे पर खुशी और सुकून साफ देखा जा सकता है। ये घाटी के ताजा हालात की फोटो है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।घाटी के ताजा हालात की ये फोटो भी दो दिन पुरानी है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म करने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार घाटी में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने गए थे। इस दौरान उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात भी की। मुलाकात में उन्होंने स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया। साथ ही उन्होंने लोगों को घाटी के बेहतर भविष्य के लिए आश्वस्त किया। फोटो में लोगों के चेहरे पर सुकून साफ देखा जा सकता है।यह भी पढ़ें-
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