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Bomb बनाते हुए गंवा दिया हाथ, बम धमाके में ही हुई सजा; अब्दुल करीम 'टुंडा' की कुंडली पढ़ लीजिए

1993 Serial Blast Case सीरियल बम ब्लास्ट मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को आज बरी कर दिया गया। टुंडा को दाऊद का करीबी माना जाता है। टुंडा 1996 से 1998 के बीच हुए कई सीरियल ब्लास्ट का आरोपी भी है। अब्दुल करीम का पाकिस्तान से क्या कनेक्शन है और उसे टुंडा के नाम से क्यों जाना जाता है।आइए उसके बारे में सब कुछ जानें...

By Mahen Khanna Edited By: Mahen Khanna Updated: Thu, 29 Feb 2024 03:15 PM (IST)
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Abdul Karim Tunda अब्दुल करीम उर्फ टुंडा कौन है।
जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 1993 सीरियल बम ब्लास्ट मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को आज बरी कर दिया गया है। अजमेर की टाडा कोर्ट ने टुंडा को (1993 serial blasts) बरी करने का फैसला सुनाया है, वहीं इरफान और हमीदुद्दीन को सजा सुनाई है।

टुंडा को दाऊद का करीबी माना जाता है। टुंडा (Abdul Karim Tunda) पर 1996 से 1998 के बीच हुए कई सीरियल ब्लास्ट का आरोपी है। अब्दुल करीम का पाकिस्तान से क्या कनेक्शन है और उसे टुंडा के नाम से क्यों जाना जाता है।आइए, उसके बारे में सब कुछ जानें...

दिल्ली में जन्मा है टुंडा

83 वर्षीय अब्दुल करीम उर्फ टुंडा दिल्ली के दरियागंज इलाके में पैदा हुआ है और गाजियाबाद के पिलखुवा में पला बढ़ा है। टुंडा 1980 तक अपनी होम्योपैथिक दवाइयों की दुकान चलाता था। हालांकि, इसके बाद वो राम मंदिर आंदोलन होने और विवादित ढांचा ढहने के बाद आतंकी संगठनों के संपर्क में आ गया और फिर पाकिस्तान चला गया।

लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आया टुंडा

टुंडा इसके बाद 1993 में लश्कर-ए-तैयब के संपर्क में आया और उसके मुखिया हाफिज सईद से भी पाकिस्तान जाकर मुलाकात की। टुंडा पर 1996 से 1998 के बीच दिल्ली, लुधियाणा, पानीपत, कानपुर और वाराणसी में हुए सीरियल ब्लास्ट करवाने के आरोप हैं। 

2013 में सीबीआई ने किया गिरफ्तार

टुंडा को वर्ष 2013 में सीबीआई ने बम धमाकों को लेकर नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया। टुंडा पर बम धमाके करने के साथ-साथ युवाओं को आतंकी ट्रेनिंग देने का भी आरोप लगा है। 

कई बार मरने की फैली अफवाह

अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के मारे जाने की भी कई बार अफवाह फैली। साल 2000 से 2005 तक कई बार ऐसी खबरें आई जिसमें उसके मारे जाने की बात कही गई। हालांकि, 2005 में अब्दुल रजाक मसूद के पकड़े जाने के बाद ये खुलासा हुआ कि टुंडा जिंदा है। 

ये भी सामने आया कि टुंडा ही जम्मू-कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा को फैलाने का काम कर रहा है।

अब्दुल करीम से 'टुंडा' कैसे पड़ा नाम

अब्दुल करीम को टुंडा के नाम से जाना जाता है। दरअसल, 1986 में एक बम बनाने के दौरान हुए विस्फोट में अब्दुल करीम ने अपना बायां हाथ खो दिया था। उसके बाद से अब्दुल करीम को अपंग यानी टुंडा के नाम से जाने जाना लगा।