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IMEC Project: भारत-मध्य एशिया कॉरिडोर पर इजरायल विवाद का साया, 60 दिनों के भीतर होनी थी सदस्य देशों की पहली बैठक

इजरायल-फलस्तीन विवाद की वजह से खाड़ी क्षेत्र के देशों में तनाव पसरा हुआ है। इसका असर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर पर हो सकता है। जानकारी के मुताबिक इजरायल पर हमास आतंकी संगठन के हमले के बाद जो स्थिति पैदा हुई है उसको देखते हुए खाड़ी क्षेत्र के कुछ देश कॉरिडोर की प्लानिंग को लेकर अभी जल्दबाजी के मूड में नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 15 Oct 2023 06:42 PM (IST)
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भारत-मध्य एशिया कॉरिडोर पर इजरायल विवाद का साया (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इजरायल-फलस्तीन विवाद की वजह से खाड़ी क्षेत्र के देशों में तनाव पसरा हुआ है। इसका असर बाहरी दुनिया के आर्थिक हालातों पर तो नहीं हुआ है, लेकिन इस बात के संकेत है कि इस तनाव का पहला असर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (IMEC) पर हो सकता है।

पिछले महीने 09 सितंबर, 2023 को जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली में आईएमईसी की घोषणा कॉरिडोर से जुड़े प्रमुख देशों के शीर्ष नेताओं ने की थी और यह भी बताया गया था कि इसको लेकर सदस्य देशों की पहली बैठक 60 दिनों के भीतर होगी। बैठक को लेकर सदस्य देशों के बीच विमर्श भी चल रहा था और संबंधित देशों के अधिकारियों की पहली बैठक नई दिल्ली में कराने के विकल्प पर भी बात हुई थी।

जल्दबाजी के मूड में नहीं खाड़ी क्षेत्र के कुछ देश

जानकारी के मुताबिक, इजरायल पर हमास आतंकी संगठन के हमले के बाद जो स्थिति पैदा हुई है उसको देखते हुए खाड़ी क्षेत्र के कुछ देश कॉरिडोर की प्लानिंग को लेकर अभी जल्दबाजी के मूड में नहीं है। कुछ इस तरह के संकेत वैश्विक कारोबार पर शोध करने वाली एजेंसी जीटीआरआई ने भी अपनी ताजी रिपोर्ट में दिए हैं। यह रिपोर्ट शनिवार को जारी की गई है।

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रिपोर्ट में क्या कुछ कहा गया?

रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी संगठन हमास के इजरायल पर हमले और उसके बाद वहीं तनावपूर्ण स्थिति की वजह से सिर्फ खाड़ी क्षेत्र में शांति भंग होने का खतरा पैदा नहीं हो गया है, बल्कि यह इस क्षेत्र की अभी तक की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना आईएमईसी के लिए भी दिक्कतें पैदा करने वाला साबित हो सकता है।

आईएमईसी को खाड़ी के जिन देशों के साथ इजरायल के खराब संबंध रहे हैं उनके बीच रिश्तों को सुधारने वाला भी बताया जा रहा था। इजरायल का एक बंदरगाह इस कॉरिडोर के साथ जोड़े जाने की योजना है। यही वजह है कि इसकी घोषणा का इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी स्वागत किया था।

आईएमईसी का भविष्य अब पूरी तरह से अनिश्चित

जीटीआरआई का कहना है कि आईएमईसी का भविष्य अब पूरी तरह से अनिश्चित है। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने एक दिन पहले कहा है कि इजरायल-फलस्तीन युद्ध का आईएमईसी की योजना पर कोई असर नहीं हुआ है। वित्त मंत्री माराकेश (मोरक्को) में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में यह बात कही है।

वैसे कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने हमास के हमले के पीछे आईएमईसी की योजना को धक्का पहुंचाना भी बताया है। इनका कहना है कि कई शक्तियां यह बात पसंद नहीं कर रही हैं कि इजरायल और सउदी अरब के बीच शांति स्थापित हो।

PM मोदी-बाइडन की अध्यक्षता में हुई थी IMEEC की बैठक

सनद रहे कि जी-20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) के दिन ही पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Modi) और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) की अध्यक्षता में आईएमईसी की बैठक हुई थी जिसमें सउदी अरब, यूरोपीय संघ, मॉरीशस, जर्मनी, इटली, फ्रांस और यूएई के शीर्ष नेता भी उपस्थित थे।

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तब पीएम मोदी ने कहा था कि यह कॉरिडोर भारत और यूरोप के बीच आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देगा। इस कॉरिडोर के जरिए भारत के पश्चिमी समुद्री सीमा पर स्थित चार बड़े बंदरगाहों को खाड़ी क्षेत्र में स्थित दुबई, हाईफा व अलहदीथा पोर्ट से जोड़ने की योजना है। रेल नेटवर्क भी इस कॉरिडोर का एक अहम हिस्सा होने वाला है। इसे चीन की कनेक्टिविटी परियोजना बीआरआईए का भी जवाब बताया था। बहरहाल, इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर स्थिति साफ होने में अब वक्त लगेगा।