'भारत को बनना पड़ेगा मोटी चमड़ी', शशि थरूर ने किसके लिए और क्यों कही ये बात?
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने हिंदी विद्वान फ्रांसेस्का ओरसिनी के निर्वासन पर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने भाजपा नेता स्वपन दासगुप्ता के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि मामूली वीजा उल्लंघन के कारण विदेशी विद्वानों को निकालना देश की छवि को नुकसान पहुंचाता है। ओरसिनी को वीजा नियमों के उल्लंघन के आरोप में डिपोर्ट किया गया था, जिसके बाद इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी स्कॉलर फ्रांसेस्का ओरसिनी को वीजा शर्तों का उल्लंघन करने के लिए दिल्ली से डिपोर्ट किए जाने के एक हफ्ते बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा है कि भारतीय सरकार को मोटी चमड़ी, बड़ा दिमाग और बड़ा दिल रखने की जरूरत है। उन्होंने यह प्रतिक्रिया भाजपा के पूर्व सांसद स्वपन दासगुप्ता के एक कॉलम के जवाब में दी।
उन्होंने कहा था कि सरकार को नियमों का पालन पक्का करना चाहिए, लेकिन किसी प्रोफेसर की स्कॉलरशिप का आकलन करना उसका काम नहीं है। दासगुप्ता ने कहा, "भारत को इस बात से सावधान रहना चाहिए कि ऐसा न लगे कि उसने विदेशी स्कॉलर्स के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं।"
स्वपन दासगुप्ता की बात से सहमत शशि थरूर
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए शशि थरूर ने कहा कि वह स्वपन दासगुप्ता की बात से सहमत हैं। उन्होंने कहा, "विदेशी विद्वानों और शिक्षाविदों को मामूली वीजा उल्लंघन के कारण देश से निकालने के लिए हमारे एयरपोर्ट इमिग्रेशन काउंटर पर 'अनचाही चटाई' बिछाना, एक देश, एक संस्कृति और एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरोसेमंद देश के तौर पर हमें इतना नुकसान पहुंचा रहा है, जितना विदेशी एकेडमिक जर्नल्स में छपे किसी भी नेगेटिव आर्टिकल से कभी नहीं हो सकता।"
थरूर ने X पर पोस्ट में कहा, "आधिकारिक भारत को मोटी चमड़ी, बड़ा दिमाग और बड़ा दिल बनाने की जरूरत है।"
क्या है मामला?
ओरसिनी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में प्रोफेसर एमेरिटा हैं, उन्हें वीजा की शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप में 21 अक्टूबर को दिल्ली एयरपोर्ट से डिपोर्ट कर दिया गया था। वह हांगकांग से आई थीं और उन्हें भारत में एंट्री नहीं दी गई थी। अधिकारियों ने कहा कि वह टूरिस्ट वीजा पर थी और वीजा की शर्तों को तोड़ने के बाद मार्च में उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।
सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार, विदेशी नागरिकों को वीजा एप्लीकेशन जमा करते समय बताए गए दौरे के मकसद का सख्ती से पालन करना होगा।
कौन हैं ओरसिनी?
इटैलियन नागरिक ओरसिनी ने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन जाने से पहले कैम्ब्रिज में पढ़ाया था। उन्होंने हिंदी स्कॉलर के तौर पर बहुत काम किया है और अपनी किताब, द हिंदी पब्लिक स्फीयर 1920-1940: लैंग्वेज एंड लिटरेचर इन द एज ऑफ नेशनलिज्म के लिए भी जानी जाती हैं। उनके देश निकाले पर इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

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