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'मेरे पास जेम्स बॉन्ड की तरह लाइसेंस था', थरूर ने UN अधिकारी से क्यों मांगी थी लिखने की अनुमति? सुनाया 45 साल पुराना किस्सा

Shashi Tharoor New Book Launch कांग्रेस सांसद शशि थरूर अपनी शानदार अंग्रेजी और अनोखे शब्दों के चयन के लिए जाने जाते हैं। साथ ही वह कई किताबें भी लिख चुके हैं। शुक्रवार को उनकी नई किताब द वंडरलैंड ऑफ वर्ड्स का विमोचन हुआ। इस दौरान उन्होंने लेखन के प्रति अपना प्यार साझा करते हुए 45 साल पुराना किस्सा सुनाया कि कैसे उन्हें लिखने के लिए लाइसेंस मांगना पड़ा था।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 31 Aug 2024 07:56 PM (IST)
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नई दिल्ली में अपनी पुस्तक विमोचन के अवसर पर शशि थरूर। (Photo- ANI)
पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर की नई किताब "द वंडरलैंड ऑफ वर्ड्स" का शुक्रवार को विमोचन हुआ। इस दौरान उन्होंने अपनी लिखने की आदत के बारे में बताते हुए संयुक्त राष्ट्र से जुड़ा 45 साल पुराना किस्सा भी सुनाया।

गौरतलब है कि थरूर राजनीति में प्रवेश करने से पहले कई वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र में काम कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। अपनी शानदार अंग्रेजी और अनोखे शब्दों के चयन के लिए मशहूर थरूर ने बुक लॉन्च के मौके पर बताया कि 1970 के दशक में संयुक्त राष्ट्र में उनके कार्यकाल के शुरुआती दिनों के दौरान उन्हें लिखने की अनुमति मांगनी पड़ी थी।

कर्मचारियों के लिए थी सख्त आचार संहिता 

एजेंसी पीटीआई के अनुसार थरूर ने बताया कि उनकी लिखी पहली कहानी 10 साल की उम्र में एक भारतीय अंग्रेजी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। वहीं 11 साल की उम्र से पहले द्वितीय विश्व युद्ध में एक एंग्लो-इंडियन लड़ाकू पायलट पर आधारित उनका लिखा उपन्यास एक अखबार में प्रकाशित हुआ था। बुक लॉन्च के मौके पर लेखन के प्रति अपना प्यार साझा करते हुए थरूर ने बताया कि कैसे वह संयुक्त राष्ट्र में लिखना जारी रखने में कामयाब रहे।

उन्होंने बताया कि यूएन में कर्मचारियों के लिए सख्त आचार संहिता होती है। उन्होंने कहा, 'मुझे लिखने की आदत हो गई और फिर मैं बचपन में इन सभी भारतीय पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित होता रहा। इस कीड़े ने मुझे कभी नहीं छोड़ा। मैं अक्सर जॉर्ज बर्नार्ड शॉ की प्रसिद्ध पंक्ति कोट करता था, जिसमें वह कहते हैं कि मैं उसी कारण से लिखता हूं, जिस कारण से एक दूध गाय देती है। आप जानते हैं कि यह मेरे अंदर है, इसे बाहर आना ही होगा।'

यूएन अधिकारी से मांगी लिखने की अनुमति

थरूर ने बताया कि 1978 में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) में एक स्टाफ सदस्य के रूप में शामिल होने के बाद वह लिखने की अनुमति मांगने के लिए कार्मिक प्रमुख के पास पहुंचे। उन्होंने कहा, 'तो, मैं कार्मिक प्रमुख के पास मामला रखने गया कि अगर लोग सप्ताहांत में क्रिकेट खेल सकते हैं या कोई अन्य कार्य कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकता? तो, मुझे बताया गया कि हां, आपको लिखने के लिए अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते कि आप किसी भी सदस्य देश को नाराज न करें।

'जेम्स बॉन्ड की तरह लाइसेंस'

थरूर ने कहा कि यही एकमात्र शर्त थी, इसलिए उन्हें अनुमति मिल गई। उन्होंने कहा, 'मैं मजाक करता था कि जैसे जेम्स बॉन्ड के पास हत्या करने का लाइसेंस था, वैसे ही मेरे पास लिखने का लाइसेंस है और इसलिए मुझे हर साल उस अनुमति को नवीनीकृत कराना होगा।' बता दें कि 2007 तक यूएन में अपने करियर के दौरान, थरूर ने "रीज़न्स ऑफ स्टेट", "द ग्रेट इंडियन नॉवेल", "द फाइव डॉलर स्माइल एंड अदर स्टोरीज़", और "इंडिया: फ्रॉम मिडनाइट टू मिलेनियम" सहित कई फिक्शन और नॉन-फिक्शन किताबें लिखीं हैं।