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शहरी विकास के लिए नसीहत है शिमला की स्मार्ट बनने की कोशिश, 209 प्रोजेक्ट में से 150 पूरे होने की दहलीज पर

शिमला स्मार्ट सिटी मिशन के प्रोजेक्ट हेड अजित भारद्वाज के अनुसार हमने भविष्य के लिहाज से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर ध्यान दिया है इसीलिए पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित फुटपाथ बनाने के साथ पार्किंग पर सबसे अधिक ध्यान दिया गया है। शिमला में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 709 करोड़ के 209 प्रोजेक्ट हैं जिनमें से 150 पूरे होने की दहलीज पर हैं।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 03 Jul 2023 06:58 PM (IST)
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प्रोजेक्ट हेड अजित भारद्वाज ने कहा, हमने भविष्य के लिहाज से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर ध्यान दिया है।
नई दिल्ली, मनीष तिवारी। शहरी विकास और उनमें क्षमता निर्माण के बड़े उद्देश्य के लिहाज से स्मार्ट सिटी मिशन के प्रभाव का एक उदाहरण शिमला हो सकता है, जो इससे जुड़ी कई परियोजनाओं के बल पर अपनी बुनियादी समस्याओं का हल निकालने की ओर भी अग्रसर है और भावी चुनौतियों के लिहाज से भी खुद को तैयार कर रहा है।

बाटम अप एप्रोच पर किया जा रहा शहर का विकास

केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में शामिल स्मार्ट सिटी मिशन ने देश के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शामिल शिमला को पैदल यात्रियों के सुरक्षित-सुगम आवागमन के लिए पाथवे, अहम स्थानों की दूरियां घटाने के लिए फुटओवर ब्रिजों और सबसे बड़ी चुनौती मानी जाने वाली पार्किंग की समस्या से निपटने के लिए जगह निकालने का अहम अवसर दिया है। प्रोजेक्ट छोटे हैं, लेकिन असर बड़ा।

शहरी कार्य मंत्रालय के प्रवक्ता राजीव जैन कहते हैं- शिमला में स्मार्ट सिटी मिशन के प्रोजेक्ट शहरी विकास के लिए बाटम अप एप्रोच यानी समाधान धरातल से निकालने की कोशिश के उदाहरण हैं। आज के दौर में शहरी विकास दोतरफा विषय है-ऊपर से नीति का निर्धारण और जमीन से वास्तविक जरूरत के आधार पर बनने वाली योजनाएं। इस लिहाज से शिमला के चयन अहम हैं।

शिमला में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 709 करोड़ के 209 प्रोजेक्ट हैं, जिनमें से 150 पूरे होने की दहलीज पर हैं। अकेले सर्कुलर रोड पर पैदलयात्रियों के लिए लगभग 25 किलोमीटर लंबे सुरक्षित फुटपाथ का निर्माण केवल इस शहर के लोगों की पहली जरूरत नहीं है, बल्कि यह हर रोज यहां आने वाले हजारों लोगों के लिए भी सबसे बड़ी सहायता है। एक पहाड़ी शहर में वाहनों के आवागमन के बीच पैदल चलना बहुत जोखिम भरा होता है।

इन प्रोजेक्टों के बारे में शिमला नगर निगम ने सोचा, राज्य में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने उन्हें प्रस्तावित किया और केंद्र सरकार ने मंजूरी दी। यह कितना जरूरी है, इसका उदाहरण डब्ल्यूएचओ की हाल की एक रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि देश में 90 प्रतिशत पैदलयात्री जोखिम में घिरे होते हैं। शिमला में हर दिन बढ़ते वाहनों के साथ यह जोखिम तो मौसम की चुनौतियों के कारण और अधिक गंभीर है।

राज्य के सबसे प्रमुख अस्पताल इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीएमएस) हिमाचल के लिए वही महत्व रखता है जो पूरे देश के लिए एम्स। यहां हर दिन 20 से 25 हजार लोग इलाज के लिए आते हैं। इनके लिए आइजीएमएस तक का सफर भी जोखिम भरा था, क्योंकि खराब मौसम के दिनों में बर्फबारी मरीजों के साथ उनके तीमारदारों के लिए खतरा बढ़ा देती थी। संजौली चौक से आइजीएमएस तक 1500 किलोमीटर के आल वेदर पाथवे के जरिये ये खतरा टल चुका है।

मल्टी लेवल पार्किंग कम करेंगी व्यस्त सड़कों का बोझ 

शिमला स्मार्ट सिटी मिशन के प्रोजेक्ट हेड अजित भारद्वाज के अनुसार हमने भविष्य के लिहाज से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर ध्यान दिया है, इसीलिए पैदल चलने वालों के लिए सुरक्षित फुटपाथ बनाने के साथ पार्किंग पर सबसे अधिक ध्यान दिया गया है। छोटी-बड़ी लगभग 40 पार्किंग इस मिशन के तहत विकसित की जा चुकी हैं। मैदानी क्षेत्रों के लोगों को इस पर आश्चर्य हो सकता है कि शिमला में दस वाहनों के लिए भी पार्किंग जगह निकालना बड़ी बात है। ऐसे में सचिवालय के पास विकास नगर में बन रही 150 वाहनों की मल्टीलेवल पार्किंग कितनी अहम है, इसे समझा जा सकता है।

यहां स्मार्ट सिटी मिशन के तीन प्रोजेक्टों की एक सीरीज है, पार्किंग, लिफ्ट और स्काईवाक। इन तीनों के संयोजन से विकास नगर से सचिवालय की दूरी 10 मिनट की रह जाएगी, जो अभी 40 मिनट की है और चार किलोमीटर के चक्कर वाली भी। शिमला में केवल स्मार्ट सिटी मिशन ने पांच हजार वाहनों की पार्किंग विकसित की गई है और यह एक बड़ी उपलब्धि है। अस्पतालों और दफ्तरों के लिए बन रहीं मल्टी लेवल पार्किंग व्यस्त सड़कों का बोझ कम करेंगी।