सूखे इलाकों में आएगी बाढ़ तो बाढ़ वाले इलाकों में होगा सूखा! सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट
भारत में लगातार मौसम का कहर जारी है और कई राज्य एवं जिले लगातार इससे प्रभावित हैं। गर्मियों के मौसम में सूखा झेलने के बाद अब भारी बारिश ने कई राज्यों में तबाही मचाई है। एक रिपोर्ट में भारत में मौसम को लेकर चिंता जताई गई है और इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया गया है। साथ ही और भी कई चिंताजनक दावे इस रिपोर्ट में किए गए हैं।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आईपीई ग्लोबल एवं ईएसआरआइ इंडिया की ओर से शुक्रवार को जारी रिपोर्ट 'स्टेट ऑफ एक्सट्रीम क्लाइमेट इवेंटस इन इंडिया' में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अध्ययन में बीते एक दशक में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी मौसमी घटनाओं में पांच और बाढ़ की घटनाओं में चार गुना बढ़ोतरी देखी गई है।
इसके मुताबिक, पूर्वी भारत के जिले बाढ़ की घटनाओं के लिए अधिक संवेदनशील हैं। इसके बाद देश के उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी भागों का स्थान है। देश के 85 प्रतिशत से अधिक जिले बाढ़, सूखा, चक्रवात और लू की आशंका से ग्रस्त हैं। इनमें 45 प्रतिशत जिले ऐसे हैं, जहां पहले पारंपरिक रूप से बाढ़ का खतरा था, अब वहां सूखे की स्थिति पैदा हो रही है और सूखे वाले इलाके में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
सूखे की घटनाओं में दोगुना वृद्धि
त्रिपुरा, केरल, बिहार, पंजाब, झारखंड के जिलों में पारंपरिक जलवायु परिस्थिति में बदलाव की यह प्रवृत्ति सबसे अधिक देखी गई है। अध्ययन से यह भी सामने आया है कि सूखे की घटनाओं में दो गुना वृद्धि हुई है, विशेष रूप से कृषि और मौसम संबंधी सूखे में। चक्रवात की घटनाओं में चार गुना वृद्धि हुई है। बिहार, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और असम के 60 प्रतिशत से अधिक जिले एक से अधिक चरम जलवायु घटनाओं का सामना कर रहे हैं।जलवायु की वर्तमान प्रवृत्ति की वजह से 10 में से नौ भारतीयों को जलवायु परिवर्तन से होने वाली घटनाओं के खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जो पिछली शताब्दी में हुए 0.6 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि का परिणाम है। अध्ययन बताता है कि 2036 तक 147 करोड़ से अधिक भारतीय मौसम से होने वाली घटनाओं से प्रभावित होंगे। अध्ययन में पांच दशक के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए स्थानिक माडलिंग का उपयोग किया गया।