Shraddha Walker Murder Case: बाम्बे हाईकोर्ट ने 'इंटरनेट पर सामग्री तक पहुंच' को ठहराया दोषी, कही यह बड़ी बात
Shraddha Murder Case दिल्ली के बहुचर्चित श्रद्धा वालकर हत्याकांड पर बाम्बे हाई कोर्ट ने भी टिप्पणी की है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने कहा कि ये अपराध इसलिए किए जा रहे हैं क्योंकि इंटरनेट पर सामग्री की बहुत पहुंच है।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Sun, 20 Nov 2022 12:04 PM (IST)
मुंबई, आनलाइन डेस्क। Shraddha Walker Murder Case: देश में इस समय श्रद्धा वालकर हत्याकांड की चर्चा जोरों पर है। मुंबई की रहने वाली श्रद्धा की दिल्ली में उसके लिव इन-पार्टनर ने हत्या कर दी और शव के 35 टुकड़े कर जंगल में फेंक दिया। श्रद्धा की हत्या पर बाम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपंकर दत्ता (Bombay High Court Chief Justice Dipankar Datta) ने कहा कि यह मामला आज के समय में इंटरनेट तक पहुंच के दूसरे पहलू का प्रतिनिधित्व करता है।
'सही दिशा में सोच रही है सरकार'
शनिवार को पुणे में टेलीकाम डिस्प्यूट स्टेटमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) द्वारा आयोजित 'टेलिकाम, ब्राडकास्टिंग, आईटी और साइबर सेक्टर्स में डिस्प्यूट रिजाल्यूशन मैकेनिज्म' विषयक सेमिनार को संबोधित करते हुए जस्टिस दत्ता ने कहा, 'आपने अभी-अभी अखबारों में श्रद्धा हत्याकांड के बारे में पढ़ा है। यह अपराध इसलिए किए जा रहे हैं, क्योंकि इंटरनेट पर सामग्री की बहुत ज्यादा पहुंच है। अब मुझे यकीन है कि भारत सरकार सही दिशा में सोच रही है।'
मजबूत कानून की आवश्यकता
उन्होंने कहा, 'भारतीय दूरसंचार विधेयक मौजूद है और हमें सभी स्थितियों से निपटने के लिए कुछ मजबूत कानून की आवश्यकता है, यदि हम वास्तव में अपने सभी नागरिकों की बिरादरी के लिए न्याय हासिल करने के अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं ताकि प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखा जा सके।'ये भी पढ़ें: Shraddha Murder Case: अब तक आफताब के पिता तक नहीं पहुंच सकी पुलिस, श्रद्धा के दोस्तों से होगी पूछताछ
नए उपकरणों से निजता पर हो सकता है हमला
जस्टिस दत्ता ने कहा, 'नए युग में नए उपकरणों का आविष्कार हो रहा है। 1989 में हमारे पास कोई मोबाइल फोन नहीं था। दो या तीन साल बाद, हमारे पास पेजर्स आ गए। तब हमारे पास मोटोरोला के बड़े मोबाइल हैंडसेट थे और अब वे छोटे फोनों में बदल गए हैं जो हर उस चीज से लैस हैं, जिसकी कोई कल्पना कर सकता है। हालांकि, उन्हें किसी के द्वारा भी हैक किया जा सकता है, जिससे यह हमारी निजता पर हमला हो सकता है।'क्षेत्रीय पीठों की आवश्यकता पर बल
जस्टिस दत्ता ने इस तरह के मामलों की सुनवाई के लिए राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल अधिनियम के अनुरूप क्षेत्रीय पीठों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, 'हमें यह पता लगाना चाहिए कि क्या दिल्ली में एक प्रमुख बेंच (टीडीसैट) होने के बजाय, छह अन्य स्थानों पर बैठने की अनुमति है। हमारे पास राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल अधिनियम के अनुरूप क्षेत्रीय बेंच होनी चाहिए। पूरे भारत में एनजीटी की पांच बेंच हैं।'