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    Video: इंडियन एस्ट्रोनॉट के बारे में क्या सोचते हैं विदेशी? पीएम मोदी के साथ बातचीत में शुभांशु शुक्ला ने खुद बताया

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से मुलाकात की जो ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन पूरा कर भारत लौटे थे। शुभांशु ने पीएम मोदी को अपने स्पेस मिशन के अनुभव बताए और यह भी साझा किया कि विदेशी अंतरिक्ष यात्री भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में क्या सोचते हैं। उन्होंने स्पेस स्टेशन में बिताए दिनों और वहां के वातावरण के बारे में भी जानकारी दी।

    By Digital Desk Edited By: Abhishek Pratap Singh Updated: Tue, 19 Aug 2025 11:28 AM (IST)
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    अंतरिक्ष का अनुभव पीएम मोदी को बताते शुभांशु शुक्ला।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन पूरा कर भारत लौटने के एक दिन बाद हुई। इसका एक वीडियो पीएम मोदी ने शेयर किया, जिसमें शुभांशु ने उन्हें अपने स्पेस मिशन के एक्सपीरियंस के साथ-साथ यह भी बताया कि विदेश के एस्ट्रोनॉट भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में क्या सोचते हैं।

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    पीएम मोदी की ओर से एक्स पर शेयर किए गए वीडियो में शुभांशु ने स्पेस स्टेशन में बिताए अपने दिनों और अनुभवों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जब ऊपर जाते हैं तो वहां का वातावरण अलग है, ग्रेविटी नहीं है। जब स्पेस में पहुंच जाते हैं तो उसी कैप्सूल में घूम फिर सकते हैं।

    'दिल की धड़कने हो जाती हैं धीमी'

    शुभांशु शुक्ला ने कहा, "अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद शारीरिक रूप से भी काफी बदलाव होते हैं। दिल की धड़कनें धीमी हो जाती हैं। चार-पांच दिन के बाद बॉडी उसी वातावरण को अपना लेती है और नॉर्मल हो जाते हैं। फिर जब वापस आते हैं तो फिर से वही बदलाव देखने को मिलते हैं। चाहे आप कितने भी स्वस्थ हों जमीन पर आने के बाद आप चल नहीं सकते।"

    उन्होंने आगे बताया, "मैं पूरी तरह से स्वस्थ था लेकिन जमीन पर पहला कदम रखा तो मैं गिर रहा था। लोगों ने मुझे पकड़ रखा था। पता होता है कि चलना है लेकिन दिमाग को ये स्वीकार करने में समय लगता है कि अब जमीन पर चलना है।"

    मूंग और मेथी के प्रयोग के बारे में क्या बोले शुभांशु?

    उन्होंने कहा, "मुझे इस बात का अचंभा था कि लोगों को इस बारे में पता ही नहीं था। स्पेस स्टेशन पर फूड बहुत बड़ी चुनौती है। जगह कम है, कार्गो महंगा है और भी कई तरह की परेशानियां हैं। स्पेस में इनको उगाना बहुत आसान है। आप छोटी सी जगह में इन्हें उगा सकते हैं, पानी डालिए और आठ से दस दिन में वो अंकुरित हो जाते हैं।"

    भारतीयों को लेकर क्या सोचते हैं विदेशी?

    शुभांशु ने कहा, "मेरा जो व्यक्तिगत अनुभव रहा है, मैं जहां भी गया और जिससे भी मिला तो मुझसे मिलकर सभी लोग बहुत खुश हुए। सबसे बड़ी बात यह थी कि सभी को पता था कि भारत स्पेस के फील्ड में क्या कर रहा है। गगनयान के बारे में कई लोग तो मुझसे आकर पूछते थे कि आपका मिशन कब जा रहा है। मेरे क्रू मेम्बर मुझसे साइन करवाकर लिखकर लेकर गए हैं कि जब भी गगनयान जाएगा तो आप हमें बुलाएंगे। हमें जल्दी से जल्दी आपके व्हीकल में बैठकर जाना है।"

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