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Sigmund Freud Birth anniversary: ख्वाब को पढ़ने वाले सिगमंड फ्रायड, जब नाजियों ने जला दी थी उनकी सभी किताबें

Sigmund Freud Birth Anniversary सपनों के डॉक्टर माने जाने वाले सिग्मंड फ्रायड (Sigmund Freud) का जन्म आज ही के दिन 1856 में हुआ था। फ्रायड का मनोविज्ञान में अवचेतन मन काम ऊर्जा और सपनों के विशलेषण जैसे विषयों में इनका बड़ा योगदान रहा है।

By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 06 May 2023 12:20 PM (IST)
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Sigmund Freud Birth anniversary: ख्वाब को पढ़ने वाले सिगमंड फ्रायड
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Sigmund Freud Birth Anniversary: इंसान सपने देखता हैं लेकिन उन्हें समझने और समझाने का काम ऑस्ट्रियन न्‍यूरोलॉजिस्‍ट सिगमंड फ्रायड ने बखूबी से किया। सपनों के डॉक्टर माने जाने वाले सिग्मंड फ्रायड (Sigmund Freud) का जन्म आज ही के दिन, 1856 में हुआ था।

फ्रायड मनोविज्ञान में एक चिकित्सकीय तकनीक विकसित की जिसे मनोविश्लेषण कहा जाता है। फ्रायड का मनोविज्ञान में अवचेतन मन, काम ऊर्जा और सपनों के विशलेषण जैसे विषयों में इनका बड़ा योगदान रहा है। सिगमंड का निधन साल 1939 में 23 सितंबर को हुआ था।

कौन थे सिग्मंड फ्रायड?

इतिहास के चर्चित न्‍यूरोलॉजिस्‍ट में से एक सिगमंड ने अपनी थ्योरी से इंसान दे दिमाग को समझने की कोशिश की थी। उनके मुताबिक, इंसानों के काम और सपने उसके विचारों के प्रतीक होते हैं। सिग्मंड ने अवचेतन मन को लेकर बेहतरीन थ्योरी दी थी। उन्होंने ID, ईगो और सुपरईगो के जरिए मन का विश्लेषण किया था।

इसके अलावा, सिग्मंड ने काम ऊर्जा पर क्रांतिकारी विचार दिए थे, जिसके कारण उन्हें विरोध झेलना पड़ा था। सिगमंड ने 'एन इंटरप्रिटेशन ऑफ दि ड्रीम्‍स तथा सिविलाइजेशन एंड इट्स कंटेट' जैसी कई पुस्तकें लिखी। इस किताब से उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली थी।

जब सिग्मंड को झेलना पड़ी थी आलोचना

वर्ष 1902 से 1938 तक फ्रायड विएना यूनिवर्सिटी में न्यूरोपैथोलॉजी के प्रोफेसर रहे। इस दौरान उन्हें अपने सिद्धांतों और धारणाओं के लिए काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। चिकित्सा जगत उनके अधिकांश मतों से असहमत थे।

फ्रायड ने अपने विश्लेषणों में सबसे ज्यादा काम ऊर्जा पर जोर दिया। इससे उन्हें काफी आलोचना का भी सामना करना पड़ा। 1923 में उन्होंने मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को तीन हिस्सों आईडी, ईगो और सुपरईगो पर आधारित किया। इसके जरिए फ्रायड ने बताया कि किसी व्यक्ति में कैसे उसके मन में हीन भावना और बुरे विचार हावी होकर बुरे बर्ताव की ओर प्रेरित करते हैं।

कामऊर्जा पर दिया सबसे अधिक जोर

फ्रायड ने अपने विश्लेषणों में सबसे ज्यादा काम ऊर्जा पर जोर दिया,जिससे उन्हें कई विरोध का भी सामना करना पड़ा। उनका ईदिपस मनोग्रंथि का सिद्धांत काफी चर्चा में रहा। उनके मुताबिक, बालक शिशु अपनी मां के प्रति ज्यादा आकर्षित रहता है और शिशु बालिका अपने पिता के प्रति। वहीं संतान अपने विपरीत लिंगी अभिभावक के प्रति क्रोध और नापसंद का भाव रखता है।

जब नाजियों का झेलना पड़ा विरोध

फ्रायड ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में नाजियों का भी काफी विरोध झेला। विरोध में नाजियों ने उनकी सभी किताबें जला दी थी। 1938 में जब नाजियों ने ऑस्ट्रिया पर कब्जा किया था, तब फ्रायड विएना छोड़ अपनी पत्नी और बेटी को लेकर लंदन चले गए थे। बता दें कि उनका 30 से अधिक ऑपरेशन हुआ था, क्योंकि उन्हें मुंह का कैंसर था।