मुंह की खराब सेहत से बढ़ता है लिवर कैंसर का खतरा, ना करें नजरअंदाज; ये हैं संकेत
मसूढ़ों में दर्द व खून आना मुंह में अल्सर बनना और दांतों की कमजोरी को मुंह की खराब सेहत का लक्षण माना गया है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 19 Jun 2019 01:37 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। मुंह की खराब सेहत से हेपाटोसेल्युलर कार्सिनोमा (एचसीसी) का खतरा 75 फीसद तक बढ़ जाता है। एचसीसी लिवर कैंसर का सबसे ज्यादा होने वाला प्रकार है। मुंह की सेहत और लिवर व आंतों के कैंसर के बीच संबंध जानने के लिए किए गए हालिया अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। मसूढ़ों में दर्द व खून आना, मुंह में अल्सर बनना और दांतों की कमजोरी को मुंह की खराब सेहत का लक्षण माना गया है।
इसका संबंध हार्ट अटैक, स्ट्रोक और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी पाया जा चुका है। शोध के दौरान ब्रिटेन के 4,69,628 लोगों को शामिल किया गया था। मुंह की खराब सेहत वाले ज्यादातर प्रतिभागी युवा थे। ऐसे लोग अपने खानपान में फल-सब्जी का कम इस्तेमाल करते थे। वैज्ञानिक अभी यह नहीं जान पाए हैं कि मुंह की खराब सेहत से पेट और आंत के अन्य कैंसर की तुलना में लिवर के कैंसर का खतरा ज्यादा क्यों बढ़ जाता है।लिवर कैंसर की पहचान आमतौर शुरुआती अवस्था में कम हो पाती है। जब रोगी में लिवर कैंसर बढने लगता है तभी इसके लक्षण महसूस किए जाते हैं। लिवर कैंसर, लिवर में होने वाला घातक ट्यूमर है। यह आमतौर पर एक और कैंसर से मेटास्टेसिस के रूप में प्रकट होता है। भूख न लगना, कमजोरी, सूजन, पीलिया और ऊपरी पेट की परेशानी इसके मुख्य लक्षणों में से एक है।
फर्स्ट स्टेज के कई लक्षण
लिवर कैंसर के फर्स्ट स्टेज में शरीर के इंसान में कई बदलाव होते हैं जिनके लक्षण सामान्य स्थिती से बहुत अलग होते है। अगर इन सिथ्तियों पर ध्यान दिया जाए तो इस बीमारी का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और समय रहते डॉक्टर के पास ले जाएं तो मरीज को जल्द ही कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। कभी-कभी जिन रोगियों में लिवर कैंसर पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो जाता है उनके इलाज के लिए डॉक्टर उपशामक थेरेपी की मदद लेते हैं। उपमाशक थेरेपी का मुख्य उद्देशय होता है रोगी को दर्द व अन्य समस्याओं से निजात दिलाकर एक आरामदायक जीवन देना।शारीरिक जांच: शारीरिक जांच जैसे वजन में कमी होने, कुपोषण, कमजोरी, लिवर का बढ़ना और इससे जुड़ी बीमारियां जैसे कि हेपैटाईटिस और सिरोसिस।
- ब्लड टेस्ट: अल्फॉ -फेटोप्रोटीन नामक एक प्रोटीन के बढ़े हुए स्तर की जाँच, जो आपमें लिवर कैंसर का संकेत दे सकता है।
- कम्यू का टेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन, एक प्रक्रिया ट्यूमर की खोज और लोकेशन जानने के लिए जिसमें एक्सक-रे और कम्पयूटर तकनीक का प्रयोग शरीर की अनुप्रस्थ (क्रॉस सेक्शूनल) छवियां निर्मित करने के लिए किया जाता है।
- अल्ट्रा साउंड- इसका उपयोग लिवर कैंसर की खोज और कैंसरयुक्त (मैलिग्नेंथट) तथा कैंसर रहित (सामान्य) ट्यूमरों में अंतर के लिए किया जाता है।
- हेपैटिक आर्टिरी एंजियोग्राम: एक टेस्ट जिसमें एक्स-रे व डाई के जरिए रक्त वाहिनियों में इंजेक्ट की गई। ऐसी रक्त वाहिनियों की जांच की जाती है जो लिवर कैंसर को रक्त पहुंचाती हैं और यह पता लगाया जाता है कि ट्यूमर को सर्जिकल तरीके से हटाया जा सकता है या नहीं।
- मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई)-एक तकनीक जिसमें शरीर के अंदर की बनावट जानने के लिए चुम्बकीय क्षेत्र का प्रयोग होता है। इसमें कम्यूटर टोमोग्राफी या अल्ट्रा साउंड की अपेक्षा अधिक सटीक छवियां निर्मित होती हैं आमतौर से इसकी जरूरत नहीं पड़ती।