अमृतसर [जागरण न्यूज नेटवर्क]। ऑपरेशन ब्लू स्टार की 30 वीं बरसी पर शुक्रवार को गुरु की नगरी अमृतसर बंद रही तो स्वर्ण मंदिर परिसर में खून बहा। अकाल तख्त साहिब में आयोजित कार्यक्रम में बोलने के दौरान विवाद शुरू हुआ जो जल्द ही हिंसक टकराव में तब्दील हो गया। इस दौरान तलवार, कृपाण और लाठियों का एक-दूसरे पर जमकर प्रहार हुआ। घटना में 12 लोग घायल हुए हैं।
By Edited By: Updated: Sat, 07 Jun 2014 03:02 AM (IST)
अमृतसर [जागरण न्यूज नेटवर्क]। ऑपरेशन ब्लू स्टार की 30 वीं बरसी पर शुक्रवार को गुरु की नगरी अमृतसर बंद रही तो स्वर्ण मंदिर परिसर में खून बहा। अकाल तख्त साहिब में आयोजित कार्यक्रम में बोलने के दौरान विवाद शुरू हुआ जो जल्द ही हिंसक टकराव में तब्दील हो गया। इस दौरान तलवार, कृपाण और लाठियों का एक-दूसरे पर जमकर प्रहार हुआ। घटना में 12 लोग घायल हुए हैं। एक सात साल के बच्चे के भी घाव हुआ है। स्थिति अब नियंत्रण में है। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरुबचन सिंह ने घटना के लिए भड़काऊ तत्वों को जिम्मेदार ठहराया है। पुलिस ने देर शाम तक 21 हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया है।
अकाल तख्त में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पहले बोलने की कोशिश में पूर्व आइपीएस अधिकारी सिमरनजीत सिंह मान के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) समर्थक उठ खड़े हुए। जब व्यवस्था कायम रखने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सेवादारों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो टकराव हो गया। इसके बाद खालिस्तान समर्थक नारेबाजी करते हुए मान समर्थक सेवादारों से टकरा गए।
दोनों ओर चली तलवारों और कृपाणों से पूरे मंदिर परिसर में दहशत पैदा हो गई। कार्यक्रम में भाग ले रहे सामान्य लोग खुद को बचाने के लिए भागे। मंदिर में दर्शन के लिए आए अन्य श्रद्धालु भी खतरे से आशंकित होकर सुरक्षित स्थानों के लिए भागे। घटना में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आठ लोग घायल हुए हैं जबकि बाकी के मान समर्थक हैं। कार्यक्रम में भाग लेने आए कई मान समर्थक खालिस्तान की मांग और भिंडरावाला की तस्वीर वाली टी शर्ट पहने थे। अमृतसर के पुलिस कमिश्नर जतिंदर सिंह औलख के अनुसार स्वर्ण मंदिर परिसर में पुलिस की तैनाती नहीं रहती है। बावजूद इसके मंदिर परिसर और उसके बाहर की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। संवेदनशील स्थलों पर अतिरिक्त बल की तैनाती कर दी गई है। सिमरनजीत सिंह मान ने घटना के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और पंजाब में सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल सरकार को जिम्मेदार बताया है। कहा कि ये दोनों उन कठिनाइयों पर चर्चा नहीं चाहते हैं जो सिख समुदाय झेल रहा है। उसी चर्चा को रोकने के लिए यह हिंसा हुई।
उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद बनी स्थितियों के मध्य ही मान ने अपनी नौकरी छोड़कर सिख राजनीति में कदम रखा था और अलगाववादियों के बड़े समर्थक के रूप में उभरे। वह एक बार सांसद भी चुने गए लेकिन तलवार के साथ संसद में प्रवेश नहीं कर सके। 28 पर मामला, 21 अलगाववादी गिरफ्तार
अकाल तख्त साहिब में हुई तलवारबाजी के बाद पुलिस ने 28 अलगाववादियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इनमें से 21 की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। गिरफ्तार लोगों के खिलाफ जान से मारने की नीयत से हमले की धारा के तहत कार्रवाई की जा रही है। क्या है ऑपरेशन ब्लू स्टार छह जून, 1984 को स्वर्ण मंदिर परिसर में अड्डा जमाए जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसके समर्थकों के खिलाफ सेना की कार्रवाई में करीब एक हजार लोग मारे गए थे। सिखों के सबसे प्रमुख और पवित्र धर्मस्थल स्वर्ण मंदिर में हुई इस घटना की व्यापक प्रतिक्रिया हुई थी। इसके पांच महीने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने नई दिल्ली स्थित उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी थी। 'अलगाववादी नेता सिमरनजीत सिंह मान व उनके सहयोगी अमरीक सिंह अजनाला ने अपने साथियों को उकसा कर एसजीपीसी सदस्यों पर कातिलाना हमला करवाया। इसकी जितनी निंदा हो, कम है।' - अवतार सिंह मक्कड़, प्रमुख एसजीपीसी
पढ़ें : ऑपरेशन ब्लू स्टार की यादगार के लिए जगह चुनी