Sikkim floods: दो साल पहले मिली थी ल्होनक झील फटने की चेतावनी, अब सिक्किम में मच रहा मौत का तांडव
Sikkim floods जर्नल जियोमार्फोलाजी में प्रकाशित 2021 के अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि दक्षिण लोनाक झील में पिछले दशकों में ग्लेशियर के पीछे हटने के कारण इसके क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है और इसके चलते ग्लेशियर झील के विस्फोट से बाढ़ (जीएलओएफ) की संभावना बढ़ गई है। जीएलओएफ तब होता है जब ग्लेशियर के पिघलने से बनी झीलें अचानक फूट जाती हैं।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Fri, 06 Oct 2023 06:51 AM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अपने अध्ययन में दो साल पहले ही चेतावनी दे दी थी कि सिक्किम की ग्लेशियर झील दक्षिण ल्होनक भविष्य में कभी भी फट सकती है और इससे काफी नुकसान हो सकता है। तीन-चार अक्टूबर की मध्यरात्रि को इस झील में विस्फोट से तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई थी। इस हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई जबकि 22 सैन्य कर्मियों सहित 102 अन्य लापता हो गए। इस बाढ़ से चुंगथांग बांध भी टूट गया था, इसी पर सिक्किम की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना बनी है।
जर्नल जियोमार्फोलाजी में प्रकाशित 2021 के अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि दक्षिण लोनाक झील में पिछले दशकों में ग्लेशियर के पीछे हटने के कारण इसके क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है और इसके चलते ग्लेशियर झील के विस्फोट से बाढ़ (जीएलओएफ) की संभावना बढ़ गई है। जीएलओएफ तब होता है जब ग्लेशियर के पिघलने से बनी झीलें अचानक फूट जाती हैं। ऐसा कई कारणों से हो सकता है जैसे कि झील में बहुत अधिक पानी जमा होना। अध्ययनों से पता चलता है कि ग्लेशियर 1962 से 2008 तक 46 वर्षों में लगभग दो किलोमीटर पीछे चला गया। 2008 से 2019 के बीच ही यह लगभग 400 मीटर पीछे चला गया।
जलप्रलय का भयानक असर
बता दें कि सिक्किम के उत्तरी ल्होनक झील में बादल फटने और तीस्ता के जलप्रलय का भयानक असर गुरुवार को दिखा। सिक्किम में 19 और तीस्ता नदी से बंगाल के विभिन्न जिलों में 23 शव मिल चुके हैं। सेना के 22 जवानों समेत 109 से अधिक लोग अब भी लापता हैं। लापता 22 जवानों में से पांच के शव मिले हैं, हालांकि सेना की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है। अभी तक 2011 लोगों को बाढ़ व बारिश की वजह से क्षतिग्रस्त मकानों से सुरक्षित निकाला गया है। आपदा से सिक्किम के 22000 लोग पीड़ित हुए हैं। चार जिलों में कुल 26 शिविरों 3822 लोगों को रखा गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामांग ने आपातकालीन बैठक की। उन्होंने कहा कि हरसंभव मदद के लिए मैं केंद्र सरकार के संपर्क में हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बातचीत हुई है। मैंने प्रधानमंत्री को मदद के संबंध में पत्र भी लिखा है। मुख्यमंत्री तामांग ने आवश्यक वस्तुओं की संभावित जमाखोरी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।
पर्यटक स्थलों के लिए परमिट बंद
उन्होंने कहा कि शिकायतें दर्ज करने के लिए रंगपो, सिंगताम और मंगन में केंद्र बनाये जायेंगे। आवश्यक वस्तुएं लाने-ले जाने वाले वाहनों की निर्बाध आवाजाही के लिए जिला समिति गठित की जाएगी। बाबा मंदिर और नाथुला जैसे पर्यटक स्थलों के लिए परमिट शुक्रवार से बंद कर दिया जाएगा। राहत शिविरों में रह रहे लोगों को मुफ्त दवाएं दी जाएंगी। चार जिलों में सभी स्कूल-कालेज शुक्रवार से अगले आदेश तक बंद रहेंगे। बिजली और जलापूर्ति तुरंत बहाल करने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। बैठक में राज्य के मुख्य सचिव वीबी पाठक तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे। मुख्य मंत्री ने विषय विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, पनबिजली विशेषज्ञों, इंजीनियरों, हिमनद विशेषज्ञों तथा बांध विशेषज्ञों वाली एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया है।
11 पुल बहे, चुंगथांग में सर्वाधिक तबाहीतीस्ता के उफान की वजह से बुधवार को सिक्किम के 11 पुल टूटकर बह गए हैं। मंगन जिले में आठ, जबकि नामची में दो और गंगटोक में एक पुल टूटकर बह गया। इन जिलों में नदी किनारे के कस्बों-शहरों में जलापूर्ति पाइप लाइन, सीवेज लाइन टूटकर बर्बाद हो गई हैं। सर्वाधिक नुकसान चुंगथांग में हुआ है। शहर का 80 फीसद हिस्सा क्षतिग्रस्त है।
सिर्फ सिक्किम में 19 शव मिलेगुरुवार को सिक्किम में 19 शव मिले हैं। पाक्योंग जिले के सात, मंगन के चार और गंगटोक के तीन लोगों को शवों की पहचान हुई है, अन्य की पहचान नहीं हो पाई है। सर्वाधिक 59 लोग पाक्योंग से लापता हुए हैं, जिनमें सेना के 22 जवान भी शामिल हैं। गंगटोक के 22, मंगन 16 और नामची के पांच लोग लापता हैं। 26 लोगों को गंभीर चोटें आई है और अस्पताल में दाखिल हैं। बंगाल में 23 शवों को अलग-अलग इलाकों में तीस्ता नदी से बरामद किया गया है।
बीआरओ और सेना की टीम चला रही राहत एवं बचाव अभियानसेना के प्रवक्ता ले. कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि लापता सैनिकों के लिए खोज एवं बचाव अभियान चल रहा है। त्रिशक्ति कोर की तकनीकी टीमें नागरिक सेवाओं के लिए संचार व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुटी हैं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) एवं सेना की टीमें चुंगथांग एवं मंगन में राहत एवं बचाव कार्य चला रही हैं। वहां कई महत्वपूर्ण पुल टूट गए हैं। वैकल्पिक पुल बनाने का काम शुरु हो गया है।
मौसम ठीक होते ही शुरू होगा पर्यटकों को निकालने का कामउत्तर सिक्किम घरेलू और विदेशी पर्यटकों के लिए पसंदीदा पर्यटन स्थल है। आपदा के कारण वहां चार हजार पर्यटक फंसे हुए है। इनमें से करीब 150 लोग मोटर साइकिल से घूमने आए है। इसके अलावा 7 से 8 सौ वाहन चालक भी है। लाचेन-लाचुंग स्थानीय प्रशासन जुम्सा के मुताबिक सभी पर्यटक सुरक्षित हैं। उत्तरी सिक्किम में फिलहाल मौसम खराब होने के कारण एनडीआरएफ टीम नहीं पहुंच पा रही है। जैसे मौसम में सुधार होगा, हवाई मार्ग से चुंगथांग पहुंचाया जाएगा।
सिक्किम में अब साको-चू झील बनी खतरा, अलर्ट जारीसिक्किम के उत्तरी ल्होनक झील के बाद उत्तर सिक्किम की साको-चू ग्लेशियल झील के उफनाने या उसके बांध टूटने का खतरा मंडराने लगा है। गंगटोक के जिलाधिकारी तुषार निखरे ने गुरुवार देर शाम अलर्ट जारी करते हुए लोगों को सतर्क किया।
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