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China Minorities: चीन में उइगर मुस्लिमों के अलावा अल्पसंख्यकों का बुरा हाल, इन समुदायों को किया जा रहा टारगेट

China Minorities चीन में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार की कहानी कोई नई नहीं है हम अक्सर बात उइगर मुस्लिमों की करते हैं लेकिन यहां पर महज उइगर मुस्लिमों के साथ ही अत्याचार नहीं हो रहा बल्कि कई ऐसे समुदाय भी हैं जिन पर आए दिन सितम ढाया जा रहा है। आपको उन अल्पसंख्यकों के बारे में बताते हैं जो चीनी सरकार की तानाशाही के आगे बेबस और लाचार हैं।

By Mohd FaisalEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sun, 06 Aug 2023 08:55 PM (IST)
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China Minorities: चीन में उइगर मुस्लिमों के अलावा अल्पसंख्यकों का बुरा हाल (फोटो जागरण ग्राफिक्स)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। चीन में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार की कहानी कोई नई नहीं है, हम अक्सर बात उइगर मुस्लिमों की करते हैं, लेकिन यहां पर महज उइगर मुस्लिमों के साथ ही अत्याचार नहीं हो रहा बल्कि कई ऐसे समुदाय भी हैं, जिन पर आए दिन सितम ढाया जा रहा है।

हालांकि, उइगर मुस्लिमों का मुद्दा तो दुनियाभर में छाया रहा और उनके लिए मानवाधिकार संगठन भी अपनी आवाज बुलंद करते रहे, लेकिन इस दौरान चीन में दूसरे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जारी रहा। आपको उन अल्पसंख्यकों के बारे में बताते हैं, जो चीनी सरकार की तानाशाही के आगे बेबस और लाचार हैं। उनकी आवाज के लिए अबतक किसी भी संगठनों की ओर से आवाज तक नहीं उठाई गई।

इन समुदायों पर हो रहा अत्याचार

दरअसल, चीन की आबादी इस समय 145 करोड़ से अधिक है, लेकिन इतनी बड़ी आबादी वाले चीन में कुछ ऐसे भी समुदाय हैं, जो यहां अल्पसंख्यक हैं। यहां 56 जातीय अल्पसंख्यक समुदाय से आती हैं। इनमें जुआंग, हुई, मियाओ, कजाक, बई, कोरियन, हानी, ली, उइगर और फालुन गोंग जैसे अल्पसंख्यक हैं। हालांकि, इनमें सबसे ज्यादा आबादी हान चाइनीज की है। जो देश की आखिरी जनगणना के अनुसार, 91 प्रतिशत से ज्यादा हैं। इसके अलावा सबसे कम आबादी हेजेन की है, जिनकी संख्या 2,000 से भी कम हैं, जिनको निशाना बनाया गया है।

चीन में क्यों बनाया जा रहा अल्पसंख्यकों को निशाना?

बता दें कि चीनी सरकार कई समुदायों को अल्पसंख्यकों में नहीं गिनती है। जिस वजह से उन्हें लगातार निशाना बनाया जाता है। चीन में रहने वाली यह आबादी अपनी खासियतें ही खोती जा रही है। इसकी एक बड़ी वजह चीनी सरकार द्वारा इन समुदाय का शोषण करना है। चीन में 56 समुदाय में 100 से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन अब ये तेजी से गायब हो रही हैं। कई भाषाओं की जगह चीनी भाषा ने ले ली है।

अल्पसंख्यक को निशाना बनाने के पीछे क्या है कारण?

चीन में बीते कुछ सालों में उइगर समेत दूसरे अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। इसका एक बड़ा उद्देश्य ये है कि सरकार इन सभी को एक राष्ट्र और एक भाषा के अपनी नीति को पालन करने पर जोर दे रही है। हालांकि, कई समुदाय चीन के इस कदम को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण चीनी सरकार अपने यहां मौजूद इन सभी अल्पसंख्यों पर लगातार हमले कर रही है।

कब मिली इन जातीय समूहों को मान्यता

  • पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद 1954 में पहली राष्ट्रीय जनगणना हुई, जिसमें 39 जातीय समूहों को मान्यता दी गई थी।
  • 1964 में दूसरी राष्ट्रीय जनगणना में इनकी संख्या बढ़कर 54 हो गई।
  • इसके बाद 1965 में लोबा समूह को इसमें जोड़ा गया।
  • हालांकि, इसके बाद अंतिम बार परिवर्तन 1979 में हुआ। इसमें जिनो समूह को शामिल किया गया था, जिसके बाद यह संख्या 56 हो गई।
  • चीन में इस समय 56 जातीय समूह सूचीबद्ध हैं, जिन्हें आधिकारिक तौर पर चीनी सरकार द्वारा मान्यता मिली हुई है।

उइगरों को लेकर क्या है सरकार की सोच?

चीन में नरसंहार के मामलों की बढ़ती संख्या का कारण यह है कि चीनी सरकार उइगर मुस्लिमों को इस्लामी चरमपंथियों का एक समूह मानती है और देश में आतंकवाद को खत्म करने व अपने नागरिकों, संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए उइगरों को निशाना बनाती रहती है। यहीं नहीं उइगरों पर भी आए दिन अत्याचार होते रहते हैं। साथ ही उनके धार्मिक अधिकारों का दमन किया जाता है। इसी कारण उनकी आबादी में भी पिछले कुछ वर्षों में कमी देखी गई है।