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EWS Reservation से पूर्व CJI ललित के अयोध्‍या विवाद से लेकर तीन तलाक तक अहम फैसलों में रहे सुर्खियों में

सेवानिवृत्ति होने से पहले न्‍यायाधीश ललित सामान्‍य वर्ग के आर्थिक गरीब को दस फीसद आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला सुनाएंगे। यह आरक्षण संविधान में 103 वां संशोधन के जरिए लाया गया है। आइए जानते हैं कि जस्टिस ललित के उन छह अहम फैसलों के बारे में जब वह सुर्खियों में रहे।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Mon, 07 Nov 2022 11:00 AM (IST)
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EWS Reservation से पूर्व CJI ललित के अयोध्‍या विवाद से लेकर तीन तलाक तक अहम फैसले। एजेंसी।
नई दिल्‍ली, जेएनएन। Chief Justice Uday Umesh Lalit: भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश जस्टिस उदय उमेल ललित का सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को आखिरी दिन है। वह आठ नवंबर को सेवानिवृत्ति होंगे। उनकी जगह दूसरे वरिष्‍ठतम जज जस्टिस डा डीवाई चंद्रचूड़ देश के अगले मुख्‍य न्‍यायाधीश होंगे। सेवानिवृत्ति होने से पहले न्‍यायाधीश ललित आज यानी सोमवार को सामान्‍य वर्ग के आर्थिक गरीब को दस फीसद आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। यह आरक्षण संविधान में 103 वां संशोधन के जरिए लाया गया है। आइए जानते हैं कि जस्टिस ललित के उन छह अहम फैसलों के बारे में जब वह सुर्खियों में रहे।

1- तीन तलाक की व्‍यवस्‍था रद की

इसके अलावा देश की शीर्ष अदालत में अपने अब तक के कार्यकाल में जस्टिस ललित कई बड़े फैसलों के हिस्‍सा रहे हैं। वर्ष 2017 में तलाक-ए-बिद्दत यानी एक साथ तीन तलाक बोलने की व्‍यवस्‍था को असंवैधानिक करार देने वाली पांच जजों की बेंच के वह हिस्‍सा रहे। जस्टिस रोहिंटन नरीमन के साथ लिखे साझा फैसले में उन्‍होंने कहा था कि इस्‍लाम में भी एक साथ तीन तलाक गलत है। पुरुषों को हासिल एक साथ तीन तलाक बोलने का हक महिलाओं को गैर बराबरी की स्थिति में लाता है। यह महिलओं के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

2- भगोड़े विजय माल्‍या को सजा सुनाई

न्‍यायमूर्ति ललित ने भगोड़े विजय माल्‍या को भी सजा सुनाई थी। उन्‍होंने अवमानना के मामले में भगोड़े कारोबारी विजय माल्‍या को चार महीने की सजा दी थी। इसके साथ अदालत ने माल्‍या पर दो हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया था। इस फैसले में यह भी कहा गया था कि जुर्माना नहीं चुकाने पर माल्‍या को दो महीने की अतिरिक्‍त जेल भी काटनी होगी।

3- 42 हजार फ्लैट खरीदारों को राहत प्रदान की

न्‍यायमूर्ति ललित सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच का भी हिस्‍सा रहे, जिसने वर्ष 2019 में आम्रपाली के करीब 42 हजार फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत प्रदान की थी। इस बेंच ने यह फैसला सुनाया था कि आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्‍ट को अब नेशनल बिल्डिंग कंस्‍ट्रक्‍शन कारपोरेशन यानी एनबीसीसी पूरा करेगा। इतना ही नहीं अदालत ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले आम्रपाली ग्रुप की सभी कंपनियों को RERA रजिस्‍ट्रेशन रद कर दिया था। इसके अलावा निवेशकों के पैसे के गबन और मनी लांड्रिंग की जांच का भी आदेश दिया था।

4- अयोध्‍या मामले से खुद को अलग किया

न्‍यायमूर्ति ललित तब भी सुर्खियों में थे, जब उन्‍होंने 10 जनवरी, 2019 को अयोध्‍या मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की बेंच से खुद को अलग किया था। इसके पीछे उनका यह तर्क था कि दो दशक पूर्व वह अयोध्‍या विवाद से जुड़े एक आपराधिक मामले में यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह के लिए एक वकील के रूप में पेश हो चुके हैं। इस मामले को लेकर वह काफी चर्चा में रहे थे।

5- एससी और एसटी एक्‍ट पर अहम फैसला

एससी और एसटी एक्‍ट पर पर उनका एक फैसला सुर्खियों में रहा। अनुसूचित जाति और जनजाति उत्‍पीड़न एक्‍ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी नहीं करने का आदेश भी न्‍यायमूर्ति ललित की सदस्‍यता वाली बेंच ने दिया था। अदालत ने इस एक्‍ट के तहत यह फैसला सुनाया था कि आने वाली शिकायतों पर शुरुआती जांच के बाद ही मामला दर्ज किया जाए। हालांकि, इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने इस कानून में बदलाव कर तुरंत गिरफ्तारी के प्रावधान को दोबारा बहाल कर दिया था।

6- कोलेजियम की कार्यशैली में पारदर्शिता पर भी दिया जोर

इनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्‍ट्री के कई अफसरों को बाहर का रास्‍ता दिखाया, जो रिटायर होने के बाद भी एक्‍सटेंशन पर चल रहे थे। पूर्व मुख्‍य न्‍यायाधीश द्वारा प्रतिनियुक्ति पर रखे अफसरों को भी हटाया गया। इसके अलावा केसों के सूचीबद्ध करने की व्‍यवस्‍था में परिवर्तन और कोलेजियम की कार्यशैली में पारदर्शिता पर भी उन्‍होंने जोर दिया। उन्होंने कोलेजियम के फैसले सार्वजनिक किए जो अब तक नहीं किए जा रहे थे। केस को नए सिरे से सूचीबद्ध करने का कुछ मौजूदा जज ने खुली कोर्ट में विरोध भी किया और कहा कि नई प्रणाली से उन्हें नए केसों की सुनवाई का समय नहीं मिल पा रहा है।

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