Move to Jagran APP

कौशल न आया काम, बेरोजगार रह गए लाखों नौजवान, संसद की स्थायी समिति ने रेखांकित की PMKVY में तमाम खामियां

संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट ने रेखांकित की हैं पीएमकेवीवाई में तमाम खामियां हैं। तीसरे चरण में 399860 थे प्रमाणित अभ्यर्थी 30599 को ही रोजगार। समिति ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के प्रयासों को सराहा है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 30 Jan 2023 08:27 PM (IST)
Hero Image
संसदीय समिति ने दिसंबर, 2022 में अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। सरकार की मंशा और वक्त की जरूरत भी है कि युवाओं का कौशल विकास किया जाए, ताकि उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ते जाएं। इसके लिए ही प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) चलाई जा रही है। मगर, कुछ खामियों के चलते आशातीत परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं। योजना की समीक्षा करते हुए श्रम, वस्त्र और कौशल विकास मामलों की संसद की स्थायी समिति ने रिपोर्ट में दावा किया है कि तीसरे चरण में 3,99,860 प्रमाणित अभ्यर्थी थे, जिनमें से मात्र 30,599 को ही रोजगार मिलने का आंकड़ा उपलब्ध है। सांसद भार्तुहरि महताब की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने दिसंबर, 2022 में अपनी रिपोर्ट सौंपी है।

समिति ने योजना के परिणामों को लेकर चिंता जताई

समिति ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के प्रयासों को सराहा है कि किस तरह से उद्योगों की जरूरत के अनुसार युवाओं को प्रशिक्षण दिलाकर उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए कदम उठाए गए हैं। इसमें मंत्रालय के इस दावे का भी उल्लेख किया गया है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की मासिक आय में 15 प्रतिशत की वृद्ध हुई है।

76 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने स्वीकार किया है कि उन्हें कौशल विकास के बाद दूसरे बेहतर रोजगार का विकल्प मिला है, वहीं 88 प्रतिशत प्रशिक्षितों का आकलन है कि वर्तमान कार्य को और कुशलता के साथ करने की उनकी क्षमता कहीं बेहतर हुई है। इसके साथ ही समिति ने योजना के प्रत्यक्ष परिणामों को लेकर चिंता भी जताई है।

इसमें आंकड़ा दिया गया है कि पीएमकेवीवाई-3 के 3,99,860 प्रमाणित अभ्यर्थियों में से सिर्फ 30,599 को ही रोजगार मिलने का आंकड़ा उपलब्ध है। इसके कारणों का भी समिति ने विस्तार से अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट में बिंदु शामिल किए हैं।

उद्योग जगत का पक्ष रखा है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का ट्रे¨नग कोर्स उद्योग की वास्तविक आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। प्रेक्टिकल स्किल ट्रेनिंग भी उद्योग की जरूरत के अनुसार नहीं है। साथ ही यह भी आंकड़ा दिया गया है कि योजना के तीनों चरणों में विभिन्न कारणों से लगभग 20 प्रतिशत अभ्यर्थी प्रशिक्षण बीच में ही छोड़ गए।

56,000 अभ्यर्थियों को रोजगार मिला        

असीम पोर्टल पर भी उठाए सवाल उद्योगों को जरूरत के हिसाब से प्रशिक्षित मानव श्रम मिल सके और युवाओं को रोजगार मिले, इसके लिए सरकार ने आत्मनिर्भर स्किल्ड एम्प्लाई एम्प्लायर मैपिंग (असीम) पोर्टल विकसित किया। इस पर व्यवस्था की गई है कि रोजगार तलाश रहे प्रशिक्षित युवा अपना पंजीकरण कराएं और उद्योग जगत से नियोक्ता पोर्टल के माध्यम से प्रशिक्षित युवाओं को प्लेसमेंट यानी रोजगार दे सकें।

संसद की स्थायी समिति ने रिपोर्ट में लिखा है कि असीम पोर्टल पर लगभग 29 लाख कुशल अभ्यर्थी और रोजगार तलाशने वाले युवाओं की मैपिंग की गई। इस पर 350 नियोक्ता भी हैं, लेकिन इस पोर्टल के माध्यम से सिर्फ 56,000 अभ्यर्थियों को रोजगार मिलने का आंकड़ा है। इसके साथ ही रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि असीम पोर्टल अप टू द मार्क नहीं है, क्योंकि पंजीकृत युवाओं और रोजगार पाने वालों की संख्या में बड़ा अंतर है।

यह भी पढ़ें- पांच साल में मेडिकल डिवाइस आयात दोगुना, लेकिन चीन से आयात तीन गुना बढ़ा; इंपोर्ट पर निर्भरता 80% से अधिक

यह भी पढ़ें- Fact Check: आम आदमी की तरह ट्रेन में सफर करते डॉ. कलाम की यह तस्वीर उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद की है