पहले लगा सदन में जूता फेंकना चाहता है, लेकिन नहीं पता था कि....कोल्हापुर के सांसद धैर्यशील माने ने सुनाई आंखोंदेखी
संसद की सुरक्षा में सेंध (Lok sabha) लगाने वाले दोनों आरोपी सुनियोजित तरीके से लोकसभा की दर्शक दीर्घा में दाखिले हुए थे। लोकसभा में जिस समय यह घटना घटित हुईउस समय लोकसभा की दर्शक दीर्घा में कोल्हापुर के हातकणंगले लोकसभा सीट से शिवसेना सांसद धैर्यशील संभाजीराव माने भी अपने करीब 20 पारिवारिक मित्रों के साथ दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। उन्होंने दैनिक जागरण के साथ अपनी आंखों देखी बयां की।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले दोनों आरोपी सुनियोजित तरीके से लोकसभा की दर्शक दीर्घा में दाखिले हुए थे। उन्होंने अपने बैठने के लिए अगली पंक्ति की सीट का चुनाव किया।
वहां से बैठे-बैठे ही दोनों ने पूरे सदन में ताकझांक शुरू की। उन्हें बैठे हुए करीब पंद्रह मिनट ही हुए थे कि दर्शक दीर्घा की पिछली पंक्ति में बैठे लोगों को समयसीमा खत्म होने के चलते निकालने का काम शुरू हुआ, उसी समय हलचल देखकर उनमें से एक आरोपी ने सीधे सदन में अंदर की ओर छलांग लगा दी।
पहला साथी कूदा तो दूसरे ने रेलिंग पकड़ा
इस दौरान उसका दूसरा साथी भी नारेबाजी करते हुए कूदने के लिए दीर्घा की रेलिंग पकड़कर लटका। जब तब दर्शक दीर्घा में बैठे दूसरे लोग उसे दौड़कर पकड़ते तब तक वह नीचे कूद चुका था। लोकसभा में जिस समय यह घटना घटित हुई, उस समय लोकसभा की दर्शक दीर्घा में कोल्हापुर के हातकणंगले लोकसभा सीट से शिवसेना सांसद धैर्यशील संभाजीराव माने भी अपने करीब 20 पारिवारिक मित्रों के साथ दर्शक दीर्घा में मौजूद थे। उन्होंने 'दैनिक जागरण' के साथ अपनी आंखों देखी बयां की।
बार-बार जूते के फीते खोल और बांध रहे थे दोनों
बतौर सांसद माने दोनों आरोपी दर्शक दीर्घा में एक साथ ही आए थे। दोनों ही सीधे आगे की सीटों पर जाकर बैठें। जब वह दीर्घा में दाखिल हुए थे उस समय सदन में शून्यकाल चल रहा था। पहले तो उन दोनों ही हरकत पर किसी की नजर नहीं गई लेकिन बाद में उनके आसपास बैठे दूसरे लोगों ने बताया कि वह जब से दीर्घा में आए थे, तभी से स्थिर चित नहीं थे। वह बार-बार जूते के फीते को खोल और बांध रहे थे और दांये-बायें ताकझांक कर रहे थे। हालांकि, वहां बैठे लोगों को ऐसी किसी घटना की कोई आशंका नहीं थी।
लगा जैसे सदन में जूता फेंकना चाहता था
सांसद माने ने बताया कि यदि उन्हें थोड़ी आशंका होती तो वह साथियों के साथ उन्हें तुरंत ही दबोच लेते। वह उस समय अपने पारिवारिक मित्रों के साथ वहां मौजूद थे। माने के मुताबिक, घटना के बाद उनकी गतिविधियों को देखने से यह साफ होता है कि वह पूरी तैयारी के साथ ही आए थे और उन्होंने तभी छलांग लगाई, जब गैलरी को खाली कराया जा रहा था। उस समय लोगों से निकलने से गैलरी में हलचल थी और सुरक्षाकर्मी भी उन्हें निकालने में व्यस्त थे। उन्होंने बताया कि सदन में कूदने के दौरान दूसरा आरोपी जिस तरह से जूते को खोलने की कोशिश कर रहा था, उस समय लगा कि वह सदन में जूता फेंकना चाहता है। लोग जब तक उसे पकड़ने के लिए लपके वह रेलिंग के सहारे नीचे कूद गया।
हनुमान बेनीवाल और गुरजीत सिंह के साहस को मिली बधाई
यूं तो सदन में कूदने वाले युवकों को पकड़ने में कई सांसदों ने भूमिका निभाई लेकिन हनुमान बेनीवाल और गुरजीत का साहस खास था। जब युवक जूते के अंदर से कैनेस्टर निकाला गुरजीत सिंह ने उसके हाथों से तुरंत ही उसे छीन लिया। छीनने के दौरान उनके हाथों में उसका रंग भी लग गया। जिसे उन्होंने सदन से बाहर निकलकर पत्रकारों को भी दिखाया। लोकसभा अध्यक्ष ने हनुमान बेनीवाल और गुरजीत सिंह की दिलेरी को सराहा। साथ ही गुरजीत सिंह को जांच पूरी होने तक हाथों में लगे रंग को न धुलने का सुझाव दिया।