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रोहित पर भिड़ीं स्मृति और मायावती, जेएनयू पर मुखर हुई कांग्रेस

बसपा ने बुधवार को राज्य सभा में अपने ही प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होने दी और सदन की कार्यवाही को पूरे दिन ठप कर दिया।

By Sachin MishraEdited By: Updated: Wed, 24 Feb 2016 08:44 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बसपा ने बुधवार को राज्य सभा में अपने ही प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होने दी और सदन की कार्यवाही को पूरे दिन ठप कर दिया। सरकार की ओर से इसे मंजूर कर लिए जाने और सदन की कार्यसूची में यह शामिल होने के बावजूद खुद पार्टी अध्यक्ष मायावती ने हंगामा कर सदन को पूरे दिन बाधित रखा। रोहित वेमुला की जांच के लिए बने पैनल में दलित न होने की गलतबयानी पर जब मायावती को मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री स्मृति ईरानी ने घेरा तो बसपा ने और हंगामा कर चर्चा से किनारा करना ही उचित समझा। वहीं, ईरानी ने तो मायावती को चुनौती दे दी कि अगर उनके जवाब से बसपा सुप्रीमो संतुष्ट नहीं हुईं तो वे अपना सर कलम कर उनके चरण में रख देंगी।

संसद का बजट सत्र शुरू होने के बाद बुधवार को राज्य सभा में काम का यह पहला दिन था। मगर छह बार कार्यवाही स्थगित हुई और पूरा दिन कोई चर्चा नहीं हो सकी। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही बसपा सदस्यों ने मायावती के नेतृत्व में हंगामा शुरू कर दिया। बसपा ने रोहित वेमुला के मुद्दे पर चर्चा के लिए सभापति को नोटिस दिया था, जिसे मंजूर कर लिया गया था। सरकार की ओर से लगातार कहा जाता रहा कि सरकार ना सिर्फ तुरंत इस पर चर्चा के लिए तैयार है, बल्कि संबंधित मंत्री इस पर जवाब भी देंगे। लेकिन बसपा सांसदों ने चर्चा ही नहीं होने दी।

बसपा के लगातार हंगामे से नाराज ईरानी ने मायावती को कहा, 'अगर जवाब चाहिए तो मैं तैयार हूं। मैं विनम्र निवेदन करती हूं. आप वरिष्ठ हैं, महिला हैं.. अगर आप मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं होंगी तो आज इस सभा में बसपा के एक-एक नेता और कार्यकर्ता से कहती हूं कि मैं अपना सर कलम कर के आपके चरणों में छोड़ दूंगी अगर आप जवाब से असंतुष्ट हों।' मायावती मांग कर रही थीं कि इस मामले में दखल देने वाले दोनों केंद्रीय मंत्रियों को बर्खास्त किया जाए। विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाया जाए और मामले की जांच कर रही न्यायिक समिति में दलित सदस्य को शामिल किया जाए।

ईरानी ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से जांच के लिए जो समिति बनी थी उसमें दलित प्रोफेसर को शामिल किया गया था। इसी तरह होस्टल के चीफ वार्डन खुद दलित हैं। इसके बावजूद जब मायावती संतुष्ट नहीं हुईं तो उन्होंने यह भी कहा कि क्या कोई व्यक्ति तभी दलित माना जाएगा, जब मायावती जी उसे सर्टिफिकेट दे दें। इसी तरह उन्होंने मायावती को कहा, 'आंख मिला कर बात कीजिए। मैं जवाब देने को तैयार हूं। दूध का दूध पानी का पानी हो रहा है।'

मगर बसपा सदस्य ना तो चर्चा के लिए तैयार हुए और ना ही उनका जवाब सुनने को तैयार हुए। पार्टी सांसद मंत्रियों की बर्खास्तगी के लिए नारा लगाते हुए सदन के वेल में उतर आए। इनके हंगामे की वजह से सदन को बार-बार स्थगित किया जाता रहा गया। यहां तक कि सभापति हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल को बाधित किए जाने पर गहरा एतराज जताते हुए यहां तक कहा कि सांसदों को को प्रश्न पूछने का जो विशेषाधिकार मिला हुआ है, यह उसका हनन है। इसी तरह ईरानी ने भी बार-बार कहा कि एक छात्र की मृत्यु पर राजनीति किया जाना बहुत शर्मनाक है। मगर मायावती ने इस घटना को देश के 25 करोड़ दलितों का अपमान बताया। अंसारी ने बार-बार हो रहे स्थगन के बीच विभिन्न दलों के नेताओं के साथ अपने कार्यालय में भी बातचीत कर मामले को सुलझाने की कोशिश की। मगर इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका।

मायावती ने कहा कि जब से केंद्र में भाजपा नेतृत्व की सरकार आई है, लगातार संघ की विचारधारा को थोपने की कोशिश की जा रही है। भाजपा और कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठनों ने जब उनकी समस्याएं नहीं सुनीं तब उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर के नाम पर छात्र संगठन बनाया था । यह बात संघ को पसंद नहीं आई और उसका शोषण बढ़ता गया। इस वजह से उसे आत्महत्या करनी पड़ी।

क्या कहा स्मृति ने

क्या कोई व्यक्ति तभी दलित माना जाएगा, जब मायावती जी उसे सर्टिफिकेट दे दें। आंख मिला कर बात कीजिए। मैं जवाब देने को तैयार हूं। दूध का दूध पानी का पानी हो रहा है।

स्मृति ईरानी, एचआरडी मंत्री

पक्ष-विपक्ष ने कसी कमर

इससे पहले सरकार ने तय किया कि बजट सत्र में सरकार की ओर से संसद को सुचारु रखने के लिए समुचित वार्ता तो होगी, लेकिन किसी भी मुद्दे पर सरकार जवाब देने में कोई मुरव्वत नहीं बरतेगी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की ओर से संसदीय दल को स्पष्ट किया है कि मुद्दा जेएनयू का हो या हैदराबाद विश्वविद्यालय का, पूरे तथ्यों के साथ विपक्ष को ही कठघरे में खड़ा करें।