GHI: ग्लोबल हंगर इंडेक्स रैंक भारत की सच्ची तस्वीर नहीं दर्शाता : स्मृति इरानी
2014 के बाद से भारत में बच्चों और वयस्कों के बीच भुखमरी से संबंधित मौतों की संख्या पर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में इरानी ने एक लिखित उत्तर में कहा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से भुखमरी से होने वाली मौतों की कोई रिपोर्ट नहीं है।
By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Wed, 21 Dec 2022 08:26 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने राज्यसभा को सूचित किया कि वैश्विक भुखमरी सूचकांक भारत की सही तस्वीर नहीं दिखाता क्योंकि यह भूख का एक त्रुटिपूर्ण माप है। स्मृति इरानी ने बुधवार को राजद सदस्य मनोज कुमार झा के एक सवाल के जवाब में कहा कि इसे अंकित मूल्य पर नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि यह न तो उचित है और न ही किसी देश में व्याप्त भूख का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के चार कारकों में से केवल एक 'अल्पपोषण' ही भारतीय संदर्भ में लागू होता है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2022 में भारत 121 देशों में से 107वें स्थान पर है, इसकी चाइल्ड वेस्टिंग दर 19.3 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
2014 के बाद से भारत में बच्चों और वयस्कों के बीच भुखमरी से संबंधित मौतों की संख्या पर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में इरानी ने एक लिखित उत्तर में कहा, ''राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से भुखमरी से होने वाली मौतों की कोई रिपोर्ट नहीं है।'' उन्होंने डाटा प्रदान किया जिसके अनुसार 2019 से 140,575 बच्चे लापता हो गए और इसी अवधि के दौरान 125,445 बच्चे बरामद किए गए।
बालिग होने की आयु 18 ही रहेगी
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने राज्यसभा में बताया कि सरकार का आपसी सहमति से संबंध बनाने की उम्र को कम करने का कोई इरादा नहीं है। एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि इस संबंध में उम्र 18 से घटाकर 16 करने का कोई भी विचार नहीं है। पोक्सो एक्ट, 2012 के तहत बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए ऐसा किया गया है। वर्ष 2019 में इस अधिनियम में संशोधन करके इसमें मौत की सजा जोड़कर इसे और सख्त बनाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि बालिग एक्ट, 1875 को वर्ष 1999 में संशोधित किया गया था और 18 वर्ष की आयु को बालिग करार दिया गया।
सशस्त्र पुलिस बलों के 177 जवान शहीद
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि पिछले तीन सालों में अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के 177 जवानों ने अपनी शहादत दी है। इस अवधि में सीआरपीएफ के 98 जवान शहीद हुए जबकि बीएसएफ के 40 जवान शहीद हुए हैं। आइटीबीपी के 19, असम राइफल्स के 13, सीआइएसएफ के चार और एसएसबी के तीन जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है। इन लोगों के स्वजनों को 26 लाख से 45 लाख रुपये तक का मुआवजा दिया गया है।4798 दिव्यांगों को केंद्र ने दी नौकरी
केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि वर्ष 2018 से 2021 के बीच केंद्र सरकार ने करीब 4798 दिव्यांगों की विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती की है। समूह अ, ब और स में संरक्षित पदों पर 2016 से कुल रिक्तियों की चार फीसद दिव्यांगों की सीधी भर्ती की जाती है। इनमें भी एक प्रतिशत लोग वह होते हैं जो देख नहीं सकते या उन्हें देखने में परेशानी होती है। इसके अलावा जो सुन नहीं सकते या उन्हें सुनने में परेशानी होती है। चलने-फिरने में असमर्थ लोगों को भी वरीयता पर स्थान दिया जाता है। बौने और एसिड अटैक के पीड़ितों को भी शामिल किया गया है।