Solar Eclipse 2020: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण शुरु, जानें- ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं
Solar Eclipse 2020 साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लग गया है। सूर्य ग्रहण ज्यादातर दक्षिण अमेरिका से दिखाई देगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण है। पूर्ण सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक देता है।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Mon, 14 Dec 2020 08:05 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। Solar Eclipse or Surya Grahan 2020: सोमवार को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लग गया है। सूर्य ग्रहण ज्यादातर दक्षिण अमेरिका से दिखाई देगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण होगा। पूर्ण सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक देता है, जबकि एक आंशिक ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के केवल एक भाग को कवर करता है। अगले साल, यानी 2021 में दो सूर्य ग्रहण आएंगे। बता दें,अगले साल जून में होने वाला सूर्य ग्रहण एक कुंडलाकार होगा।
सूर्य ग्रहण का समयसाल का आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को भारत के समय के अनुसार शाम 7 बजकर 3 मिनट से रात 12 बजकर 23 मिनट (15 दिसंबर 2020) तक लगेगा। इस ग्रहण की कुल अवधि लगभग 5 घंटे रहेगी। सूर्य ग्रहण रात 9:43 बजे चरम पर होगा।
यहां दिखाई देगा ग्रहणसोमवार को सूर्य ग्रह भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि यह देर शाम को होगा। पूर्ण सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका में चिली और अर्जेंटीना के कुछ हिस्सों से सबसे अच्छा दिखाई देगा। चिली और अर्जेंटीना में स्काई-वॉचर्स दिन के दौरान दो मिनट और दस सेकंड के अंधेरे को देख सकते हैं, क्योंकि चंद्रमा सूरज को अवरुद्ध करता है। दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी भाग, दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका और अंटार्कटिका आंशिक सूर्य ग्रहण का गवाह बनेंगे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा लोगों को दुनिया में कहीं से भी सूर्यग्रहण देखने के लिए एक लाइव लिंक प्रदान करेगा। आइए जानते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
ग्रहण काल में यह न करें-ग्रहण के समय भोजन और पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि ग्रहण के समय व्यक्ति की पाचन शक्ति बहुत कमजोर हो जाती है। ऐसे में भोजन करने से व्यक्ति के बीमार पड़ने की अधिक संभावना रहती है।- ग्रहण के दौरान किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने से उस काम में असफलता ही मिलती है। इसलिए ग्रहण लगने पर कोई भी शुभ काम न करें।- ग्रहण के दौरान बालों में कंघी, दांतों की सफाई और नाखून काटना अशुभ माना जाता है। ग्रहण काल के दौरान कभी भी सोना नहीं चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया से बचने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि ग्रहण की छाया का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है और इससे उसे नुकसान पहुंच सकता है। -ग्रहणकाल के दौरान चाकू, छुरी जैसे तेज किनारों वाली वस्तुओं का प्रयोग ना करें। इस समय किसी भी तरह की सिलाई-कढ़ाई का काम करना शुभ नहीं माना जाता है।-ग्रहण काल में पहले से कटे हुए सब्जी और फलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ग्रहण काल में इन्हें अशुद्ध माना जाता है।
ग्रहण काल में क्या करें- सूर्य ग्रहण शुरू होने से पहले खुद को शुद्ध कर लें। ग्रहण काल से पहले आपको स्नान करके शुद्ध हो जाना चाहिए। - ग्रहण काल में अपने इष्ट देव या देवी की पूजा अर्चना कर सकते हैं। आज सोमवती अमावस्या है तो आज आप शंकर भगवान की भी पूजा आज कर सकते हैं। ग्रहण काल के दौरान सूर्य देव के मंत्र का जाप करें। - सूर्य ग्रहण में दान करना बहुत अच्छा माना जाता है। सूर्य ग्रहण समाप्त होने पर गंगाजल का छिड़काव कर घर को शुद्ध कर लें। ग्रहण खत्म होने के बाद एक बार फिर स्नान कर लें। आप किसी भी धार्मिक ग्रंथ का पाठ कर सकते हैं।
नग्न आंखों से न देखें सूर्य ग्रहण, होता है ये नुकसानविद्वान कहते हैं कि लोगों को नग्न आंखों से सूर्य ग्रहण नहीं देखना चाहिए। बताया जाता है कि ग्रहण के दौरान सूर्य ग्रह को कष्ट सहना पड़ता है, जिसे नगी आंखों से देखने पर आंखों में विकार आने की संभावनाएं बनी रहती हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान नंगी आंखों से सूर्य को देखने के लिए मना किया जाता है। कहते हैं कि सूर्य ग्रहण को देखने का और उसकी रोशनी में रहने का दुष्प्रभाव पूरे शरीर के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। बताया जाता है कि ऐसा करने से त्वचा, बाल और वाणी से संबंधित रोग हो सकते हैं। इसलिए कोशिश करें कि सूतक काल की अवधि खत्म होने तक सूर्य के प्रकाश में न आएं और न ही सूर्य की ओर देखें।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार भारत में रहने वालों को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण देखने को नहीं मिलेगा। कहा जा रहा है कि यह ग्रहण उस समय लगेगा जब भारत में सूर्यास्त हो चुका होगा। जानकारों की मानें तो सूर्य ग्रहण की अवधि शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। 5 घंटे की इस अवधि में सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा भारत में नहीं दिखेगा।ग्रहण काल का सूतक
यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। ये ग्रहण दक्षिणी अफ्रीका, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और हिंद महासागर और अंटार्कटिका में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। आमतौर पर सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक काल (Sutak kaal) में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। सूतक काल में पूजा-पाठ भी नहीं की जाती है। इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद रहते हैं। कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं को सूतक काल में छोंक, तड़का, धारदार और नुकीली वस्तुओं से दूर रहना चाहिए। सूर्य ग्रहण में सूतक काल 12 घंटे का होता है।