'सैनिक मरते नहीं...दिलों में रहते हैं जीवित', बलिदानी मेजर की मां फातिमा बोहरा ने साझा कीं बेटे की यादें
‘सैनिक मरते नहीं हैं बल्कि वो लोगों के दिलों में एक और जीवन जीते हैं’ यह बात मेजर मुस्तफा बोहरा की मां फातिमा बोहरा ने कही है जिनके बेटे ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया अद्भुत साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र मिला है। राष्ट्रपति भवन में रविवार को राष्ट्रपति मुर्मु ने मरणोपरांत मेजर मुस्तफा को शौर्य चक्र से सम्मानित किया।
पीटीआई, नई दिल्ली। शौर्य चक्र से सम्मानित बलिदानी मेजर मुस्तफा बोहरा की मां फातिमा बोहरा ने कहा कि सैनिक मरते नहीं हैं, बल्कि लोगों के दिलों में 'एक और जिंदगी' जीते हैं। शौर्य चक्र, अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को सेना और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों को अदम्य साहस और असाधारण वीरता के लिए 10 कीर्ति चक्र प्रदान किए, इनमें सात मरणोपरांत हैं। सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर ने 26 शौर्य चक्र भी प्रदान किए। शौर्य चक्र विजेताओं में भी सात मरणोपरांत हैं।
राष्ट्रपति ने शेयर किया पोस्ट
राष्ट्रपति भवन ने एक्स पर पोस्ट किया, राष्ट्रपति ने 252 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन के मेजर मुस्तफा बोहरा को मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया। अक्टूबर 2022 में, उन्होंने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और हेलीकॉप्टर में आग लगने के बाद उसे आबादी वाले क्षेत्र से दूर ले जाकर असाधारण साहस और कौशल का प्रदर्शन किया।
President Droupadi Murmu conferred Shaurya Chakra upon Major Mustafa Bohara, 252 Army Aviation Squadron, posthumously. In October 2022, he made supreme sacrifice for the nation and displayed extraordinary courage and flying skills by steering the helicopter which caught fire,… pic.twitter.com/RY9BfN8vc1— President of India (@rashtrapatibhvn) July 5, 2024
रविवार को रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा एक्स पर साझा किए गए वीडियो में, बोहरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली फातिमा बोहरा ने अपने बेटे और उनके राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के दिनों की यादें साझा कीं। कहा, जब मेजर मुस्तफा ने एनडीए में पहला कदम रखा तो उनका संकल्प देश सेवा करना था। मेजर बोहरा का शौर्य चक्र उनके माता-पिता ने स्वीकार किया।
फूट-फूटकर रोईं मेजर मुस्तफा की मां
फातिमा ने कहा, कहते हैं कि मां को अपने बच्चे के बारे में अनुभूति होती है। किसी तरह मुझे इस बात का अंदेशा हो गया था। घटना से दो दिन पहले, मैं रोने लगी और खाना नहीं खाया। फिर मृत्यु की खबर आई, लेकिन, सैनिक मरते नहीं हैं। वे अपने परिवार के सदस्यों और देश के लोगों के दिलों में एक और जिंदगी जीते हैं।