Move to Jagran APP

Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह पर SC के फैसले की सॉलिसिटर जनरल ने की तारीफ, बोले- इसे हमेशा याद रखा जाएगा

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया गया और इसे संसद पर छोड़ दिया।

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Tue, 17 Oct 2023 07:30 PM (IST)Updated: Tue, 17 Oct 2023 07:30 PM (IST)
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की। (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया गया और इसे संसद पर छोड़ दिया।

सॉलिसिटर जनरल सुप्रीम कोर्ट के फैलसे की तारीफ की

सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि इस मुद्दे को संसद पर छोड़ दिया जाए, क्योंकि यह विधायिका का काम है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का तहे दिल से स्वागत करता हूं। मुझे खुशी है कि मेरा पक्ष स्वीकार कर लिया गया है।

यह भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट ने Same Sex Marriage को मान्यता देने से किया इनकार, याचिकाकर्ता ने कहा -आगे भी लड़ते रहेंगे

सॉलिसिटर जनरल ने कहा,

सभी चार निर्णय हमारे देश की न्याय व्यवस्था और फैसले लेने में लगने वाले बौद्धिक अभ्यास को अगले स्तर पर ले गया है। दुनिया में बहुत कम अदालतें हैं, जहां कोई इस स्तर की बौद्धिक और विद्वतापूर्ण फैसले की उम्मीद कर सकता है। यह फैसला हमेशा याद रखा जाएगा।

सॉलिसिटर जनरल ने फैसले को बताया महत्वपूर्ण कदम

फैसले की सराहना करते हुए, तुषार मेहता ने कहा कि वे सभ्य समाज के साथ व्यक्तियों के हितों को संतुलित रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह न्यायालय का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि संसद, कार्यपालिका और न्यायपालिका संविधान के अनुसार एक दूसरे के पूरक के रूप में कार्य करते हैं।

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मंगलवार को सर्वसम्मति से विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। पीठ ने फैसला सुनाया कि इस तरह के मुद्दे संसद के दायरे में आते हैं और उन्होंने इसे संसद पर छोड़ दिया।

यह भी पढ़ेंः समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर बिहार की जनता क्या सोचती है? पढ़ें प्रदेश में आए पांच ऐसे मामले जिनके चलते हुआ बवाल


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.