Bilkis Bano: बिलकिस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कुछ दोषियों को अधिक विशेषाधिकार प्राप्त
बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई के फैसले को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ दोषी ऐसे हैं जिन्हें अधिक विशेषाधिकार प्राप्त हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने दोषी रमेश रूपाभाई चंदना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से कहा कि हम छूट की अवधारणा को समझते हैं।
By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 14 Sep 2023 11:26 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो (Bilkis Bano) से सामूहिक दुराचार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई के फैसले को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ दोषी ऐसे हैं जिन्हें अधिक विशेषाधिकार प्राप्त हैं। कैसे कुछ दोषियों को विशेषाधिकार दिया जा सकता है?
यह भी पढ़ें: बिलकिस केस के दोषी की वकालत पर SC ने जताई आपत्ति, वकील ने दी यह सफाई
शीर्ष कोर्ट ने दोषियों की समय से पहले रिहाई पर फिर सवाल उठाए। दोषियों में से एक के वकील ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि दोषियों के सुधार और पुनर्वास के लिए सजा में छूट देना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक तय स्थिति है और बिलकिस तथा अन्य की यह दलील कि अपराध की जघन्य प्रकृति के कारण उसे राहत नहीं दी जा सकती, अब कार्यपालिका के फैसले के बाद मान्य नहीं हो सकती।
'हम छूट की अवधारणा को समझते हैं'
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने दोषी रमेश रूपाभाई चंदना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से कहा कि हम छूट की अवधारणा को समझते हैं। यह सर्वमान्य है, लेकिन यहां पीडि़त और अन्य इस पर सवाल उठा रहे हैं। पीठ ने वकील से सजा में छूट देने को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर दिए गए फैसले उपलब्ध कराकर सहायता करने के लिए कहा।
यह भी पढ़ें: 'चुनिंदा कैदियों को ही नहीं मिले सजा में छूट', बिलकिस बानो दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
पीठ ने कहा कि आमतौर पर राज्यों द्वारा इस तरह की छूट से इनकार किए जाने के खिलाफ मामले दायर किए जाते हैं। शीर्ष कोर्ट 20 सितंबर को याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को गुजरात सरकार से कहा था कि राज्य सरकारों को दोषियों को सजा में छूट देने में चयनात्मक रवैया नहीं अपनाना चाहिए और प्रत्येक कैदी को सुधार तथा समाज के साथ फिर से जुड़ने का अवसर दिया जाना चाहिए।
बता दें कि बिलकिस बानो से सामूहिक दुराचार और उसके परिजनों की हत्या मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया गया था। 15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया था।