खगोलीय बदलाव- सूरज की सतह पर धब्बे, संचार सेवाएं हो सकती हैं प्रभावित
सूर्य का अपना 11 साल का चक्र होता है। इस दौरान उसकी सतह पर बदलाव होते हैं। इन दिनों वैसी ही प्रक्रिया चल रही है सूर्य अपनी धुरी पर 27 दिन में एक चक्कर पूरा करता है।
By Tilak RajEdited By: Updated: Fri, 14 Aug 2020 02:08 AM (IST)
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सूरज की सतह पर इन दिनों परिवर्तन का दौर चल रहा है। इसमें बड़ा धब्बा (सन स्पॉट) दिखाई दे रहा है। आशंका है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन और प्रोट्रॉन अचानक घट अथवा बढ़ सकते हैं। इससे संचार सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। वहीं, हवाई और समुद्री यात्रा में भी परेशानी हो सकती है। खगोलविद, जवाहर तारामंडल के निदेशक डॉ. वाई रवि किरन ने नेशनल ओसिएनिक एंड एटमास्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) की रिपोर्ट के हवाले से यहां बताया कि जो सनस्पॉट दिख रहे हैं, इससे निकलने वाली सोलर फ्लेयर्स (छोटी ज्वालाएं) पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर रही हैं। इससे आयनोस्फीयर (पृथ्वी का बाहरी भाग) प्रभावित हो रहा है। यह बात इलेक्ट्रोमैग्नेटिक धारा में बदलाव की वजह बन सकती है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन और प्रोट्रॉन अचानक घट अथवा बढ़ सकते हैं। इससे आयनोस्फीयर में तेज हलचल और संचार सेवाओं के प्रभावित होने का खतरा होगा।
डॉ. वाई रवि किरन ने बताया कि अध्ययन से पता चला है कि सूर्य का अपना 11 साल का चक्र होता है। इस दौरान उसकी सतह पर बदलाव होते हैं। इन दिनों वैसी ही प्रक्रिया चल रही है, सूर्य अपनी धुरी पर 27 दिन में एक चक्कर पूरा करता है। इस बार 10 अगस्त से यह सन स्पॉट दिखना शुरू हुआ और लगभग 23 अगस्त तक दिखाई देगा। तारामंडल के निदेशक ने बताया कि नाभिकीय संलयन की क्रिया से सूर्य में ऊर्जा पैदा होती है। तापमान करीब छह हजार डिग्री सेल्सियस होता है। कभी-कभी कुछ स्थानों पर तापमान करीब चार हजार डिग्री सेल्सियस हो जाता है। ऐसे स्थान ही सनस्पॉट कहलाते हैं। जिस भाग में अभी सनस्पॉट है वह पृथ्वी की तरफ है। तारामंडल के निदेशक कहते हैं कि इस बदलाव को प्रोजेक्ट कर टेलीस्कोप की मदद से देखना चाहिए।
25 साल में एक बार आता है सुपर स्टॉर्म
डॉ. वाई रवि किरन के अनुसार सूरज की सतह पर हलचल चलती रहती है। नासा के अध्ययन में पता चला है कि 25 साल में एक बार सुपर स्टॉर्म आता है। इसमें बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। यह अध्ययन करीब 150 साल के आंकड़ों को एकत्र कर किया गया था। इसमें मिला था कि सूर्य की सतह से उठने वाले तूफान से जो ऊर्जा निकलती है उसका असर रेडियो कम्युनिकेशन, सैटेलाइट संचालन, पावर ग्रिड के संचालन व जीपीएस पर पड़ता है। इससे पूर्व दो सितंबर 1859 को सबसे बड़ा स्टार्म आया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में टेलीग्राफ सेवाएं प्रभावित हुई थीं। कई टेलीग्राफ ऑपरेटर को झटके लगे थे। कुछ जगहों पर आग लग गई थी। हालांकि इस बार सूर्य की सतह पर जो हलचल है वह अलग तरह की है।