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भारत की सुरक्षा के लिए कितने नुकसानदायक है खस्‍ताहाल श्रीलंका और पाकिस्‍तान, जानें - एक्‍सपर्ट की जुबानी

पाकिस्‍तान हो या श्रीलंका दोनों ही मौजूदा समय में आर्थिक रूप से बेहाल हैं। दोनों की वजह चीन है। इसके बाद भी चीन से पाकिस्‍तान हटने को तैयार नहीं है। वहीं श्रीलंका इससे सबक ले चुका है लेकिन हालातों से बाहर निकलना उसके बस में नहीं रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 03 Nov 2022 04:24 PM (IST)
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बदहाल पाकिस्‍तान और श्रीलंका के बीच में फंसा भारत
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। भारत के पड़ोसी देशों में शामिल श्रीलंका और पाकिस्‍तान से भारत को चिंता होना स्‍वाभाविक है।इन दोनों की बर्बादी के पीछे एक ही देश का हाथ है जिसका नाम चीन है। श्रीलंका आर्थिक बदहाली के बाद सबक सीख चुका है लेकिन पाकिस्‍तान के साथ ऐसा नहीं है। सबकुछ गंवाकर भी पाकिस्‍तान चीन की ही गोद में बैठना ज्‍यादा सही समझता है। हाल ही में पाकिस्‍तान के पीएम शहबाज शरीफ ने चीन की यात्रा की है जिसमें चीन ने पाकिस्‍तान को सहयोग देने का वादा किया है और इकनामिक कारिडोर में विस्‍तार लाने की बात कही है। हालांकि इस सीपैक पर भारत की शुरुआत से ही नाराजगी रही है। भारत का कहना है कि ये प्रोजेक्‍ट भारतीय हिस्‍से से होकर गुजर रहा है। जानकार मानते हैं कि श्रीलंका हो या पाकिस्‍तान दोनों की ही स्थिति भारत के लिहाज से सही नहीं है।

पाकिस्‍तान में अस्थिरता

रिष्‍ठ राजनीतिक विश्‍लेषक और विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का कहना है कि पाकिस्‍तान की जो स्थिति है उसमें कब एक बड़ा बदलाव हो जाएगा, ये कहपाना काफी मुश्किल है। मौजूदा समय में पाकिस्‍तान में राजनीतिक स्थिरता दिखाई नहीं देती है। ऐसे में सेना के लिए एक मुफीद हालात बनते जरूर दिखाई दे रहे हैं। इतिहास गवाह है कि पाकिस्‍तान में सैन्‍य शासन भारत की सुरक्षा पर हमेशा से ही खतरा रहा है। भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्ध भी इन्‍हीं सैन्‍य शासकों की देन रहा है। आगा का कहना है कि पाकिस्‍तान का आर्थिक भविष्‍य पूरी तरह से चीन के हाथों में कैद हो चुका है। पाकिस्‍तान आईएमएफ या वर्ल्‍ड बैंक से जिस कर्ज की बाट जोह रहा है उसकी राह में चीन एक बड़ा रोड़ा है। अमेरिका और चीन के बीच का छत्‍तीस का आंकड़ा पाकिस्‍तान को मिलने वाले कर्ज में एक दूसरी बड़ी बाधा है।

चीन से दूर नहीं होगा पाकिस्‍तान  

पाकिस्‍तान चीन से दूर हा नहीं सकता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इस पूरे क्षेत्र में पाकिस्‍तान का हाथ थामने वाला कोई दूसरा देश नहीं है। चीन की तरह किसी दूसरे देश को पाकिस्‍तान से रणनीतिक फायदा होने की कोई संभावना भी नहीं है। ये सभी चीजें पाकिस्‍तान को न तो कभी उभरने दे सकती हैं और न ही कभी आर्थिक बदहाली से बाहर आने दे सकती हैं। इस लिहाज से पाकिस्‍तान एक ऐसा मुल्‍क है जहां पर आतंकवाद के अलावा भारत के खिलाफ साथ देने वाला चीन भी है। आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर पाकिस्‍तान हमेशा से ही भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बना रहा है।

श्रीलंका का संकट 

दूसरी तरफ श्रीलंका की हालत की बात करें तो यहां पर भी आर्थिक और राजनीतिक संकट काफी विकराल रूप ले चुका है। यहां के हालात इस कदर नाजुक हैं कि लोगों के पास काम धंधे नहीं है और खाने-पीने की चीजों की भारी किल्‍लत है। ऐसे में यहां की स्थिति में कभी भी विस्‍फोट हो सकता है। आगा का कहना है क‍ि यहां पर पाकिस्‍तान की तरह सत्‍ता सेना के हाथों में जाने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन, इसके बाद भी हालात काफी खराब हैं। राष्‍ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भारत समर्थक हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में उनके पास करने के लिए काफी कुछ नहीं है। चीन को दूर कर वो भारत को निवेश का मौका भी तभी दे सकते हैं जब वहां की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति स्थिर हो। मौजूदा समय में ऐसा नजदीकी भविष्‍य में हो, ये कहना काफी मुश्किल है।

आर्थिक मदद पाने की कोशिश 

पाकिस्‍तान की ही तरह श्रीलंका भी आईएमएफ और वर्ल्‍ड बैंक से कर्ज पाने की कोशिश में लगा हुआ है। यदि वो कर्ज पाने में कामयाब हो भी जाता है तो भी उसकी आर्थिक स्थिति जल्‍द नहीं सुधरेगी। वहीं आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से राजनीतिक स्थिरता भी नहीं आ सकेगी। लिहाजा मौजूदा समय में भारत के ये दोनों पड़ोसी देश चिंता का सबब जरूर बने हुए हैं। इनको बदला नहीं जा सकता है लेकिन एक हकीकत ये भी है कि ये दोनों देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकते हैं।

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