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Standalone 5G Network: अकेले दम काम करता है 'स्टैंडएलोन 5जी' नेटवर्क, जानिए देश में कैसा है 5जी मोबाइल का बाजार

Standalone 5G Network स्टैंडएलोन और नान स्टैंडएलोन नेटवर्क में एक बड़ा अंतर क्षमता का भी होता है। अलग व्यवस्था पर संचालित होने के कारण स्टैंडएलोन नेटवर्क 5जी सेवा की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकता है ।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Tue, 30 Aug 2022 06:20 PM (IST)
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39 प्रतिशत हिस्सेदारी 5जी मोबाइल फोन की 20,000-30,000 रुपये वाली श्रेणी में है
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सोमवार को अपनी एजीएम में जो घोषणाएं कीं, उनमें सबसे अहम है देश में जियो 5जी सेवा की दिवाली तक शुरुआत। कंपनी ने 5जी सेवा के लिए एक टर्म का प्रयोग किया 'स्टैंडएलोन 5जी'। देश में कोने-कोने तक दिसंबर 2023 तक 5जी सेवा ले जाने के साथ काम कर रही जियो की यह स्टैंडएलोन 5जी सेवा आखिर है क्या? यह किस तरह से अलग है और उपभोक्ता व सेवाप्रदाता के लिए इसके क्या लाभ हैं? इन प्रश्नों के उत्तर तलाशती रिपोर्ट:

दो तरह के 5जी नेटवर्क

- 5जी सेवा में प्रमुख रूप से दो प्रकार के नेटवर्क का प्रयोग किया जाता है, स्टैंडएलोन और नान स्टैंडएलोन। फिलहाल जियो ही स्टैंडएलोन नेटवर्क का प्रयोग करने की तैयारी में दिख रही है।

-स्टैंडएलोन नेटवर्क में 5जी सेवा पूरी तरह से स्वतंत्र होती है और इसके लिए कंपनी को पूरा बुनियादी ढांचा बनाना पड़ता है। यह कंपनी की 4जी सेवा से पूरी तरह अलग होता है।

लागत और समय का अंतर

-चूंकि नान स्टैंडएलोन नेटवर्क पहले से चल रही 4जी सेवा से संबंद्ध होता है सो इसके लिए अलग से ढांचा बनाने में खर्च नहीं करना पड़ता। स्टैंडएलोन नेटवर्क में कंपनी को पूरा सेटअप बनाने के लिए भारी रकम खर्च करनी पड़ती है। साथ ही समय भी अधिक लगता है क्योंकि सारा कार्य नए सिरे से किया जाता है। इसी कारण जियो ने 5जी सेवा के लिए दो लाख करोड़ रुपये के भारी निवेश की तैयारी की है।

क्षमता भी होती है अलग

-स्टैंडएलोन और नान स्टैंडएलोन नेटवर्क में एक बड़ा अंतर क्षमता का भी होता है। अलग व्यवस्था पर संचालित होने के कारण स्टैंडएलोन नेटवर्क 5जी सेवा की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकता है।

-स्टैंडएलोन नेटवर्क में स्लाइसिंग की भी सुविधा होती है जिसके कारण कंपनी आवंटित 5जी स्पेक्ट्रम का प्रभावी रूप से उपयोग कर पाती हैं।

-माना जाता है कि नान स्टैंडएलोन नेटवर्क का प्रयोग करने वाली कंपनियों को बाद में स्टैंडएलोन नेटवर्क की व्यवस्था बनानी पड़ती है। यह वैश्विक ट्रेंड रहा है। हालांकि आरंभ में कम लागत के कारण यह अधिकांश कंपनियों द्वारा पसंद किया जाता है।

डिवाइस का भी पड़ता है फर्क

-दोनों नेटवर्क के बीच में एक बड़ा अंतर मोबाइल डिवाइस के साथ सेवा की अनुकूलता का होता है। आज देश में प्रयोग किए जा रहे अधिकांश मोबाइल को 4जी के साथ चलने वाली 5जी सेवा यानी नान स्टैंडएलोन के लिए अधिक अनुकूल माना जाता है। नान स्टैंडएलोन नेटवर्क में 4जी के माध्यम से ही 5जी तरंगों को प्रसारित किया जाता है।

-ऐसे फोन को यदि स्टैंडएलोन नेटवर्क की 5जी सेवा का लाभ लेना है तो फोन निर्माताओं को डिवाइस में कुछ संशोधन करने होंगे।

ऐसा है देश में 5जी मोबाइल का बाजार

-देश में 5जी मोबाइल फोन की संख्या बढ़ रही है। बजट सेगमेंट यानी 20,000 रुपये कम वाली श्रेणी में 5जी डिवाइस की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत है। 20,000 से 30,000 वाली श्रेणी में यह 39 प्रतिशत है।

-आंकड़े कहते हैं कि इस वर्ष के अंत तक देश में 5जी मोबाइल फोन का शिपमेंट तीन से बढ़कर 35 प्रतिशत हो सकता है।

5जी से यह होगा लाभ

-5जी से उपभोक्ताओं को सर्वाधिक लाभ इंटरनेट की स्पीड में होगा। 5जी पर सर्वाधिक इंटरनेट स्पीड 10 गीगाबाइट प्रति सेकेंड (जीबीपीएस) हो सकती है। 4जी में यह 100 मेगाबाइट प्रति सेकेंड होती है।

-एक और बड़ा अंतर लैटेंसी का भी होगा। लैटेंसी से मतलब किसी डिवाइस द्वारा डाटा भेजने में लिए गए समय से होता है। जितनी कम लैटेंसी होगी, उतनी जल्दी भेजे गए डाटा पर प्रतिक्रिया मिलती है। एक रिपोर्ट के अनुसार 5जी आने से नेटवर्क के बिजी होने की समस्या से भी राहत मिलेगी। इंटरनेट आफ थिंग्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में भी लाभ होगा।