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सड़कों की इलेक्ट्रानिक निगरानी में राज्य सुस्त, कुछ ही राज्यों में हुआ काम; सभी शहर अभी भी नहीं आए दायरे में

सड़कों की इलेक्ट्रानिक निगरानी में राज्य सुस्त हैं। 10-12 राज्यों में ही इस दिशा में थोड़ा-बहुत काम हुआ है। सभी शहर अभी भी दायरे में नहीं आए हैं। संसद की स्थायी समिति ने निर्माण के विभिन्न चरण में ही सीसीटीवी कैमरे का सुझाव दिया था।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Sat, 07 Jan 2023 09:09 PM (IST)
सड़कों की इलेक्ट्रानिक निगरानी में राज्य सुस्त, कुछ ही राज्यों में हुआ काम; सभी शहर अभी भी नहीं आए दायरे में
सड़कों की इलेक्ट्रानिक निगरानी में राज्य सुस्त

नई दिल्ली, मनीष तिवारी। नेशनल और स्टेट हाईवे के साथ शहरों की सड़कों पर ओवरस्पीडिंग पर निगाह रखने के लिए इलेक्ट्रानिक निगरानी के लिए राष्ट्रीय योजना बनाने पर सुप्रीम कोर्ट के जोर के बाद यह आस जगी है कि सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम तेज होगा। पिछले डेढ़ साल में सड़क सुरक्षा के लिए सबसे अधिक जरूरी इस पहल को लेकर बहुत धीरे-धीरे ही आगे बढ़े हैं।

राज्यों को लगाने थे स्पीड कैमरे, सीसीटीवी

केंद्रीय मोटर कानून में 2019 में संशोधन के बाद अगस्त 2021 में सड़क परिवहन मंत्रालय ने इससे संबंधित नियम अधिसूचित कर दिए थे, जिनके तहत राज्य सरकारों को अपने यहां नेशनल और स्टेट हाईवे में अत्यधिक जोखिम वाले और वाहनों के लिहाज से अत्यधिक घनत्व वाले क्षेत्रों में स्पीड कैमरे, सीसीटीवी, स्पीड गन, बाडी कैमरे लगाने थे। निगरानी के इसी तरह के उपाय दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के महत्वपूर्ण हिस्सों में भी किए जाने थे।

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योजना में शामिल नहीं हैं सभी शहर

मंत्रालय इस योजना के लिए महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित निर्भया फंड के जरिये आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराएगा। इसके बावजूद राज्य सक्रिय नहीं हुए। केवल 10-12 राज्यों ने ही अपने यहां ई-चालान की प्रणाली शुरू की है, जो इलेक्ट्रानिक मानिटरिंग पर आधारित है। उसमें भी राज्यों ने अपने यहां के सभी शहरों को इसमें शामिल नहीं किया है।उदाहरण के लिए महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में करीब बीस जिलों में और आंध्र प्रदेश व पंजाब में दस-दस जिलों में यह व्यवस्था है।

परिवहन, संस्कृति और पर्यटन से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने पिछले सत्र में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में भी पैदल चलने वालों और वाहन सवारों की सुरक्षा के लिए सड़कों की सतत निगरानी का सुझाव दिया था। समिति ने तो प्लानिंग और निर्माण के स्तर पर भी सीसीटीवी प्रणाली को अनिवार्य रूप से शामिल करने पर जोर दिया था।उसके अनुसार, कामकाज की गुणवत्ता और प्रगति की समीक्षा के लिए भी इलेक्ट्रानिक मानिटरिंग जरूरी है।

समिति ने यह भी रेखांकित किया था कि इस तरह की निगरानी के माध्यम से केवल ओवरस्पी¨डग या ट्रैफिक उल्लंघन ही नहीं, बल्कि यह भी समझा जा सकता है कि किसी सड़क पर ट्रैफिक के औसत से धीमे रफ्तार से चलने के क्या कारण हैं और इन्हें कैसे दूर किया जा सकता है। इस तरह की निगरानी हाईवे और अन्य सड़कों में मरम्मत और रखरखाव के लिए भी जरूरी है।

ओवरस्पीडिंग सबसे अधिक मौत की वजह

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2021 में सड़क हादसों में जितने लोगों की जान गई, उनमें 83 प्रतिशत की मौत सीमा से अधिक रफ्तार और खतरनाक ड्राइविंग के कारण हुई। पिछले साल 1.30 लाख लोगों को इन कारणों के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी।

सात राज्यों में आइआरएफ लगाएगा सीसीटीवी कैमरे

इंटरनेशनल रोड फेडरेशन सात राज्यों में नेशनल और स्टेट हाईवे के साथ उनके प्रमुख शहरों की सड़कों पर कैमरे लगाने जा रहा है। फेडरेशन के प्रेसिडेंट (एमिरेट्स) केके कपिला के अनुसार इसके लिए राष्ट्रीय योजना बनाई जानी चाहिए। उनका संगठन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, बिहार, तमिलनाडु में नेशनल-स्टेट हाईवे के साथ सभी शहरों में सीसीटीवी कैमरे लगाएगा। इन राज्यों का रुख सकारात्मक है।

सड़क परिवहन मंत्रालय की पहल पर होने वाले इस काम के जरिये ओवस्पीडिंग के साथ-साथ हर तरह के ट्रैफिक उल्लंघन पर निगरानी रखी जा सकेगी। इन सात राज्यों के बाद ऐसे ही कैमरे दूसरे राज्यों में भी लगाए जाएंगे।

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