Tata Steel द्वारा मुफ्त में दी गई स्टील स्लैग से चीन सीमा पर बना सड़क, इसलिए है बेहद खास
सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अरुणाचल प्रदेश के कुरुंग कुमे जिले में चीन-भारत सीमा को जोड़ने वाली एक किमी सड़क के निर्माण के लिए स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया है। यह सड़क अरुणाचल प्रदेश में पालिन होते हुए जोराम और कोलोरियांग जिला मुख्यालय को जोड़ती है।
By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 16 Dec 2022 07:21 PM (IST)
इटानगर, पीटीआइ। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अरुणाचल प्रदेश के कुरुंग कुमे जिले में चीन-भारत सीमा को जोड़ने वाली एक किमी सड़क के निर्माण के लिए स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया है। यह सड़क अरुणाचल प्रदेश में पालिन होते हुए जोराम और कोलोरियांग जिला मुख्यालय को जोड़ती है। एक अधिकारी ने कहा कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट अरुणांक के तहत बार्डर रोड टास्क फोर्स (बीआरटीएफ) ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजमार्ग 713 के एक किमी के हिस्से के निर्माण के लिए स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया।
स्टील स्लैग से बनाई जा रही है सड़क
परियोजना अरुणांक के मुख्य अभियंता ब्रिगेडियर अनिरुद्ध एस कोंवर ने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल स्टील स्लैग एक वेस्ट मटेरियल होता है जो स्टील उत्पादन के बाद स्टील फैक्ट्री से निकलता है। अभी तक स्टील स्लैग का उपयोग सीमेंट बनाने में किया जाता था। लेकिन अब इसके इस्तेमाल से सड़क बनाई जा रही है।
टाटा स्टील लिमिटेड द्वारा मुफ्त में दी गई है स्टील स्लैग
उन्होंने कहा कि स्टील स्लैग सड़क को बनाने में लागत भी कम आती है और ये दूसरी सड़कों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होती है। इससे पत्थरों पर निर्भरता कम होगी। बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बताया कि स्टील स्लैग टाटा स्टील लिमिटेड द्वारा मुफ्त में दी गई है। जमशेदपुर से अरुणाचल प्रदेश तक भारतीय रेलवे द्वारा मुफ्त में पहुंचाई गई।मिट्टी के स्थान पर हो रही है स्लैग का निर्माण
देश की स्टील कंपनियां हाल के समय में एक साल के दौरान 19.5 मिलियन टन स्लैग का उत्पादन करती है। 2030 तक यह आंकड़ा 60 मिलियन टन तक होगी। इसका निस्तारण भी पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में केंद्र सरकार ने देश में ‘वेस्ट टू वेल्थ’ योजना की शुरूआत की है। साइंस एंड टेक्नोलाजी एंड अर्थ सर्विसेज मंत्रालय की पहल पर काउंसिल आफ साइंटिफिक इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) व सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) ने एक नई टेक्नोलाजी तैयार की है, जो स्लैग का इस्तेमाल सड़क निर्माण में गिट्टी के स्थान पर करेगी।
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