'चीनी आक्रामकता को ध्यान में रख बनानी होगी रणनीति', सीडीएस बोले- हमें रणनीतिक स्वायत्तता का खेलना होगा कार्ड
चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि चीन की बढ़ती आक्रामकता साफ दिखाई दे रही है। इसलिए हमें रणनीतिक स्वायत्तता का कार्ड खेलना होगा। उन्होंने कहा कि रणनीतिक स्वायत्तता आपके खतरों से निपटने के बजाय अवसरों का फायदा उठाने के लिए प्रासंगिक हो सकती है और भविष्य यहीं होना चाहिए। हमें अवसरों के बारे में अधिक सोचना चाहिए।
पीटीआई, नई दिल्ली। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि चीन की बढ़ती आक्रामकता साफ दिखाई दे रही है। इसलिए हमें रणनीतिक स्वायत्तता का कार्ड खेलना होगा। भारत को अपनी हर रणनीति चीन की आक्रामकता को ध्यान में रखते हुए बनानी होगी।
साथ ही कहा कि भारत गुटनिरपेक्षता के अपने दृष्टिकोण के साथ विश्व मित्र के तौर पर दुनिया के पटल पर आगे बढ़ रहा है। पांचवें जनरल केवी कृष्ण राव स्मृति व्याख्यान में सीडीएस जनरल चौहान ने गुरुवार को वैश्विक भू-राजनीति के आर्थिक पहलुओं के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।
किन मुद्दों पर बोले सीडीएस जनरल चौहान?
उन्होंने 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों, रूस-यूक्रेन युद्ध पर उसके तटस्थ रुख और प्रतिबंधों की धमकियों के बावजूद मास्को से एस-400 मिसाइल प्रणालियों की खरीद के साथ आगे बढ़ने के फैसले का भी उदाहरण देते हुए कहा कि देश ने रणनीतिक स्वायत्तता का अपना सही रुख अपनाया है। उन्होंने चीन के साथ उत्तरी सीमाओं पर भारत के बड़े विवाद का भी उल्लेख किया और भारत के रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि रणनीतिक स्वायत्तता आपके खतरों से निपटने के बजाय अवसरों का फायदा उठाने के लिए प्रासंगिक हो सकती है और भविष्य यहीं होना चाहिए। हमें अवसरों के बारे में अधिक सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस रणनीतिक गणना में भारत को चीन के एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरने को भी ध्यान में रखना होगा।
सीडीएस ने कहा कि अगर मुझे गुटनिरपेक्षता से लेकर रणनीतिक स्वायत्तता हासिल करने तक की भारत की यात्रा का सारांश प्रस्तुत करना हो तो मैं जो कह सकता हूं कि वह तीन एस पर आधारित हो सकता है। पहला है भारत को सुरक्षित करना, दूसरा है आत्मनिर्भरता और तीसरा है भारत के लाभ और हित के लिए पर्यावरण को आकार देना।