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Stubble Burning: खेतों में जल रही पराली, कागजों में चल रहा प्रबंधन; भगवान भरोसे लोगों का जीवन

पंजाब-हरियाणा में खुलेआम पराली जलने की घटनाएं सामने आने लगी है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन अक्टूबर तक दोनों राज्यों में पराली जलने के करीब 315 मामले रिपोर्ट हुए है।इनमें 200 मामले अकेले पंजाब के है जबकि 115 मामले हरियाणा के है। पराली प्रबंधन की सारी योजना सिर्फ कागजों तक ही सिमटी हुई और लोगों के जीवन को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 05 Oct 2024 05:45 AM (IST)
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पंजाब-हरियाणा में खुलेआम पराली जलने की घटनाएं सामने आने लगी हैं
 अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। पराली प्रबंधन को लेकर पिछले सालों की तरह इस बार भी पंजाब-हरियाणा के दावे खोखले साबित होते दिख रहे है। दोनों राज्यों में खुलेआम पराली जलने की घटनाएं सामने आने लगी है। वैसे तो दिल्ली-एनसीआर को पराली के जहरीले धुएं से बचाने के लिए दोनों ही राज्यों ने केंद्र सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को पराली प्रबंधन की जो योजना दी है, उसमें पराली के एक-एक तिनके को जलने से रोकना है।

इनमें पराली के करीब आधे हिस्से को खेतों में ही मशीनों और बायोडीकंपोजर की मदद से नष्ट करने का लक्ष्य है लेकिन अब तक ज्यादातर मशीनें कस्टमर हायरिंग सेंटरों से नहीं हिली है और न ही पराली को खेतों में नष्ट करने के लिए इन राज्यों ने बायो-डीकंपोजर का ही छिड़काव शुरू किया है। यानी पराली प्रबंधन की सारी योजना सिर्फ कागजों तक ही सिमटी हुई और लोगों के जीवन को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।

केंद्र सरकार अबतक करोड़ों रुपए की मदद दे चुकी

यह स्थिति तब है कि पराली प्रबंधन के लिए पंजाब और हरियाणा को केंद्र सरकार अबतक करोड़ों रुपए की मदद दे चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब को अब तक 1682 करोड़ और हरियाणा को 1082 करोड़ रुपए दिए गए है। इस साल यानी वर्ष 2024-25 में भी पंजाब को पराली प्रबंधन के लिए 150 करोड़ और हरियाणा को 75 करोड़ दिए गए है। इसके बाद भी दोनों राज्यों में पराली जलने की घटनाएं जारी है।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन अक्टूबर तक दोनों राज्यों में पराली जलने के करीब 315 मामले रिपोर्ट हुए है। इनमें 200 मामले अकेले पंजाब के है, जबकि 115 मामले हरियाणा के है।

चौंकाने वाली बात है कि पराली प्रबंधन में दोनों राज्यों के किसानों को धान की जगह दूसरी फसलों की बुआई का विकल्प भी देना है, ताकि पराली की पैदावार में कमी लायी जा सके। लेकिन यह भी नहीं हो सका है। इसकी जगह दोनों राज्यों में इस साल पराली पिछले साल के मुकाबले ज्यादा पैदा हुई है।

पंजाब में पिछले साल 1.94 करोड़ टन पराली पैदा हुई

पंजाब में पिछले साल 1.94 करोड़ टन पराली पैदा हुई थी, वहीं इस साल 1.95 करोड़ टन पराली पैदा हुई है। वहीं हरियाणा में पिछले साल 73 लाख टन पराली पैदा हुई थी, जबकि इस साल 81 लाख टन पराली पैदा हुई है। गौरतलब है कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच दिल्ली-एनसीआर में बढ़ने वाले वायु प्रदूषण में पराली के जलने से होने वाले धुएं की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत तक की हो जाती है।