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स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे देख रहे शोध और इनोवेशन के सपने, छात्रों के प्रोजेक्ट मानकों पर खरे

बच्चों को स्कूली स्तर से शोध व इनोवेशन से जोड़ने पर जोर दिया गया है ताकि देश में इसे लेकर बेहतर माहौल बन सके। प्रोजेक्ट के तहत स्कूलों में नौवीं से 12वीं तक के छात्र हिस्सा ले सकते हैं। इस दौरान जिन छात्रों के प्रोजेक्ट मानकों पर खरे उतरते हैं उन्हें आगे के शोध कार्य के लिए 50 हजार रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 02 Nov 2024 05:45 AM (IST)
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स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे देख रहे शोध और इनोवेशन के सपने
 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी अब शोध और इनोवेशन के सपने देख रहे हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के बाद स्कूली स्तर पर यह संभव होते दिख रहा है। बच्चों को स्कूली स्तर से शोध व इनोवेशन से जोड़ने पर जोर दिया गया है ताकि देश में इसे लेकर बेहतर माहौल बन सके। इसे साकार करने के लिए देशभर में प्रयास (प्रमोशन आफ रिसर्च एट्टीट्यूड एमंग यंग एंड एस्पायरिंग स्टूडेंट ) कार्यक्रम की शुरूआत की गई है।

छात्रों के प्रोजेक्ट मानकों पर खरे

इसके तहत स्कूली स्तर पर बड़ी संख्या में छात्र शोध व इनोवेशन के अपने नजरिए के साथ आगे आ रहे हैं। इस साल भी स्कूली छात्रों के 400 से अधिक प्रोजेक्ट मानकों पर खरे उतरे हैं। प्रोजेक्ट के तहत स्कूलों में नौवीं से 12वीं तक के छात्र हिस्सा ले सकते हैं। इस दौरान जिन छात्रों के प्रोजेक्ट मानकों पर खरे उतरते हैं, उन्हें आगे के शोध कार्य के लिए 50 हजार रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है। इसमें से 10 हजार रुपए छात्र के होते हैं।

शोध कार्य के लिए 50 हजार रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है

दो छात्रों ने मिलकर प्रोजेक्ट दिया है तो प्रत्येक को पांच-पांच हजार रुपए मिलेंगे। वहीं 20 हजार रुपए स्कूल के होते हैं, जो छात्रों को शोध के प्रेरित कर उनकी मदद करते हैं। बाकी के 20 हजार रुपए उच्च शिक्षण संस्थान के होते हैं, जहां छात्र आगे का शोध कार्य करता है। छात्रों की ओर से आने वाले प्रोजेक्टों का चयन आइआइटी की मदद के लिए किया जाता है।

अंतरिक्ष में खोज से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों की फास्ट चार्जिंग जैसे प्रोजेक्ट शामिल

छात्रों ने जिन शोध व इनोवेशन से जुड़े प्रोजेक्ट को इस साल शार्टलिस्ट किया किया गया है, उनमें अंतरिक्ष से जुड़े शोध से लेकर इलेक्टि्रक वाहनों की फास्ट चार्जिंग जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। इसके साथ ही वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, बाढ़ जैसे आम जनजीवन से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए भी बड़ी संख्या में छात्रों ने प्रोजेक्ट पेश किए है। स्कूलों ने अपनी स्थानीय समस्याओं को लेकर भी शोध प्रोजेक्ट दिए हैं।

जिन छात्रों के प्रोजेक्ट मानकों पर खरे उतरते हैं, उन्हें आगे के शोध कार्य के लिए 50 हजार रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है। इसमें से 10 हजार रुपए छात्र के होते हैं। दो छात्रों ने मिलकर प्रोजेक्ट दिया है तो प्रत्येक को पांच-पांच हजार रुपए मिलेंगे। वहीं 20 हजार रुपए स्कूल के होते हैं, जो छात्रों को शोध के प्रेरित कर उनकी मदद करते हैं।