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'नेताजी के अवशेष जापान के रेंकोजी मंदिर में क्यों हैं?' सुभाष चंद्र बोस की बेटी ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है। दरअसल 18 अगस्त को नेताजी की पुण्यतिथि है और उन्होंने जापान में रखे नेताजी के अवशेष को वापस भारत लौटाए जाने की मांग की है। बता दें कि 18 अगस्त 1945 को नेताजी ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उनके अवशेष जापान के रेंकोजी मंदिर में रखे गए हैं।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Mon, 29 Jul 2024 11:41 AM (IST)
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सुभाष चंद्र बोस की बेटी ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी (Image: FILE)
एएनआई, कोलकाता। 18 अगस्त को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथि हैं। इस अवसर को देखते हुए नेताजी के पोते चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक अपील की है। वह चाहते है कि जापान के रेंकोजी मंदिर से 'नेताजी के पार्थिव अवशेष' वापस भारत लौट आए। 

18 अगस्त को पुण्यतिथि

सोमवार को ANI से बात करते हुए नेताजी के पोते ने कहा, 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हमारे देश की आजादी के लिए 18 अगस्त, 1945 को अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उनके अवशेष जापान के रेंकोजी मंदिर में रखे गए हैं। राष्ट्र की ओर से अपील की गई थी कि उनके अवशेषों को भारत लाया जाना चाहिए, क्योंकि नेताजी स्वतंत्र भारत वापस आना चाहते थे, लेकिन वे नहीं आ सके क्योंकि उनकी मृत्यु हो गई थी।'

नेताजी की बेटी ने लिखा पीएम मोदी को पत्र

चंद्र कुमार बोस ने कहा कि नेताजी की बेटी अनीता बोस फाफ हिंदू परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार करना चाहती हैं। नेताजी की इकलौती बेटी अनीता बोस फाफ ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने पीएम मोदी से अपने पिता के अवशेष को वापस भारत लाने की अपील की है ताकि वह उनका अंतिम संस्कार कर सके। 

यह समय हमारे पिता नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि और सम्मान देने का है। उनके अवशेष भारत वापस आने चाहिए और वे उनका अंतिम संस्कार करेंगी। यह उनकी इच्छा है। मैं प्रधानमंत्री को लिखती रही हूं। मैंने आज (रविवार) ही एक अनुस्मारक के रूप में कहा कि गोपनीयता हटाने की प्रक्रिया, जो एनडीए सरकार ने शुरू की है, वास्तव में हम सभी ने प्रधानमंत्री द्वारा नेताजी से संबंधित सभी गोपनीय दस्तावेजों को जारी करने के कदम की सराहना की है। अब, सभी फाइलों के जारी होने के बाद, हमें 11 जांच रिपोर्ट मिली हैं। 11 जांचों में से 10 जांच रिपोर्टों ने निर्णायक सबूत दिए हैं कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को हुई थी और उनके अवशेषों को जापान के रेंकोजी मंदिर में रखा गया है। केवल एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मृत्यु नहीं हुई थी। मुझे लगता है कि उनके अवशेष जापान के रेंकोजी मंदिर में क्यों हैं। वह भारत के हैं। वह हमारे देश के हैं। मेरी विनम्र अपील है कि नेताजी के पार्थिव अवशेषों को 18 अगस्त, 2024 (पुण्यतिथि) तक रेंकोजी से भारत वापस लाया जाए।

नेताजी के अवशेष जापान में होना अपमानजनक 

नेताजी के पोते ने आगे कहा कि उन्हें लगता है कि यह 'अपमानजनक' है कि नेताजी के अवशेष जापान के रेनकोजी मंदिर में रखे गए हैं। "अब, अगर कोई मुद्दा है, अगर कोई अलग राय है, तो प्रधानमंत्री को यह बयान देना चाहिए कि उनके अवशेष भारत लाए जा रहे हैं, और अगर उन्हें भारत नहीं लाया जाता है, तो उन्हें (पीएम को) वैध कारण बताना चाहिए कि उनके अवशेष रेनकोजी में क्यों रखे गए हैं।

क्या सच में विमान हादसे में हुई थी मौत

बता दें कि रेंकोजी मंदिर प्राधिकरण भारत सरकार को अवशेष सौंपने के लिए तैयार है। 18 अगस्त, 1945 को ताइपे में एक विमान दुर्घटना में बोस की मृत्यु पर विवाद है, लेकिन केंद्र सरकार ने 2017 में एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) में पुष्टि की थी कि उनकी मृत्यु दुर्घटना में हुई थी।

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