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Success Story: रेलवे में TC से लेकर CISF में डिप्टी कमांडेंट तक का सफर, पढ़ें राकेश निखज की संघर्ष की कहानी

Rakesh Nikhaj राकेश निखज सरकारी नौकरी ज्वाइन करने के बाद भी नहीं रुके और उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। साल 2012 में उन्होंने UPSC की परीक्षा पास कर CISF में असिस्टेंट कमांडेंट की नौकरी हासिल की। File Photo

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 06 Apr 2023 06:20 PM (IST)
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रेलवे में TC से लेकर CISF में डिप्टी कमांडेंट तक का सफर।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कोई व्यक्ति अगर जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहे और उसकी इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो वह एक दिन सफल जरूर होता है। आपने कई युवाओं की सक्सेस स्टोरी पढ़ी होगी, जिन्होंने मुश्किल राहों से गुजरकर अपनी मंजिल तक का सफर पूरा किया है। कुछ युवाओं के जीवन में कम संघर्ष होता है और कुछ युवाओं के जीवन में संघर्ष की राह लंबी होती है। आज हम आपको बिहार के रहने वाले राकेश निखज की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने 10वीं के बाद ही सरकारी नौकरी ज्वाइन कर ली थी।

सरकारी नौकरी ज्वाइन करने के बाद भी वह नहीं रुके और उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। साल 2012 में उन्होंने UPSC की परीक्षा पास कर CISF में असिस्टेंट कमांडेंट की नौकरी हासिल की। उन्होंने नौकरी में आने के बाद भी अपने समाज सेवा के जुनून को बरकरार रखा और वह अभी तक बच्चों में शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं। पढ़ें राकेश निखज की कहानी...

राकेश निखज का परिचय

राकेश निखज मूलरूप से बिहार के सोनपुर जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने सेंट जोसेफ अकादमी से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की। इसके बाद राजकीय विद्यालय में पढ़े। कुछ समय बाद उन्होंने केंद्रीय विद्यालय में दाखिला लेकर 10वीं की पढ़ाई पूरी की।

— Dy. Commandant Rakesh Nikhaj (@Rakeshnikhaj) April 1, 2023

10वीं के बाद लगी सरकारी नौकरी

राकेश निखज ने बताया कि जब वह 10वीं में थे, तब उन्होंने भारतीय रेलवे की ओर से आयोजित किए जाने वाले वोकेशनल कोर्स एग्जाम दिया। इस परीक्षा में उन्होंने सफलता हासिल कर ली। हालांकि, उनका मन नौकरी करने का नहीं था, लेकिन उन्होंने परिवार के दबाव में नौकरी ज्वाइन की। इसके बाद, राकेश ने दो सालों तक कॉमर्स विषयों का अध्ययन किया, जिसके बाद उनकी नौकरी रेलवे में टिकट कलेक्टर के रूप में लगी। उन्हें अपनी पहली पोस्टिंग उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद मंडल में आने वाले अमरोहा जिले में मिली।

मन में पल रही थी कुछ बड़ा करने की जिद

राकेश ने 18 साल की उम्र में रेलवे की सरकारी नौकरी तो हासिल कर ली थी, लेकिन उनके मन में कुछ बड़ा करने की जिद पल रही थी। उन्होंने नौकरी के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय से ओपन कोर्स में दाखिला लेकर अपनी स्नातक की पढ़ाई शुरू कर दी थी। इस बीच उनकी पोस्टिंग दिल्ली स्थित विजिलेंस ब्रांच में हो गई थी।

सिविल सेवा की तैयारी की शुरुआत

राकेश ने बताया कि वह पढ़कर कुछ बड़ा करना चाहते थे, जिसके लिए उन्हें समय चाहिए था। ऐसे में उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी कैप्टन जेपी सिंह से इस संबंध में अनुरोध किया, तो वह इसके लिए राजी हो गए और राकेश को पढ़ने के लिए एक साल के लिए छुट्टी दे दी। यह राकेश के जीवन में टर्निंग प्वाइंट था।

तैयारी करते हुए पास किए कई एग्जाम

राकेश ने 2010 में सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी थी। वह नौकरी से मिली छुट्टी को व्यर्थ नहीं करना चाहते थे, ऐसे में राकेश दिन-रात टाइम टेबल बनाकर तैयारी किया करते थे। इस बीच उन्होंने CSIR की परीक्षा भी पास कर ली थी। वहीं, उनका चयन SSC के माध्यम से Inspector पोस्ट पर भी हो गया था।

2012 में हासिल की 36 रैंक

राकेश निखज ने साल 2012 में UPSC द्वारा ली जाने वाली CAPF परीक्षा में देशभर में 36 रैंक हासिल कर टॉप किया था। इसके बाद उन्होंने CISF में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में नौकरी ज्वाइन की। वर्तमान में वह डिप्टी कमांडेंट की पोस्ट पर देश की सेवा में लगे हुए हैं।

अपने वेतन से लड़कियों के खोले बैंक खाते

राकेश निखज समाज सेवा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि वह हर तीन महीने में अपने वेतन से बच्चियों के सुकन्या समृद्धि योजना के खाते खोलते हैं। साथ ही बच्चियों के साथ उनके परिवार को भी इस खाते के प्रति जागरूक करते हैं, जिससे बच्चियां भविष्य में अपने पैरों पर खड़ी हो सके।

शुरू की लाइब्रेरी ऑन व्हील्स सेवा

राकेश झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले बच्चों को भी मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहे हैं। वह दिल्ली के गोपालपुर इलाके में समय-समय पर बच्चों के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिता व अन्य कार्यक्रम कराकर उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक करते रहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने गोपालपुर में लाइब्रेरी ऑन व्हील्स की शुरुआत की है, जिसमें जरूरी किताबों को जरूरतमंद बच्चों तक निशुल्क रूप से पहुंचाया जा रहा है।

यही नहीं राकेश के इस नेक काम में उनकी मदद अमेरिका में स्कूल में पढ़ रही अलीशा कर रही हैं। राकेश ने बताया कि अलीशा ट्यूशन पढ़ाकर मिलने वाले पैसे से भारत में रह रहे बच्चों की सेवा करती हैं। राकेश ने अलीशा की मदद से प्रगति मैदान के ठीक सामने और उत्तरप्रदेश के डिबियापुर में भी इसी तरह की किताबों की सेवा शुरू की है।

सौ जगहों पर निशुल्क किताब पहुंचाने का लक्ष्य

राकेश ने बताया कि उन्होंने 100 जगहों पर निशुल्क रूप से किताबों को पहुंचाने का लक्ष्य बनाया है। साथ ही इस सेवा में बच्चों से लेकर बुजुर्गों का भी ध्यान रखा जाएगा, जिससे हर उम्र के व्यक्ति तक ज्ञान पहुंच सके।