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    भारत के दुश्मन सावधान... 'मिशन सुदर्शन चक्र' का शुभारंभ; एक साथ तीन लक्ष्य को निशाना; जानिए इसकी खासियत

    भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुदर्शन चक्र प्रोजेक्ट के पहले चरण में इंटीग्रेटेड एअर डिफेंस वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि DRDO ने ओडिशा के तट पर इसका परीक्षण किया। यह प्रणाली दुश्मन के ड्रोन हमलों से रक्षा करेगी। इसमें रडार लांचर और मिसाइलें शामिल हैं। यह स्वदेशी रूप से विकसित है और क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी।

    By Jagran News Edited By: Deepak Gupta Updated: Sun, 24 Aug 2025 10:30 PM (IST)
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    भारत के दुश्मन सावधान... 'मिशन सुदर्शन चक्र' का शुभारंभ

    नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को पस्त करने के साढ़े तीन महीने बाद भारत ने अपने सुदर्शन चक्र प्रोजेक्ट के पहले चरण में कम और मध्यम दूरी के लिए इंटीग्रेटेड एअर डिफेंस वेपन सिस्टम (आइएडीडब्ल्यूएस) का पहला सफल परीक्षण किया।

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    स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में जिस एअर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र मिशन की घोषणा की थी, उसके तहत ये रक्षा प्रणाली सीमाओं से लेकर शहरों और सामरिक ठिकानों तक के लिए रक्षा कवच साबित हो सकती है।

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से रविवार को इंटरनेट मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में बताया कि भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) ने शनिवार को दोपहर साढ़े 12 बजे ओडिशा के तट पर आइएडीडब्ल्यूएस का सफल परीक्षण किया। डीआरडीओ ने भी एक्स पर रविवार को इस सफल परीक्षण के बारे में जानकारी दी।

    क्या है आइएडीडब्ल्यूएसइंटीग्रेटेड?

    एअर डिफेंस वेपन सिस्टम दुश्मन देश की तरफ से एकसाथ छोड़े गए कई ड्रोन हमलों के खिलाफ रक्षा कवच बनेगा और उन हमलों को नाकाम करेगा। यह प्रणाली व्यापक वायु रक्षा प्रदान करने के लिए रडार, लान्चर, टारगेटिंग और गाइडेंस सिस्टम, मिसाइल और कमांड व कंट्रोल यूनिट को एकसाथ लेकर काम करती है। आयातित प्रणालियों के विपरीत यह स्वदेशी रूप से विकसित की गई है।

    बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली

    बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली के घटक आइएडीडब्ल्यूएस एक बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है जिसमें पूरी तरह से स्वदेशी क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एअर मिसाइल (क्यूआरएसएएम), एडवांस वेरी शार्ट रेंज एअर डिफेंस सिस्टम (वीएसएचओआरएडीएस) मिसाइलें और एक हाई पावर लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (डीईडब्ल्यू) शामिल हैं।

    क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती

    रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक इस परीक्षण ने हमारे देश की बहुस्तरीय हवाई सुरक्षा क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया है। यह प्रणाली दुश्मन के हवाई खतरों के खिलाफ क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती देगी। ऐसे काम करेगा क्यूआरएसएएम इंटीग्रेटेड एअर डिफेंस वेपन सिस्टम के तहत रडार यूनिट से संभावित खतरों पर नजर रखी जाती है और उनका विश्लेषण किया जाता है।

    इसके बाद कमान सेंटर ज्यादा ऊंचाई से आने वाले तेज रफ्तार खतरों के लिए क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एअर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) को हमले के लिए सक्रिय कर देता है।

    वीएसएचओआरएडीएस की मारक क्षमता

    कमान सेंटर से विश्लेषण के आधार पर कम रेंज वाले और धीमी गति से होने वाले हमले के लिए एडवांस वेरी शार्ट रेंज एअर डिफेंस सिस्टम मिसाइलें (वीएसएचओआरएडीएस) सक्रिय की जाती हैं। डीईडब्ल्यू की ये है भूमिका हवा में दुश्मन के लड़ाकू विमान और मिसाइलों को मार गिराने के लिए लेजर बेस्ड डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (डीईडब्ल्यू) काम आता है।

    ये हथियार लेजर जैसी ऊर्जा का इस्तेमाल करता है। ऐसे हुआ सफल परीक्षण उड़ान परीक्षणों के दौरान दो तेज रफ्तार वाले फिक्स्डविंग ड्रोन और एक मल्टी-काप्टर ड्रोन समेत तीन अलग-अलग लक्ष्यों को एक ही समय में क्यूआरएसएएम, वीएसएचओआरएडीएस और हाई एनर्जी लेजर वेपन सिस्टम ने अलग-अलग दूरियों और ऊंचाइयों पर पूरी तरह से नष्ट कर दिया।

    ऐसे काम करेगा इंटीग्रेटेड सिस्टम

    इंटीग्रेटेड एअर डिफेंस वेपन सिस्टम के तहत सभी हथियार प्रणालियों को एक केंद्रीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र से नियंत्रित किया जाएगा। कमान और नियंत्रण केंद्र को डीआरडीओ ने विकसित किया है, जो वायु रक्षा कार्यक्रम के लिए नोडल प्रयोगशाला है। वहीं वीएसएचओआरएडीएस और डीईडब्ल्यू को क्रमश: रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआइ) और उच्च ऊर्जा प्रणाली और विज्ञान केंद्र (सीएचईएसएस) ने विकसित किया है।

    अग्नि की टेस्टिंग के बाद बड़ा कदम गौरतलब है कि पिछले दिनों 5000 से 7500 किलोमीटर तक मार करनेवाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से सफल परीक्षण किया गया था। अग्नि-5 भारत की स्वदेशी रूप से विकसित मिसाइल है।

    सुदर्शन चक्र मिशन का उद्देश्य

    सुदर्शन चक्र मिशन का उद्देश्य 2035 तक सामरिक और नागरिक, दोनों प्रकार की संपत्तियों के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा कवच प्रदान करना है। कम दूरी और मध्यम दूरी के लिए आइएडीडब्ल्यूएस, आकाश मिसाइल, मीडियम रेंज सर्फेस टू एअर मिसाइल (एमआरसैम) और लेजर वेपन तो देश में तैयार कर लिए गए हैं, लेकिन रूस की एस-400 की तर्ज पर लंबी दूरी की एअर डिफेंस सिस्टम को भी तैयार किया जाना जरूरी है। इसके लिए डीआरडीओ प्रोजेक्ट कुशा पर काम कर रहा है।

    इस प्रोजेक्ट के तहत डीआरडीओ लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल की पांच स्क्वाड्रन तैयार करेगा। डीआरडीओ ने वर्ष 2028-29 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का टारगेट रखा है। तीन तरह की मिसाइल बनाई जाएंगी प्रोजेक्ट कुशा के तहत तीन तरह की मिसाइल विकसित की जाएंगी। ये तीन मिसाइल 150 किलोमीटर, 250 किलोमीटर और 350 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के हवाई हमले को विफल करने में सक्षम होंगी।

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